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चीनी डॉक्टरों ने पैर में उगाया कान, फिर हुआ ऐसा कमाल; कर डाली दुनिया की सबसे मुश्किल सर्जरी

Chinese Surgeons Save Patient: चीनी सर्जनों ने दुनिया की पहली सर्जरी करके एक मरीज़ के कटे हुए कान को उसके पैर पर ग्राफ्ट किया. यह जटिल था, लेकिन अब मरीज स्वस्थ है और घर पर आराम कर रहा है.

Written By: JP YADAV
Last Updated: December 27, 2025 17:06:18 IST

Chinese Surgeons Save Patient:  चीनी सर्जनों ने कमाल कर दिया है. चीन के डॉक्टरों ने एक कटे हुए कान को अस्थायी रूप से पहले तो पैर पर ग्राफ्ट किया. इसके कुछ महीने के दौरान ठीक होने के बाद उसे फिर से जोड़कर मेडिकल वर्ल्ड में मील का पत्थर स्थापित किया है. इसे मेडिकल जगत में बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है. आने वाले दिनों में इसके कई सकारात्मक प्रयोग देखने को मिल सकते हैं. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, 26 दिसंबर, 2025 को चीनी डॉक्टरों ने एक अभूतपूर्व और मेडिकल जगत को नई दिशा देने वाली सर्जरी की है. इस सर्जरी में डॉक्टरों ने एक महिला मरीज के कटे हुए कान को उसके पैर पर अस्थायी रूप से प्रत्यारोपित किया. अच्छी बात यह रही कि ऊतक (tissue) जीवित रहे. इसके बाद महीनों के उपचार के बाद इसे फिर से जोड़ दिया गया.

कैसे कटा था कान?

बताया जा रहा है कि अप्रैल, 2025 में गंभीर दुर्घटना में मरीज का शरीर भारी मशीनरी की चपेट में आ गया. मरीज का कान पूरी तरह से कट गया. हादसे में मरीज की खोपड़ी, गर्दन और चेहरे की त्वचा का एक बड़ा हिस्सा फट गया. इन गंभीर चोटों से पीड़िता के जीवन को सीधा खतरा था, लेकिन डॉक्टरों ने बड़ी मशक्कत से महिला की जान बचाई.

शेडोंग प्रांतीय अस्पताल (जिनान शहर) के माइक्रोसर्जरी विभाग के उप निदेशक किउ शेनकियांग ने इस पूरे मामले में बताया कि हादसे के बाद मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया तो उसकी हालत खराब थी. मरीज की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने तुरंत मानक शल्य चिकित्सा विधियों का उपयोग करके खोपड़ी का पुनर्निर्माण किया. यह अलग बात है कि हादसे में महिला मरीज की खोपड़ी के ऊतकों और रक्त वाहिकाओं को गंभीर क्षति पहुंची थी, इसलिए ज्यादा कामयाबी नहीं मिली.

डॉक्टरों ने कान के ऊतकों को सुरक्षित रखने के लिए उठाया कदम

किउ शेनकियांग की मानें तो शल्य चिकित्सा दल महिला मरीज का कान को दोबारा नहीं जोड़ सका. इसकी वजह यह थी कि खोपड़ी का वह हिस्सा अभी ग्राफ्ट प्राप्त करने के लिए उपयुक्त नहीं था. ऐसे में कान के गलने के खतरे को देखते हुए डॉक्टरों को कान के ऊतकों को ठीक होने तक सुरक्षित रखने के लिए कोई दूसरा उपाय तलाशा. इसके तहत किउ की टीम ने महिला मरीज के दाहिने पैर पर कान को अस्थायी रूप से प्रत्यारोपित करने का निर्णय लिया.

कई बार आई मुश्किल

 अगली कड़ी में किउ शेनकियांग की टीम ने पाया कि मरीज के पैर की रक्त वाहिकाएं आकार और संरचना में कान की रक्त वाहिकाओं के अनुरूप हैं. वहीं, त्वचा और नरम ऊतकों की मोटाई भी सिर के समान पाई. ऐसे में ऑपरेशन कठिन था. फिर भी जोखिम उठाया गया. इसके बाद पैर पर कान का प्रत्यारोपण ही लगभग 10 घंटे तक चला. इस दौरान चुनौती यह भी थी कि अत्यंत छोटी रक्त वाहिकाओं को जोड़ना था. इनका व्यास ही 0.2-0.3 मिमी था. सर्जरी के पांच दिन बाद भी मरीज को खतरनाक जटिलताओं का सामना करना पड़ा, जब नसों में रक्त का संचार सामान्य रूप से नहीं हो रहा था.

5 महीने बाद की कान की सर्जरी

 इस बीच प्रत्यारोपित कान का रंग गहरा बैंगनी हो गया इसके बाद डॉक्टरों को 5 दिनों में लगभग 500 बार मैन्युअल रूप से रक्त निकाला. वहीं, 5 महीने से अधिक समय तक उपचार के बाद, जब प्रत्यारोपित ऊतक ठीक हो गए और सूजन काफी कम हो गई. इसके बाद किउ शेनकियांग की टीम नहीं कान की सर्जरी की. सफलता भी मिली. वहीं, महिला मरीज ने अपना कान दोबारा जुड़ने के बाद पहली बार देखा तो वह आश्चर्यचकित रह गई और फूट-फूटकर रोने लगी. मरीज ठीक हो गई और घर आ गई है.

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