India News (इंडिया न्यूज), Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान की गरीबी पर जितना तरस चीन को आया है, उतना मुस्लिम देशों को भी नहीं आया है। पाकिस्तान को कर्ज देने में चीन सबसे आगे है। उसने विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को भी पीछे छोड़ दिया है। शाहबाज शरीफ सरकार को चीन को 29 अरब डॉलर लौटाने हैं। विश्व बैंक ने मंगलवार यानि 3 दिसंबर यह रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सऊदी अरब करीब 9.16 अरब डॉलर के कर्ज के साथ पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा कर्जदाता है। पाक विशेषज्ञ कमर चीमा ने भी पाकिस्तान की इस हालत पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि जिन देशों पर इतना कर्ज है, उनके सामने हमारी क्या स्थिति होगी।
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के कुल विदेशी कर्ज में चीन की हिस्सेदारी घटी है, जो 2023 में 25 फीसदी थी और अब घटकर सिर्फ 22 फीसदी रह गई है। 2023 में सऊदी अरब की हिस्सेदारी दो प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 7 फीसदी तक हो गई। वर्ल्ड बैंक द्वारा मंगलवार को जारी अंतरराष्ट्रीय ऋण रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, इस साल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले तीन देशों में पाकिस्तान भी शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक निर्यात और राजस्व के मुकाबले पाकिस्तान का कुल कर्ज कमजोर राजकोषीय स्थिति की ओर संकेत करता है। रिपोर्ट के कहती है कि 2023 में पाकिस्तान का कुल वैश्विक कर्ज 130.85 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो उसके कुल निर्यात का 352 प्रतिशत और GDP का 39 फीसदी है।
Pakistan Economic Crisis: चीन के कर्जे में डूबा पाकिस्तान
कमर चीम ने कहा, ‘यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है, क्योंकि पाकिस्तान निर्यात नहीं कर सकता। पाकिस्तान का कुल कर्ज 130 अरब डॉलर है, जिसमें से करीब 30 अरब डॉलर चीन का है। इससे अंदाजा लगाइए कि अगर पाकिस्तान को किसी देश को 30 अरब डॉलर देना पड़े तो उस देश के सामने हमारी स्थिति क्या होगी और हम कितने स्वतंत्र होंगे। यह बात पाकिस्तान और चीन दोनों के लिए अच्छी नहीं है। फिर सऊदी अरब है। हमने जहां भी कर्ज लिया है, हम कमजोर स्थिति में हैं।
उन्होंने कहा कि विश्व बैंक हमें बार-बार चेतावनी दे रहा है। कुल कर्ज में से 45 प्रतिशत या 59 बिलियन डॉलर द्विपक्षीय ऋणदाता हैं। 60 बिलियन डॉलर बहुपक्षीय ऋणदाता हैं, जिसमें विश्व बैंक और यहां-वहां के ऋणदाता शामिल होंगे। शेष 9 प्रतिशत हमारे निजी ऋणदाता हैं। तो बताइए, क्या हम भारत से मुकाबला कर सकते हैं? क्या हम उसकी विदेश नीति और अर्थव्यवस्था से मुकाबला कर सकते हैं?
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कमर चीमा ने कहा कि यही वजह है कि जब अरब देश सम्मेलन करते हैं, तो हमें महत्व नहीं दिया जाता है। हाल ही में जब ओआईसी की बैठक हुई, तो उन्होंने पाकिस्तान को पीछे की पंक्ति में रख दिया। उन्होंने कहा कि इसका कारण यह है कि अरब देश जानते थे कि भले ही पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार या बड़ी सेना हो, लेकिन वह हमसे पैसे लेकर जीवित नहीं रह सकता। तो यह साबित हो गया कि अगर आपके पास वित्तीय स्वायत्तता है, तो आप कुछ भी कर सकते हैं। अगर वित्तीय स्वायत्तता नहीं है, तो आप कुछ नहीं कर सकते। हर साल हम अधिक ऋण देते हैं और राजस्व कम होता है।