India News (इंडिया न्यूज), Iran Nuclear Weapon: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को परमाणु समझौते को लेकर चेतावनी दी है। हाल ही में ट्रंप ने ईरान को परमाणु समझौते को लेकर एक पत्र लिखा था, जिसके जवाब में ईरान ने कहा, हमारी नीति अभी भी प्रत्यक्ष बातचीत में शामिल नहीं होने की है। हालांकि, अप्रत्यक्ष बातचीत जारी रह सकती है। इसके बाद अब ट्रंप ने कहा है कि अगर ईरान परमाणु समझौते पर नहीं पहुंच पाता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। ओवल ऑफिस में ईरान के साथ परमाणु समझौते पर बात करते हुए ट्रंप ने कहा, मैंने हाल ही में ईरान को एक पत्र भेजा था और मैंने कहा था, आपको किसी न किसी तरह से फैसला करना होगा और हमें या तो बात करनी होगी या फिर ईरान के साथ बहुत बुरी चीजें होने वाली हैं।
ईरान को चेतावनी देने के बाद ट्रंप ने बुरे परिणामों का जिक्र किया और कहा, मैं नहीं चाहता कि ऐसा हो। मेरी बड़ी प्राथमिकता यह है कि हम ईरान के साथ इस पर काम करें, लेकिन अगर हम इस पर काम नहीं करते हैं, तो ईरान के साथ बहुत बुरी चीजें होने वाली हैं। ट्रंप ने ईरान को एक पत्र लिखा था। इसके बाद ईरान ने इस पत्र का जवाब दिया। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा, हमारी नीति अधिकतम दबाव और सैन्य धमकियों के बीच सीधी बातचीत में शामिल नहीं होने की है। हालांकि, अप्रत्यक्ष बातचीत पहले की तरह जारी रह सकती है।
Iran Nuclear Weapon (ईरान के परमाणु संयंत्र पर ट्रंप ने क्या कहा)
जहां एक ओर ईरान और अमेरिका परमाणु समझौते को लेकर आमने-सामने आ गए हैं। वहीं, दूसरी ओर ईरान परमाणु हथियार होने से इनकार करता है, लेकिन ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर नजर रखने वाली सभी संस्थाओं का कहना है कि यह देश परमाणु बम हासिल करने से बस चंद कदम दूर है। संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था का कहना है कि ईरान ने किसी भी ऐसे देश से ज्यादा यूरेनियम का संवर्धन किया है जिसके पास बम नहीं है।
अमेरिका के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप लगातार बयान दे रहे हैं कि वे ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकेंगे। हालांकि, ट्रंप ने तेहरान के साथ बातचीत के जरिए समझौता करने पर भी जोर दिया है, लेकिन ईरान ने इस पर सीधी बातचीत करने से इनकार कर दिया है। व्हाइट हाउस में दूसरी बार पदभार संभालने के एक महीने के भीतर ही 5 फरवरी को ट्रंप ने ईरान पर ‘अधिकतम दबाव’ डालने से जुड़े एक आदेश पर दस्तखत कर दिए।
ईरान के मोहम्मद बघेर गालिबफ ने शुक्रवार को कहा, जब अमेरिका बातचीत की बात करता है, तो इसका सीधा मतलब देश के हथियारों की संख्या कम करना (निरस्त्रीकरण) होता है। हमारे लोग समझते हैं कि खतरे के बीच बातचीत सिर्फ अपनी इच्छा थोपने का दिखावा है। कोई भी समझदार देश इसे स्वीकार नहीं करेगा। इससे पहले 7 फरवरी, 2025 को अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा था कि अमेरिकी सरकार के साथ बातचीत ‘समझदारी और सम्मानजनक नहीं है’।
ईरान की न्यूज एजेंसी इरना के मुताबिक ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने कहा, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को किसी भी सैन्य हमले से नष्ट नहीं किया जा सकता। हमने यह तकनीक हासिल कर ली है और दिमाग में मौजूद तकनीक को बम से नष्ट नहीं किया जा सकता। साथ ही 2 मार्च को ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने कहा कि वह अमेरिका के साथ बातचीत के पक्ष में हैं लेकिन सुप्रीम लीडर के विरोध के बाद वह अपनी बात पर अमल करेंगे।