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India News (इंडिया न्यूज),US:अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की शानदार जीत के बाद चीन से लेकर कनाडा तक दुनिया के कई देश उनकी संभावित सख्त नीतियों के कारण चिंतित हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका फर्स्ट की नीति अपनाई है। यानी वह हर चीज में अमेरिकी हितों को प्राथमिकता देते हैं। अपने पिछले कार्यकाल में उन्होंने चीन के प्रति काफी आक्रामक रुख अपनाया था। उन्होंने इसे अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा तक करार दिया था। वहीं दूसरी ओर कनाडा की मौजूदा सरकार के प्रति भी उनका रुख काफी आक्रामक है। वह कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो को फिदेल कास्त्रो की नाजायज संतान तक कह चुके हैं। वह पाकिस्तान को भी नहीं बख्शते। ऐसे में दुनिया के कई देश उनकी नीतियों को लेकर आशंकित हैं। वहीं दूसरी ओर भारत है। वह डोनाल्ड ट्रंप की जीत से बिल्कुल भी विचलित नहीं है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खुद इस संबंध में बयान दिया है। रविवार को मुंबई में एक कार्यक्रम में जब जयशंकर से पूछा गया कि डोनाल्ड ट्रंप की जीत को लेकर कई देश आशंकित हैं तो उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका के साथ अपने संबंधों को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 11 सालों में तीन अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ काम कर चुके हैं। मोदी जब पीएम बनकर पहली बार अमेरिका गए थे तो उस समय वहां बराक ओबामा की सरकार थी। 2016 में डोनाल्ड ट्रंप वहां के राष्ट्रपति बने। पीएम मोदी ने उनके साथ भी मिलकर काम किया है।
फिर 2020 में जो बिडेन राष्ट्रपति बने। बिडेन के साथ भी पीएम मोदी के संबंध काफी अच्छे रहे। ऐसे में भले ही दुनिया के कई देश डोनाल्ड ट्रंप की जीत से परेशान हैं, लेकिन भारत खासकर पीएम मोदी पूरी तरह आश्वस्त हैं। जयशंकर ने आगे कहा कि शानदार जीत हासिल करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने सबसे पहले दुनिया के तीन बड़े नेताओं को फोन किया, जिनमें से एक पीएम मोदी भी हैं. इससे पता चलता है कि पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच संबंध कितने सहज हैं।
जहां तक भारत और अमेरिका के बीच संबंधों का सवाल है, दोनों देशों में प्रमुख पार्टियों के बीच पार्टी लाइन से इतर व्यापक सहमति है। अमेरिका में डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों की नीतियां भारत के संदर्भ में लगभग एक जैसी हैं। भारत में भी यही स्थिति है। यहां सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी कांग्रेस की नीतियां लगभग एक जैसी हैं। दोनों देशों में दोनों पार्टियों के कार्यकाल के दौरान संबंधों में कोई बड़ा उतार-चढ़ाव नहीं आया है। भारत और अमेरिका के बीच संबंध अब लोगों के बीच केंद्रित हो गए हैं। अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोगों की मौजूदगी इन नीतियों को प्रभावित करती है।
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