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पंजशीर में पाक ने किए थे ड्रोन से हमले, अमरुल्ला सालेह ताजिकिस्तान भागे

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली: पंजशीर में तालिबान ने पूर्ण कब्जे का दावा किया है। लेकिन यह तालिबान की जीत नहीं है। तालिबान ने तो पंजशीर के लड़ाकों के आगे घुटने टेकने शुरू कर दिए थे। पंजशीर में तालिबान की स्थिति कमजोर होते देख पाकिस्तान ने एंट्री ले ली और पाक एयरफोर्स ने पंजशीर के लड़ाकों […]

BY: India News Editor • UPDATED :
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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
पंजशीर में तालिबान ने पूर्ण कब्जे का दावा किया है। लेकिन यह तालिबान की जीत नहीं है। तालिबान ने तो पंजशीर के लड़ाकों के आगे घुटने टेकने शुरू कर दिए थे। पंजशीर में तालिबान की स्थिति कमजोर होते देख पाकिस्तान ने एंट्री ले ली और पाक एयरफोर्स ने पंजशीर के लड़ाकों पर हवाई हमले शुरू कर दिए। ऐसी भी खबर है कि रविवार को पाक के सीएच-4 ड्रोन ने पंजशीर में एक गाड़ी पर दो मिसाइल दागीं। इसमें रेजिस्टेंस के प्रवक्ता फहीम दश्ती और पांच अन्य लड़ाकों की मौत हो गई। दश्ती पेशे से पत्रकार थे और 15 अगस्त तक काबुल डेली के संपादक भी थे। अहमद मसूद के करीबी और पंजशीर बलों के प्रमुख सालेह मोहम्मद रेगिस्तानी भी हमलों में मारे गए।
वहीं पाक एयरफोर्स ने पंजशीर में रजिस्टेंस के प्रमुख नेता और देश के पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह जिस घर में ठहरे थे, उस पर भी हमला किया। इसके बाद सालेह को ताजिकिस्तान निकलना पड़ा। जबकि अहमद मसूद पंजशीर में ही सुरक्षित ठिकाने पर हैं लेकिन पंजशीर अब तालिबान के कब्जे में आ गया है।

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अफगानिस्तान की सरकार में हो सकती है पाक की हिस्सेदारी

पाकिस्तान तालिबान की हर मुश्किल दौर में अफगानिस्तान पर कब्जा करने की जंग में साथ देता आया है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भी तालिबान की दिल खोलकर मदद की है। वह समय-समय पर तालिबान को पैसा, ट्रेनिंग और हथियार देती आई है। इन सबके पीछे यह सवाल उठता है कि आखिर क्यों पाकिस्तान तालिबान की इतनी मदद कर रहा है। दरअसल पाकिस्तान अब अफगानिस्तान में तालिबान की बनने वाली सरकार में हिस्सेदारी चाहता है। इसी कारण आईएसआई चीफ भी अफगानिस्तान आ गए हैं।

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