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India News (इंडिया न्यूज़), Pakistan Election: अगले 24 घंटे पाकिस्तान के लोकतंत्र और उसके भविष्य के लिए सबसे अहम माने जा रहे हैं। दरअसल, पाकिस्तान में गुरुवार को आम चुनाव हो रहे हैं। इन आम चुनावों के चलते दुनिया के सभी प्रमुख देशों की नजरें पाकिस्तान पर हैं। दरअसल अमेरिकी विदेश विभाग ने पाकिस्तान में होने वाले चुनाव की प्रक्रिया में ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ की बात कही है। विदेश मामलों के जानकारों का कहना है कि जिस तरह से पाकिस्तान में चुनाव के नतीजों को लेकर पहले से ही अटकलें लगाई जा रही हैं, उससे वहां चुनाव होने का कोई मतलब नहीं दिखता। फिलहाल आम चुनाव को पाकिस्तान के लिए अपनी खस्ताहाल अर्थव्यवस्था और आर्थिक संबंधों वाले देशों के साथ मजबूत रिश्ते बनाने की अहम कोशिश माना जा रहा है।
पाकिस्तान में गुरुवार को होने वाले चुनाव पर दुनिया के तमाम देशों की नजर है। विदेश मामलों के विशेषज्ञ और भारतीय विदेश सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी एसएन सिंह का कहना है कि पाकिस्तान के मौजूदा हालात में चुनाव महज दिखावा लग रहा है। उनका कहना है कि जिस तरह से पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पर प्रतिबंध लगाया गया और उसके बाद नवाज शरीफ की पाकिस्तान वापसी हुई, उससे आगामी चुनाव के नतीजों की तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाती है। एसएन सिंह का कहना है कि दरअसल पाकिस्तान चुनाव को लेकर एक तरह से दिखावा कर रहा है। क्योंकि पाकिस्तान पूरी दुनिया के सामने लोकतंत्र होने का दंम भरना चाहता है। उनका कहना है कि दरअसल पाकिस्तानी सेना विशेष परिस्थितियों में चुनाव कराने में रुचि रखती है।
पाकिस्तान में होने वाले चुनावों के चलते वहां के लोग मान रहे हैं कि खस्ताहाल हो चुकी अर्थव्यवस्था में सुधार की गुंजाइश है। जबकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर और एशियाई मामलों के विशेषज्ञ अभिषेक प्रताप सिंह का कहना है कि पाकिस्तान के चुनाव का मकसद महज लोकतंत्र का ढिंढोरा पीटना है। उनका कहना है कि जिस तरह से अमेरिका और आईएमएफ जैसी अहम एजेंसियां पाकिस्तान में चुनाव पर नजर रख रही हैं, उसके कई मायने हैं। अभिषेक के मुताबिक, अगर पाकिस्तान में निष्पक्ष चुनाव होते तो शायद दुनिया की बड़ी एजेंसियां उसे खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से उबरने में मदद करतीं। लेकिन अब न तो चुनाव में पारदर्शिता है और न ही लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों के बाद पाकिस्तान अमेरिका समेत दूसरे देशों के आगे हाथ फैलाएगा और लोकतंत्र के नाम पर मदद मांगेगा।
विदेशी मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान में होने वाले चुनावों में निष्पक्षता की उम्मीद नहीं की जा सकती। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में लड़ रहे बीएलए के प्रवक्ता सरफराज खरोशी कहते हैं कि दरअसल पाकिस्तान की राजनीति में पंजाब प्रांत का सबसे ज्यादा प्रभाव है। खरोशी के मुताबिक इस बार भी गुरुवार को होने वाले आम चुनाव में बलूचिस्तान से नगण्य भागीदारी होनी तय है। उनका कहना है कि पाकिस्तान में सेना प्रमुख और नवाज शरीफ पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से आते हैं। बिलावल अली भुट्टो सिंध से हैं। जबकि इमरान खान पेशावर से हैं और खैबर पख्तूनख्वा से आते हैं। उनका कहना है क्योंकि पाकिस्तान में इस वक्त सेना अपनी मर्जी से चुनाव करा रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि नवाज शरीफ की पार्टी आम चुनाव में जीत हासिल करेगी। दरअसल, सेना और शरीफ पंजाब कनेक्शन का फायदा उठाना चाहते हैं।
विदेश मामलों के विशेषज्ञ ब्रिगेडियर सतनाम सिंह संधू का कहना है कि पाकिस्तानी सेना अपनी पसंद का प्रधानमंत्री चाहती है। शुरुआती दौर में इमरान खान ने सेना के साथ थोड़ा तालमेल बिठाया। लेकिन बाद में जब हालात बिगड़ गए तो नवाज शरीफ को लंदन से पाकिस्तान में प्रवेश कराया गया ब्रिगेडियर संधू का कहना है कि पाकिस्तान के मौजूदा हालात में पाकिस्तानी सेना ने अपना पूरा दांव नवाज शरीफ पर लगाया है। ऐसे में पूरी दुनिया को पहले से ही पता है कि चुनाव नतीजे किसके पक्ष में होंगे। हालांकि उनका मानना है कि पाकिस्तानी सेना और न्यायपालिका ने मिलकर करीब ढाई साल पहले ही चुनाव की पटकथा लिखनी शुरू कर दी थी, जिसके नतीजे इस चुनाव के बाद आएंगे।
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