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Pakistan: कंगााल पाकिस्तान के पास वेतन देने के भी पैसे नहीं, विश्वविद्यालय में धरने पर बैठे शिक्षक

BY: Himanshu Pandey • LAST UPDATED : January 17, 2024, 11:41 pm IST
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Pakistan: कंगााल पाकिस्तान के पास वेतन देने के भी पैसे नहीं, विश्वविद्यालय में धरने पर बैठे शिक्षक

Pakistan: पाकिस्तान इस समय कंगाली की दौर से गुजर रहा है जिसकी हालत बद से भी बदतर हो गई है। यह दुनिया का इकलौता देश है, जो धर्म के नाम पर झूठी शान में बर्बाद होता रहा है। इसका सबूत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में देखने को मिल रहा है। पाकिस्तान यूं तो पीओके का सबसे बड़ा हमदर्द बनने का दावा करता रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि यहां के शिक्षक पिछले कई महीनों से अपने वेतन के लिए तरस रहे हैं। हालात यहां तक पहुंच गया हैं कि शिक्षक पढ़ाना-लिखाना छोड़कर अपने वेतन के लिए धरने पर आ गए है। उनकी मांग है कि पिछले बकाए के साथ उनका पूरा वेतन मिले, जिससे वह अपनी आजीविका चला सकें।

शिक्षको को नही मिला पूराना बकाया वेतन

बता दें कि, विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने लंबे समय से लंबित वेतन वृद्धि की मांग करते हुए और प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) क्षेत्र के बाग शहर में पाकिस्तान प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।कैंपस के मैदान में प्रदर्शनकारियों को अपने प्रदर्शन के दौरान बड़े-बड़े पोस्टर और तख्तियां ले जाते देखा गया। उन्होंने कहा है कि, उन्हें काफी समय से वेतन वृद्धि नहीं मिली है और पुराना बकाया वेतन भी नहीं दिया गया है।

प्रदर्शनकारी विश्वविद्यालय शिक्षकों ने कहा

एक साइट पर बोलते हुए प्रदर्शनकारी विश्वविद्यालय शिक्षकों में से एक ने कहा कि, साल 2021 में, हमें 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी मिली। लेकिन हमें यह केवल छह महीने बाद मिली और हमें अभी भी पिछला बैकलॉग नहीं मिला है। 2022 में, 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। बढ़ोतरी तो दे दी गई लेकिन पिछला बैकलॉग फिर से नहीं दिया गया। क्या यह अक्षमता नहीं है? आप (पाकिस्तान प्रशासन) अपना काम नहीं कर रहे हैं और जब मैं अपना अधिकार मांग रहा हूं तो इसे कदाचार कैसे कहा जा सकता है?”

विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को पहुंचाया जा रहा नुकसान

एएनआई से मिली जानकारी के अनुसार, इसको लेकर एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि, आज, अगर यह कहा जा रहा है कि विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा और माहौल को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, तो प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए और सोचना चाहिए कि इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, “जब तक हम अपने अधिकारों के लिए खड़े नहीं होंगे, कोई भी हमें थाली में सजाकर नहीं देगा।”

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