India News (इंडिया न्यूज), India-Pakistan Trade: पड़ोसी देश पाकिस्तान भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते सुधारने के लिए ‘ग्रेटर पंजाब’ मॉडल पर काम कर रहा है। इस मॉडल का मकसद दोनों देशों के बीच एक नरम सीमा बनाना और एक व्यापार गलियारा स्थापित करना है। पाकिस्तान के पूर्व सैन्य अधिकारी आदिल रजा ने इस मॉडल का खुलासा करते हुए कहा है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह एक चुनौतीपूर्ण कदम साबित हो सकता है। आदिल रजा के मुताबिक, ‘ग्रेटर पंजाब’ मॉडल में नरम सीमाएं और सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और ग्रैंड ट्रंक रोड के जरिए व्यापार बढ़ाने का प्रस्ताव है।
जानकारी के अनुसार, इस मॉडल के जरिए पाकिस्तान भारत के साथ व्यापार को मजबूत करना चाहता है, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के मुकाबले पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति का मुकाबला करना होगा। रजा का मानना है कि अगर पाकिस्तान ‘ग्रेटर पंजाब’ मॉडल के तहत व्यापार को बढ़ावा देता है तो भारतीय कारोबारियों की मजबूत तकनीक और वैश्विक व्यापार नेटवर्क के सामने पाकिस्तानी व्यापार टिक नहीं पाएगा। भारतीय बाजार का आकार बहुत बड़ा है और इसका पाकिस्तानी उद्योगों और कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
India-Pakistan Trade (भारत पाकिस्तान से व्यापार करने के लिए पीएम शहबाज ने पाकिस्तान ने तैयार किया ग्रेटर पंजाब मॉडल)
— Adil Raja (@soldierspeaks) March 23, 2025
रजा ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान की मौजूदा आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था आईएमएफ के कर्ज पर आधारित है और भ्रष्टाचार से ग्रस्त है। अगर ‘ग्रेटर पंजाब’ मॉडल लागू होता है तो पाकिस्तान को इससे शुरुआती लाभ मिल सकता है, लेकिन भविष्य में वह आर्थिक रूप से भारत पर निर्भर हो सकता है, जिसके कारण पाकिस्तान एक सैटेलाइट स्टेट बनकर रह सकता है।
इस मॉडल में बलूचिस्तान और दक्षिणी खैबर पख्तूनख्वा शामिल नहीं होंगे, जिससे इन इलाकों में आर्थिक गतिविधियां लगभग खत्म हो सकती हैं। हालांकि, भारत बलूचिस्तान को अपनी प्राथमिकताओं से नहीं हटाएगा, क्योंकि उसका उद्देश्य चीन को वहां रोकना है। इसके कारण पाकिस्तान का आर्थिक विभाजन और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
पाकिस्तान का ‘ग्रेटर पंजाब’ मॉडल भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को बेहतर बनाने का एक प्रयास है, लेकिन इसके साथ आने वाली आर्थिक चुनौतियां पाकिस्तान के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। अगर यह मॉडल सफल होता है तो इससे पाकिस्तान को शुरुआती लाभ मिल सकता है, लेकिन लंबे समय में यह भारत पर आर्थिक निर्भरता बढ़ा सकता है, जिससे पाकिस्तान की स्वतंत्र आर्थिक पहचान कमजोर हो सकती है।