India News (इंडिया न्यूज), Iran-Israel dispute: रविवार सुबह ईरान द्वारा इजराइल पर दागी गई मिसाइलों के बाद पूरे खाड़ी क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में तनाव देखा जा रहा है। लेकिन, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यहां से हालात बिगड़ने की आशंका कम है। एक वजह तो यह है कि ईरान ने खुद ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश देना शुरू कर दिया है कि वह हालात को और खराब करने के पक्ष में नहीं है।
इसे इजराइल की जीत के तौर पर भी चिन्हित किया जा रहा है। दूसरा बड़ा कारण यह है कि अमेरिका और अन्य सहयोगी देश इजराइल को यह समझाने में पूरी तरह लगे हुए हैं कि उसकी तरफ से किया गया हमला काफी व्यापक असर डाल सकता है। इसका असर न सिर्फ युद्ध के रूप में दिखेगा, बल्कि भारत जैसे देशों को युद्ध में सीधे तौर पर शामिल न होते हुए भी भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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पूर्व राजदूत और कूटनीतिक विशेषज्ञ अशोक सज्जनहार का मानना है कि, ‘ईरान द्वारा इजराइल पर हमला काफी हद तक वहां की सरकार द्वारा अपने घरेलू मोर्चे पर एक संदेश देने की कोशिश थी। दमिश्क (सीरिया) में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर इज़रायल के घातक हमले के बाद ईरानी सरकार पर कार्रवाई करने का दबाव था। निश्चित तौर पर यह पहली बार है कि ईरान ने सीधे तौर पर इजराइल पर हमला किया है। लेकिन हमले के तरीके को देखकर ऐसा लगता है कि इसका इरादा गंभीर नुकसान पहुंचाना नहीं बल्कि सिर्फ एक संदेश भेजना था।
यह भी देखा जाना चाहिए कि इस हमले के तुरंत बाद ईरान ने घोषणा की है कि उसकी ओर से कोई दूसरा हमला नहीं किया जाएगा। मेरा मानना है कि ईरान अच्छी तरह से जानता है कि अगर इजराइल और उसके सहयोगी देशों ने कार्रवाई की तो वह बच नहीं पाएगा। ऐसे में ईरान की ओर से मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति को और खराब करने की कोई कोशिश नहीं की जाएगी। देश के एक और प्रमुख रणनीतिक विश्लेषक ब्रह्मा चेलानी ने सोशल मीडिया एक्स में लिखा, ‘ईरान ने जवाबी हमले से पहले कई बार चेतावनी दी थी। जिससे ऐसा लगता है कि यह एक पूर्व नियोजित दिखावा था।
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इसका मकसद कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए ज्यादा से ज्यादा ड्रामा क्रिएट करना रहा है। इनकी प्लानिंग इस तरह से की गई थी कि इजरायल और अमेरिका के एयर सिस्टम इन्हें रोक सकें। बता दें कि ईरानी सरकार ने जानकारी दी है कि इजराइल पर दो तरह की कुल 267 घरेलू निर्मित ड्रोन मिसाइलें दागी गई हैं। इजराइल ने कहा है कि लगभग सभी ड्रोन मिसाइलों को लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही नष्ट कर दिया गया है। भारत ने भी इस हमले पर तुरंत प्रतिक्रिया दी और दोनों देशों से संयम बरतने और शांति लाने को कहा। हालाँकि, ईरान के ख़िलाफ़ इज़रायल की ओर से जवाबी कार्रवाई की संभावना अभी भी बनी हुई है।
सज्जनहार का कहना है कि अगर इजराइल की ओर से कार्रवाई की गई तो बहुत संभव है कि यह सीमित नहीं रहेगी। भारत पर भी इसका बड़ा असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। भारत के इज़राइल और ईरान दोनों के साथ बहुत अच्छे द्विपक्षीय संबंध हैं। इजराइल भारत का रणनीतिक साझेदार है। जबकि ईरान से ऐतिहासिक रिश्ता है। भारत ईरान में चाबहार बंदरगाह विकसित कर रहा है जो हमारे रणनीतिक हितों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ईरान में भी करीब 10 हजार भारतीय रहते हैं जबकि इजराइल में 20 हजार भारतीय हैं।
युद्ध की स्थिति में ईरान अपने जल क्षेत्र से गुजरने वाले जहाजों पर प्रतिबंध लगा सकता है या उन्हें अपने कब्जे में ले सकता है। उसके पास अभी भी एक जहाज है। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और इसकी आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है क्योंकि भारत अपनी तेल की जरूरतों का ज्यादातर हिस्सा खाड़ी देशों से लेता है। हाल के वर्षों में हमने खाड़ी के सभी देशों के साथ संबंधों पर बहुत ध्यान दिया है। यूएई के साथ मुक्त व्यापार समझौता हुआ है। ओमान से बातचीत चल रही है। हम खाड़ी क्षेत्र के रास्ते भारत से यूरोप तक कनेक्टिविटी परियोजना स्थापित करना चाहते हैं। इन सभी पर असर संभव है।
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