India News (इंडिया न्यूज),UN:संयुक्त राष्ट्र को दुनिया का सबसे भरोसेमंद और प्रभावशाली संगठन माना जाता है। जो दुनिया भर में न्याय, शांति और सुरक्षा की बात करता है। जब भी किसी देश में संघर्ष की स्थिति बनती है या लोगों को मानवीय मदद की जरूरत होती है, तो संयुक्त राष्ट्र वहां अपना शांति मिशन तैनात करता है। लेकिन अब एक चौंकाने वाली रिपोर्ट ने इसी संगठन की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024 में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन और राजनीतिक अभियानों से जुड़े यौन शोषण और दुराचार के 100 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। यह आंकड़ा बेहद चिंताजनक है, क्योंकि पिछले 10 सालों में यह तीसरी बार है, जब ऐसे मामलों की संख्या 100 से ज्यादा पहुंची है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने खुद यह जानकारी साझा की है। रिपोर्ट के चौंकाने वाले आंकड़े संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2024 में शोषण और बलात्कार के मामलों में 125 पीड़ितों की पहचान की गई है। इनमें 98 वयस्क और 27 बच्चे शामिल हैं। हालांकि यह संख्या 2023 में दर्ज 145 पीड़ितों से कम है, लेकिन फिर भी यह चिंता का विषय बनी हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, कुल 102 आरोपों में से 82 प्रतिशत केवल दो संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों से संबंधित हैं। पहला है – कांगो जहां 44 मामले दर्ज किए गए। और दूसरा है – मध्य अफ्रीकी गणराज्य जहां 40 मामले दर्ज किए गए। इन दोनों देशों में तैनात संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों पर पहले से ही गंभीर यौन शोषण और बाल यौन शोषण के आरोप लग चुके हैं। इसके अलावा दक्षिण सूडान, लेबनान, हैती, कोलंबिया और अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशनों में भी यौन दुराचार के मामले सामने आए हैं।
Sexual abuse allegations in a report U.N. peacekeeping and political missions
रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह है कि 65 महिलाओं ने दावा किया है कि वे बलात्कार की शिकार थीं और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सैनिकों के बच्चों को जन्म दिया। इन महिलाओं ने अब बच्चों की परवरिश और पिता की पहचान के लिए सहायता की मांग की है।संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2006 से पितृत्व और बाल सहायता से संबंधित लगभग 750 मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन इनमें से 500 से अधिक मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, फंड और कार्यक्रमों से जुड़े कर्मचारियों के खिलाफ यौन शोषण के 190 आरोप दर्ज किए गए हैं। हालांकि यह संख्या 2023 में दर्ज 284 मामलों से कम है, लेकिन फिर भी यह चिंताजनक है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रमों के तहत काम करने वाले गैर-संयुक्त राष्ट्र कर्मियों के खिलाफ 382 आरोप लगाए गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने अपने कर्मचारियों के लिए यौन दुराचार से बचने के लिए प्रशिक्षण लागू किया है, लेकिन 2024 में किए गए एक सर्वेक्षण में 64,585 संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों में से 3.65% यानी 2,360 कर्मचारियों ने माना है कि पैसे देकर यौन संबंध बनाना जायज है। वहीं, 1% यानी 555 कर्मचारियों ने कहा कि बच्चों के साथ यौन गतिविधि में शामिल होना ठीक है। ये आंकड़े यूएन के लिए बेहद शर्मनाक हैं और इसकी नीति-निर्माण पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
इस रिपोर्ट ने यूएन नेतृत्व में बढ़ते अविश्वास को भी उजागर किया है। 2024 के सर्वे में 6% कर्मचारियों यानी 3,700 ने कहा कि उन्हें यौन शोषण और दुराचार से जुड़े मामलों को सही तरीके से संभालने की यूएन नेताओं की क्षमता पर भरोसा नहीं है। 2023 में यह आंकड़ा 3% था, यानी एक साल में यह दोगुना हो गया है। रिपोर्ट कहती है कि यह बढ़ता अविश्वास इस बात का साफ संकेत है कि यूएन के वरिष्ठ अधिकारियों को अपने नेतृत्व को और अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाने की जरूरत है।
एंटोनियो गुटेरेस ने सदस्य देशों से इस गंभीर मुद्दे के समाधान के लिए अपने सैनिकों और कर्मियों को जवाबदेह बनाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यूएन नेतृत्व को व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यौन शोषण के मामलों को गंभीरता से लिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मामलों से पैदा हुए बच्चों को नागरिकता समेत उनके सभी अधिकार दिए जाने चाहिए।