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India News (इंडिया न्यूज), Saudi Arabia Uranium: दुनिया सऊदी अरब को ऊर्जा भंडार की आपूर्ति के लिए जानती है। यह दुनिया को कच्चा तेल सप्लाई करता है। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान कच्चे तेल पर अपनी निर्भरता खत्म करना चाहते हैं। अब यह इस्लामिक देश अपने सभी खनिजों का निर्यात करना चाहता है। सऊदी अरब अब दुनिया को यूरेनियम भी बेचने जा रहा है। दरअसल, देश के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुल अजीज बिन सलमान ने सोमवार (13 जनवरी, 2025) को कहा कि सऊदी अरब संवर्धित यूरेनियम निर्यात करने का इरादा रखता है। यह घोषणा सऊदी अरब की परमाणु महत्वाकांक्षाओं का ताजा संकेत है। सऊदी अरब लंबे समय से परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को विकसित करने में रुचि दिखा रहा है। इसने परमाणु सहयोग को लेकर अमेरिका से बातचीत की है।
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, मध्य पूर्व में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ईरान ही ऐसे देश हैं जिनके पास परमाणु ऊर्जा संयंत्र हैं। इसके अलावा मिस्र और तुर्की में परमाणु संयंत्र निर्माणाधीन हैं। यूएई अपने परमाणु रिएक्टरों की संख्या दोगुनी करने के उद्देश्य से एक और परमाणु संयंत्र बनाने की योजना बना रहा है। लेकिन उसने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह यूरेनियम का संवर्धन नहीं करेगा। सोमवार को धाहरन में इक्तवा सम्मेलन में बोलते हुए प्रिंस अब्दुल अजीज ने कहा कि सऊदी अरब महत्वपूर्ण खनिजों का क्षेत्रीय केंद्र बनना चाहता है। इसके लिए वह न केवल यूरेनियम बल्कि सभी खनिजों का मुद्रीकरण करने की योजना बना रहा है।
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अल अरबिया की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब के उप खनन मंत्री और सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी मा’अदेन के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि इस साल खनिजों की खोज के लिए 50,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की नीलामी शुरू की जाएगी। यह 2024 में नीलाम किए गए 10,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र से पांच गुना बड़ा होगा। हालांकि, उन्होंने नीलामी के बारे में कोई खास जानकारी नहीं दी। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय खनिज अन्वेषण में निजी निवेश को सालाना 400 मिलियन सऊदी रियाल से बढ़ाकर 700 मिलियन सऊदी रियाल करना चाहता है।
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, यूरेनियम एक रेडियोधर्मी तत्व है जो पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, यह उतना दुर्लभ नहीं है जितना इसे माना जाता है। यह चट्टानों, मिट्टी, पानी और यहां तक कि हमारे शरीर में भी पाया जाता है। यह समय के साथ क्षय होता है और ऊर्जा छोड़ता है। इसकी ऊर्जा का उपयोग विकास और विनाश दोनों के लिए किया जा सकता है। यूरेनियम का उपयोग परमाणु ऊर्जा, परमाणु हथियार, अनुसंधान और चिकित्सा क्षेत्रों में किया जाता है। मुर्गी के अंडे के आकार का यूरेनियम ईंधन 88 टन कोयले के बराबर बिजली पैदा कर सकता है।
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