India News (इंडिया न्यूज), Pakistan Moon Mission: पाकिस्तान ने चीन की मदद से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना रोवर भेजने का ऐलान किया है। इस रोवर को पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी SUPARCO बना रही है। ये दावा कंगाल पाकिस्तान कर रहा है। जिसमें पाकिस्तान के लिए खाना-पानी खरीदने के लिए भी जेब में पैसे नहीं हैं। इसीलिए जनता भी शाहबाज का मजाक उड़ा रही है। पाकिस्तानी कह रहे हैं कि हम तो चांद पर रह ही रहे हैं। तुम्हें पता नहीं, तो फिर हम चांद पर कैसे रह रहे हैं? अच्छा, बताओ- चांद पर ऐसा क्या है जो यहां नहीं है?
बहस में शामिल एक और पाकिस्तानी बोला, मतलब मैं तुम्हारी बात समझ नहीं पाया? फिर तीसरा बोला- ‘चांद पर पानी है क्या? अगर नहीं है, तो यहां भी नहीं है? वहां पेट्रोलियम गैस नहीं है, यहां भी नहीं है। इसी तरह चांद पर बिजली नहीं है, तो यहां रोशनी तो है, लेकिन आती नहीं। पाकिस्तान की स्थिति भी बद से बदतर होती जा रही है। वैसे तो हम पाकिस्तानियों को इस समय आगे होना चाहिए था, लेकिन अफसोस की बात है कि हम पीछे होते जा रहे हैं।
Pakistan Moon Mission
चांद का सपना देखने वाले शाहबाज को पाकिस्तानी जनता कोस रही है। क्योंकि पाकिस्तान में लोगों को चांद मिशन नहीं, रोटी और बिरयानी चाहिए। शाहबाज शरीफ ने चांद पर जाने के बारे में ऊंची-ऊंची बातें करके सपने दिखाए थे, लेकिन पाकिस्तानियों के बीच ऐसा यथार्थवादी माहौल नहीं बन पाया, जैसा भारत में हुआ।
पाकिस्तानी जनता का एक बहुत बड़ा वर्ग जागरूक है, वो हवा में नहीं जीता। पढ़े-लिखे पाकिस्तानी मानते हैं कि जो भी खबरें चल रही हैं, जो भी प्रचार हो रहा है, वो जनता को बेवकूफ बनाने के लिए किया जा रहा है कि पाकिस्तान ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भी बहुत तरक्की की है। भारत चंद्रयान तक पहुंच गया है, तो मूर्ख लोग कहने लगे कि भारत ने ये सारे वीडियो AI से बनाए हैं। कोई अंतरिक्ष यान चांद पर नहीं गया है। इसलिए पाकिस्तानी लोगों को समझाना पड़ रहा है कि अगर भारतीय जा सकते हैं, तो हम क्यों नहीं जा सकते?
पाकिस्तान के दावे के मुताबिक, शाहबाज ने चांद पर रोवर भेजने के लिए चीनी अंतरिक्ष एजेंसी के साथ समझौता किया है। इस समझौते पर पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ जरदारी ने हस्ताक्षर किए हैं। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक पाकिस्तान का पहला स्वदेशी चंद्र रोवर चीन के चांग-ए-8 मिशन का हिस्सा बनाया जाएगा। जिसे साल 2028 में लॉन्च किया जाना है। यानी यह पाकिस्तान का रोवर होगा, लेकिन पाकिस्तान की अंतरिक्ष एजेंसी इसे ऊपर नहीं भेजेगी, बल्कि चीन इसे चांद पर ले जाएगा।
इस खबर के बाद पड़ोसी देश के यूट्यूब चैनलों पर इसका खूब प्रचार-प्रसार किया गया और इस खबर का पोस्टमार्टम किया गया जिसमें व्यंग्यात्मक लहजे में यहां तक कहा गया कि हो सकता है कि पाकिस्तान ने चीन से एक कटोरी में पुराना रोवर मंगाया हो और उस पर अपना झंडा लगाकर उसे चांद पर भेजने का सपना देख रहा हो। क्योंकि जिस देश में डीजल-पेट्रोल की कमी के कारण सेना का काम और युद्ध अभ्यास बंद हो सकता है, उसकी अंतरिक्ष एजेंसी और उसे चलाने वालों की क्या हालत होगी? कोई देश चांद पर अपना रोवर कैसे भेज सकता है, जब उसकी आधी से ज्यादा आबादी गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी के कारण एक वक्त के खाने पर समय गुजारने को मजबूर हो?