संबंधित खबरें
विश्व में भारतीय सेना का बजा डंका, इस हिंदू राष्ट्र ने सैन्य प्रमुख को किया मानद उपाधि से सम्मानित, फिर बिलबिला उठेगा चीन
शख्स दोस्तों के साथ मना रहा था अपना Birthday…तभी हुआ कुछ ऐसा भारत में मच गई चीख पुकार, मामला जान नहीं होगा विश्वास
ICC के फैसले का नहीं पढ़ रहा नेतन्याहू पर असर, लेबनान में लगातार बह रहा मासूमों का खून…ताजा हमलें में गई जान बचाने वालों की जान
पीएम जस्टिन ट्रूडो को आई अकल, भारतीयों के सामने झुकी कनाडा की सरकार…एक दिन बाद ही वापस लिया ये फैसला
जहां पर भी फटेगा परमाणु बम…तबाह हो जाएगा सबकुछ, यहां जाने उस विनाश और उसके प्रभाव के बारे में
अगर दोस्त पुतिन ने फोड़ा परमाणु बम…तो भारत पर क्या होगा असर? मिट जाएगा इन देशों का नामो-निशान
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें (UNGA) सत्र के दौरान तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (President of Turkey) ने अपने भाषण के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठाया था। इसी का जवाब देते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने उन्हें साइप्रस के मुद्दे पर घेर लिया। आपको बता दें कि तुर्की ने साइप्रस के बड़े हिस्से पर कई दशक से अवैध कब्जा जमाया हुआ है। इस मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव भी पारित किया हुआ है, लेकिन तुर्की ने इसे मानने से इनकार कर दिया है।
आज विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साइप्रस के विदेश मंत्री निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स के साथ द्विपक्षीय बैठक की। बातचीत के दौरान उन्होंने साइप्रस के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। जयशंकर ने क्रिस्टोडौलाइड्स के साथ अपनी मुलाकात के बारे में बुधवार को ट्वीट करते हुए कहा है कि हम आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। सभी को साइप्रस के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों का पालन करना चाहिये।
तुर्की के राष्ट्रपति (President of Turkey) एर्दोगन ने मंगलवार को सामान्य चर्चा में अपने संबोधन में कहा कि हमारा मानना है कि कश्मीर को लेकर 74 साल से जारी समस्या को दोनों पक्षों को संवाद तथा संयुक्त राष्ट्र के प्रासंगिक प्रस्तावों के जरिये हल करना चाहिये। एर्दोगन पहले भी संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठा चुके हैं, जिसपर भारत ने आपत्ति जताई थी।
साइप्रस में लंबे समय से चल रहे संघर्ष की शुरूआत 1974 में यूनान सरकार के समर्थन से हुए सैन्य तख्तापलट से हुई थी। इसके बाद तुर्की ने यूनान के उत्तरी हिस्से पर आक्रमण कर दिया था। भारत संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के तहत इस मामले के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करता रहा है।
तुर्की अब पाकिस्तान के बाद ‘भारत-विरोधी गतिविधियों’ का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र बनकर उभरा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कश्मीर और केरल समेत देश के तमाम हिस्सों में कट्टर इस्लामी संगठनों को तुर्की से फंडिंग हो रही है। एक सीनियर गवर्नमेंट अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्की भारत में मुसलमानों में कट्टरता घोलने और चरमपंथियों की भर्तियों की कोशिश कर रहा है। उसकी यह कोशिश दक्षिण एशियाई मुस्लिमों पर अपने प्रभाव के विस्तार की कोशिश है।
एर्दोगन (President of Turkeyने पिछले साल ऐतिहासिक हगिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में बदल दिया जो सन 1453 से पहले एक चर्च था। एर्दोगन मुस्लिम जगत में सऊदी अरब की बादशाहत को चुनौती देने की लगातार कोशिशों में लगे हुए हैं। पिछले साल उन्होंने मलयेशिया के तत्कालीन पीएम महातिर मोहम्मद और पाकिस्तान पीएम इमरान खान के साथ मिलकर नॉन-अरब इस्लामी देशों का एक गठबंधन तैयार करने की कोशिश भी की थी।
Must Read:- Afghanistan से लोकतांत्रिक सरकार की पूरी तरह छुट्टी
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.