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India News (इंडिया न्यूज),China-Maldives Diplomacy: मालदीव पर चीन का कर्ज: मालदीव और भारत के बीच हालिया तनाव के बाद राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने चीन का दौरा किया। अपनी चीन यात्रा के दौरान मुइज्जू ने जिनपिंग के साथ अपने संबंधों का विस्तार किया है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मुइज्जू को अपना करीबी साथी बताया है। ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में अपने संबोधन के दौरान जिनपिंग ने मोहम्मद मुइज्जू को अपना पुराना दोस्त बताया, लेकिन जिनपिंग के ये पैंतरे मालदीव के जरिए अपने हित साधने के लिए हैं। माना जा रहा है कि चीन हिंद महासागर में निवेश करना चाहता है और इसके लिए वह मालदीव को मोहरे के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।
चीन अपनी कर्ज़ जाल कूटनीति के लिए कुख्यात है। यानी वह देशों को कर्ज देता है और न चुका पाने की स्थिति में उस देश पर अपनी मनमानी करता है। कई अफ्रीकी देश भी चीन के कर्ज जाल में फंसे हुए हैं, इसके अलावा भारत और मालदीव का पड़ोसी देश श्रीलंका भी चीन के कर्ज के कारण दिवालिया होने की कगार पर थे।
मोहम्मद मुइज्जू ने चुनाव से पहले ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था। इस नारे के कारण ही वह चुनाव जीतने में सफल रहे। उन्होंने देश के लोगों के मन में भारत की छवि खराब करने की भी कोशिश की। चुनाव जीतने के बाद उन्हें अपने नारे को भुनाना था इसलिए उन्होंने चीन से निवेश की मांग की ताकि जनता को दिखाया जा सके कि चीन उनका शुभचिंतक है, लेकिन चीन कर्ज और निवेश के नाम पर कुछ और ही चाल चल रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मालदीव इस समय धार्मिक संकट में फंसा हुआ है। देश में पर्यटन में भारी गिरावट आने की आशंका है क्योंकि भारत के लोगों ने मालदीव का बहिष्कार कर दिया है और दूसरी ओर मालदीव में विकास की धीमी गति के बावजूद चीन को भारी कर्ज का बोझ उठाना पड़ सकता है।
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मालदीव ने कुल कर्ज का 60 फीसदी चीन से लिया है। लोन देने वाले बैंकों में चाइना डेवलपमेंट बैंक, इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना और एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ चाइना शामिल हैं।
मालदीव और भारत भले ही तनाव के दौर से गुजर रहे हों, लेकिन मालदीव हर मुश्किल में सबसे पहले भारत को याद करता है। मालदीव की पूर्व विदेश मंत्री मारिया अहमद दीदी ने तो यहां तक कह दिया था कि भारत मालदीव के लिए 911 (आपातकालीन नंबर) की तरह है, किसी भी समस्या में हम सबसे पहले इसे याद करते हैं। भारत से बड़ी संख्या में पर्यटक मालदीव जाते हैं। यह संख्या मालदीव के कुल पर्यटकों की लगभग आधी है। मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर आधारित है, इसलिए भारत के साथ बेहतर रिश्ते उसे चीन के कर्ज से मुक्ति दिला सकते हैं।
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