इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Minority killing in Pakistan: पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान भारत के अल्पसंख्यकों से झूठी हमदर्दी जताने हैं, लेकिन अपने देश के अल्पसंख्यकों की जान की रक्षा (Minority killing in Pakistan) भी नहीं कर पाते। ताजा घटना पेशावर की है, जहां गुरुवार को हमलावरों ने यूनानी पद्धति से चिकित्सा करने वाले एक सिख हकीम की उसके ही क्लीनिक में घुसकर गोली मारकर हत्या (Minority killing in Pakistan) कर दी। पाकिस्तान पुलिस के अनुसार हकीम सरदार सतनाम सिंह (खालसा) को अज्ञात हमलावरों ने चार गोलियां मारीं, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
हमला करने के बाद हमलावर घट्नास्थल से फरार हो गए। हत्या का कारण अभी स्पष्ट नहीं हैं। पुलिस सभी पहलुओं से हत्या की जांच कर रही है, जिनमें आतंकवाद का पहलू भी शामिल है। सतनाम सिंह पेशावर के सिख समुदाय के जानेमाने नाम थे और चरसाद्दा रोड पर धरमांदर फामेर्सी नामक क्लीनिक का संचालन करते थे। पेशावर में करीब 15 हजार सिख रहते हैं, जिनमें से ज्यादातर प्रांतीय राजधानी के करीबी जोगन शाह में बसे हुए हैं। ज्यादातर सिख कारोबार करते हैं, जबकि कुछ फामेर्सी का भी संचालन करते हैं।
Minority killing in Pakistan
आपको याद होगा कि वर्ष 2018 में पेशावर निवासी चरणजीत सिंह की भी इसी प्रकार हत्या कर दी गई थी। इसी प्रकार वर्ष 2016 में पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के नेशनल एसेंबली सदस्य सोरेन सिंह व वर्ष 2020 में शहर के न्यूज एंकर रविंदर सिंह की भी हत्या हो चुकी है। वर्ष 2017 की जनगणना के अनुसार हिंदू पाकिस्तान में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है, जबकि ईसाई दूसरे नंबर पर आता है। सिख, अहमदी व पारसी भी अल्पसंख्यक समुदाय में शामिल हैं।
धार्मिक अल्पसंख्यकों को अपने अधिकारों की क्रूरता का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें न केवल उनके पूजा स्थलों की बर्बरता शामिल है, बल्कि उनके घरों पर हमला और उनकी संपत्ति के अवैध अधिग्रहण ने सबको दुखी किया है। वे नियमित रूप से व्यक्तिगत दुश्मनी से लेकर पेशेवर या आर्थिक प्रतिद्वंद्विता तक बड़े पैमाने पर हिंसा का टारगेट बन जाते हैं।
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