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(दिल्ली) : साल 1960 में हुई सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए भारत ने पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान की कार्रवाइयों ने संधि के प्रावधानों और उनके कार्यान्वयन का उल्लंघन किया है। इसलिए उसे नोटिस जारी करना पड़ा।
जानकारी के मुताबिक, सिंधु जल संधि को लेकर भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान को यह नोटिस बुधवार (25 जनवरी 2023) को भेजा है। इस नोटिस को लेकर भारत सरकार का कहना है कि भारत पाकिस्तान के साथ हुई जल संधि को लागू करने का समर्थक और जिम्मेदार सहयोगी रहा है। लेकिन, पाकिस्तान की गतिविधियों ने भारत को यह नोटिस भेजने के लिए मजबूर किया है।
Pakistan’s actions have adversely impinged on the provisions of IWT and their implementation, and forced India to issue an appropriate notice for modification of IWT: Sources
— ANI (@ANI) January 27, 2023
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2015 में पाकिस्तान ने भारत की किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं (HEPs) पर अपनी तकनीकी आपत्तियों की जाँच के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति का अनुरोध किया था। हालाँकि, अगले ही साल यानी साल 2016 में पाकिस्तान ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए इस अनुरोध को वापस ले लिया। साथ ही, कहा कि एक मध्यस्थ अदालत उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए।
बता दें, पाकिस्तान के लगातार कहने पर विश्व बैंक ने हाल ही में तटस्थ विशेषज्ञ और मध्यस्थ न्यायालय दोनों पर ही कार्रवाई शुरू की है। हालाँकि, एक ही मुद्दे पर इस तरह की दो प्रक्रियाएँ सिंधु जल संधि के किसी भी प्रावधान में नहीं है। भविष्य में इसके विरोधाभासी परिणाम सामने आ सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, सिंधु जल संधि को लेकर भारत चाहता है कि आपस में बातचीत से मामले का हल निकाला जाए। वहीं, पाकिस्तान इससे बचता रहा है। बता दें, साल 2017 से 2022 तक स्थायी सिंधु आयोग की 5 बैठकें हुई हैं। सभी बैठकों में पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर चर्चा करने से इनकार किया।
At Pakistan’s continuing insistence, the World Bank has recently initiated actions on both the Neutral Expert and Court of Arbitration processes. Such parallel consideration of the same issues is not covered under any provision of IWT: Sources
— ANI (@ANI) January 27, 2023
वहीं, भारत ने पाकिस्तान को यह नोटिस सिंधु जल संधि के भौतिक उल्लंघन को सुधारने के लिए 90 दिनों के अंदर अंतर-सरकारी वार्ता में शामिल होने के लिए मौका देने के लिए किया है। इस प्रक्रिया के जरिए भारत बीते 62 सालों में पाकिस्तान की हरकतों से मिली सीख के साथ सिंधु जल संधि में कुछ नवीनीकरण चाहता है।
मालूम हो, भारत और पाकिस्तान ने 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इस संधि के अनुसार सतलज, व्यास और रावी नदी का पानी भारत को दिया गया था। वहीं सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान के हिस्से में गया था। बता दें, इस संधि में भारत और पाकिस्तान के अलावा विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता था।
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