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China Border Law
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
23 अक्टूबर को चीन नया सीमा कानून लेकर आया, जिस पर चीन की सत्ताधारी पार्टी नेशनल पीपल्स कांग्रेस की स्टैंडिग समिति ने मोहर लगाते हुए इसे मान्यता भी दे दी है। सीमा कानून का इस्तेमाल बीजिंग चीनी सीमाओं की सुरक्षा और उसके बंद या खोलने को लेकर करने वाला बताया जा रहा है।
हालांकि इसमें और क्या-क्या होगा अभी यह स्पष्ट नहीं है। लेकिन इतना जरूर है कि यह कानून भारत के लिए परेशानियां खड़ी कर सकता है। चीनी सीमा कानून ऐसे समय में आया है जब पूर्वी लद्दाख और पूर्वोत्तर राज्यों में दोनों देशों के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
माओ सरकार नए कानून के अंतर्गत सीमावर्ती इलाकों में निर्माण, सीमा सुरक्षा मजबूत करने, आर्थिक और सामाजिक विकास में सहयोग, सार्वजनिक सेवाओं सहित मूलभूत ढांचे में सुधार कर सकता है। किसी भी तरह के विरोध के चलते चीन अपनी सीमाएं बंद करने का भी फैसला लेने में सक्षम होगा। अगले साल जनवरी में लागू होने से पहले ही चीन सीमा कानून पर बहस भी तेज हो गई है।
बता दें कि चीन की 14 देशों के साथ सीमा लगती है। इनमें से रूस समेत अन्य देशों के साथ चाइना का सीमा विवाद थम गया है। वहीं भूटान के साथ 400 किलोमीटर की सीमा को लेकर चीन व भूटान ने सीमा विवाद खत्म करते हुए 14 अक्टूबर को समझौता कर लिया है। ऐसे में अकेला भारत ही वह देश है जिसके साथ चीनी सेना की एलएसी पर टकराव की स्थिति में रहती है।
बता दें कि भारत-चीन की सीमा जम्मू-कश्मीर से लेकर हिमाचल, उत्तराखंड, अरूणाचल प्रदेश से होते हुए म्यंमार तक जाती है। जो कि करीब 3500 किलोमीटर लंबी है। इतनी लंबी सीमा पर कोर्ई ऐसी निशानी या दीवार नहीं बनी जो सीमा का निर्धारण कर सके। ऐसे में नया सीमा कानून चीन का एकतरफा कानून से ज्यादा कुछ भी नहीं है। जिसको लेकर भारत अपना विरोध दर्ज करवा चुका है। दिल्ली ने कहा है कि अभी दोनों देशों के बीच सीमा विवाद न तो समाप्त हुआ है और न ही इसका कोई समाधान ही हुआ है।
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