India News (इंडिया न्यूज),Pakistan:पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा पर एक अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के निमंत्रण के बावजूद इस कार्यक्रम में कोई शामिल नहीं हुआ। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई इस कार्यक्रम में शामिल हुईं। उन्होंने कहा कि वह अपने वतन पाकिस्तान वापस आकर खुश हैं। अक्टूबर 2012 में इलाज के लिए ब्रिटेन जाने के बाद मलाला की यह तीसरी पाकिस्तान यात्रा है।
पाकिस्तान में आयोजित इस शिखर सम्मेलन में मुस्लिम बहुल देशों के शिक्षा मंत्रियों और उनके नेताओं को एक साथ लाने की कोशिश की गई है। लेकिन अफगानिस्तान इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ। यह एकमात्र ऐसा देश है, जहां लड़कियों के स्कूल जाने पर प्रतिबंध है।
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यूसुफजई को 2012 में पाकिस्तानी तालिबान के एक आतंकवादी ने गोली मार दी थी। गोली लगने के बाद भी मलाला ने हार नहीं मानी। गोली लगने के बाद भी मलाला ने दुनिया में ऐसा नाम कमाया, जो आज हर लड़की के लिए प्रेरणा बन गया है। मलाला ने लड़कियों को शिक्षित करने के लिए संघर्ष किया और आज वह एक वैश्विक आइकन बन गई हैं। मलाला को उनके समर्पण और जुनून के कारण नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
रविवार को मलाला सम्मेलन को संबोधित करने वाली हैं। अपने माता-पिता के साथ सम्मेलन में पहुंचने पर यूसुफजई ने कहा कि मैं पाकिस्तान वापस आकर वास्तव में सम्मानित और खुश हूं। मलाला ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि मैं लड़कियों की शिक्षा पर एक महत्वपूर्ण सम्मेलन के लिए दुनिया भर के मुस्लिम नेताओं से जुड़ने के लिए उत्साहित हूं।
उन्होंने कहा कि रविवार को मैं सभी लड़कियों के स्कूल जाने के अधिकार के बारे में बात करूंगी। उन्होंने कहा कि मैं इस बारे में भी बात करूंगी कि नेताओं को अफगान महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ उनके अपराधों के लिए तालिबान को क्यों जवाबदेह ठहराना चाहिए।
पाकिस्तान के शिक्षा मंत्री खालिद मकबूल सिद्दीकी ने कहा कि इस्लामाबाद ने काबुल को आमंत्रित किया था। लेकिन इसके बाद भी अफगान सरकार का कोई प्रतिनिधि सम्मेलन में शामिल नहीं हुआ।सऊदी मौलवी और मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव मुहम्मद अल-इसा ने शिखर सम्मेलन का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि लड़कियों को स्कूल जाने से रोकने के लिए धर्म कोई आधार नहीं है।उन्होंने कहा, “पूरा मुस्लिम जगत इस बात पर सहमत है कि लड़कियों की शिक्षा महत्वपूर्ण है। जो लोग कहते हैं कि लड़कियों की शिक्षा गैर-इस्लामी है, वे गलत हैं।”