India News (इंडिया न्यूज़), Luna 25 Crash, मॉस्को: अंतरिक्ष यान के चंद्रमा पर लूना-25 के क्रैश होते ही रूस की उम्मीदें भी धराशायी हो गई हैं। पिछले 47 साल में रूस की स्थापना के बाद यह पहला मून मिशन था। इस मिशन पर काम करने वाले रूस के प्रमुख भौतिकविद और खगोलविदों में से एक को लूना-25 के क्रैश होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल में भर्ती हुए वैज्ञानिक का नाम मिखाइल मारोव बताया जा रहा है। वह 90 साल के हैं। इसके बावजूद भी वह इस मिशन में बतौर खगोलशास्त्री मदद कर रहे थे। लूना-25 को चांद पर इसी जगह लैंड होना था। जहां पर भारत के चंद्रयान-3 को लैंड होना है।

लूना-25 के क्रैश होते ही लगा वैज्ञानिक को सदमा

खबर के मुताबिक, लूना-25 के क्रैश होने के बाद 90 वर्षीय मिखाइल मारोव को अचानक से कमजोरी महसूस होने लगी। इस मिशन के फेल होने का उन्हें इतना ज्यादा सदमा लगा कि तुरंत उन्हें अस्पताल लेकर जाना पड़ा। रूसी न्यूज चैनल आरबीसी और मोस्कोवस्की कोम्सोमोलेट्स अखबार से मिखाइल ने बात करते हुए कहा कि चांद की सतह पर लूना-25 का दुर्घटनाग्रस्त होना उनके लिए किसी बड़ा झटके से कम नहीं था। इससे उनके स्वास्थ पर काफी असर पड़ा है।

वैज्ञानिक ने बयां किया अपना दर्द

मिखाइल मारोव ने इसे लेकर कहा, “मैं निगरानी में हूं। मैं चिंता कैसे नहीं कर सकता, यह काफी हद तक जीवन का मामला है। उन्होंने मॉस्को में क्रेमलिन के पास स्थित सेंट्रल क्लिनिकल अस्पताल में मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह सब बहुत कठिन है। मिखाइल ने सोवियत संघ के पिछले अंतरिक्ष अभियानों पर काम किया था और लूना-25 मिशन को अपने जीवन का निचोड़ बताया था। यह दुखद है कि अंतरिक्ष यान को उतारना संभव नहीं हो सका। मेरे लिए, शायद, यह हमारे चंद्र कार्यक्रम के फिर से जागते हुए देखने की आखिरी उम्मीद थी।”

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