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इंडिया न्यूज, मास्को:
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान में अमेरिका की भागीदारी की आलोचना की और कहा कि वहां उसने अपनी 20 साल लंबी सैन्य उपस्थिति से शून्य पाया है। 20 वर्षों तक, अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में वहां रहने वाले लोगों को सभ्य बनाने की कोशिश कर रही थी। इसका परिणाम व्यापक त्रासदी, व्यापक नुकसान के रूप में सामने आया। यह नुकसान दोनों को हुआ, ये सब करने वाले अमेरिका को और इससे भी अधिक अफगानिस्तान के निवासियों को। परिणाम, अगर नकारात्मक नहीं तो शून्य है।
पुतिन ने कहा कि बाहर से कुछ थोपना असंभव है। अगर कोई किसी के लिए कुछ करता है, तो उन्हें उन लोगों के इतिहास, संस्कृति, जीवन दर्शन के बारे में जानकारी लेनी चाहिए उनकी परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। रूस दस साल तक अफगानिस्तान में युद्ध लड़ता रहा और 1989 में सोवियत सैनिकों की वापसी हुयी। रूस ने पिछले कुछ वर्षों में मध्यस्थ के रूप में राजनयिक वापसी की है। अमेरिका का अफगानिस्तान से निकलने के बाद से रूस की सिरदर्दी भी बढ़ी हुई है। रूस नहीं चाहता है कि मध्य एशिया में कट्टरपंथी इस्लाम का फैलाव हो। और यही कारण है कि रूस ने ताजिकिस्तान जैसे देशों को तालिबान से सुरक्षा का भरोसा दिया है। इसी कड़ी में रूस ने ताजिकिस्तान स्थित अपने मिलिट्री अड्डे को मजबूत किया है और ताजिकिस्तान के बॉर्डर इलाके में सैन्य अभियास में जुटा हुआ है।
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