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इंडोनेशिया ने 28 अप्रैल से पाम तेल के निर्यात पर लगाई रोक, भारत में बढ़े दाम

Bharat Mehndiratta • LAST UPDATED : April 23, 2022, 5:35 pm IST
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इंडोनेशिया ने 28 अप्रैल से पाम तेल के निर्यात पर लगाई रोक, भारत में बढ़े दाम

palm oil

Indonesia bans export of palm oil

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
देश में पहले से ही महंगाई ने जनता की कमर तोड़ रखी है। न केवल पेट्रोल डीजल बल्कि खाने पीने की वस्तुओं के दाम भी 7वें आसमान पर पहुंचे हुए हैं। वहीं अब महंगाई के मोर्चे पर इंडोनेशिया से भी बड़ा झटका मिला है। इंडोनेशिया ने 28 अप्रैल से पाम तेल के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया है। यह रोक अगले आदेश तक जारी रहेगी।

प्रतिबंध लगते ही देश में अभी से इसका असर दिखना शुरू हो गया है। खाद्य तेलों के भावों (Edible Oil Prices) में 50 रुपए प्रति टीन तक की बढ़ोतरी हो गई है। इतना ही नहीं, प्रतिबंध से पहले ही इंडोनेशिया (Indonesia) ने पाम आयल का निर्यात काफी घटा दिया था। इस कारण एक सप्ताह में 150 रुपए प्रति टीन तक खाद्य तेलों के भाव बढ़ चुके हैं।

भारत की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

गौरतलब है कि इंडोनेशिया (Indonesia) पूरी दुनिया में पाम तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है। जबकि भारत बड़ी मात्रा में पाम तेल का आयात करता है। अत: इंडोनेशिया के इस कदम से भारत की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। भारत में पहले से ही खाने के तेल महंगे हैं और इनके दामों में अब और उछाल आने की संभावना है।

मलेशिया से 30 प्रतिशत पाम तेल का आयात

जानना जरूरी है कि इंडोनेशिया के बाद मलेशिया (Malaysia) दूसरे नम्बर पर है जो सबसे ज्यादा पाम तेल का निर्यात करता है। फिलहाल भारत लगभग 90 लाख टन पाम तेल का आयात करता है। इसमें से 70 प्रतिशत पाम तेल इंडोनेशिया से आता है जबकि 30 प्रतिशत पाम तेल मलेशिया (Malaysia) से आयातित होता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक इंडोनेशिया के प्रतिबंध लगाने के बाद भारत में पाम तेल का आयात प्रभावित होगा। इसलिए भारत को अब मलेशिया पर निर्भरता बढ़ानी होगी।

इन कारणों से महंगा हुआ पाम तेल

खाने के तेल महंगे होने के एक दो नहीं बल्कि कई कारण हैं। दरअसल, विदेशों में तेजी के कारण आयात करना महंगा हो रहा है। वहीं मूंगफली का उत्पादन भी मांग के मुकाबले कम हुआ है। इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भी सप्लाई पर असर पड़ा है। ये भी कहा जा रहा है कि इन दिनों शादी-विवाह के सीजन के चलते बंपर सावों की स्थानीय डिमांड अधिक होने से तेल में उछाल आया है।

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