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Side Effects of Russia-Ukraine War रूस-यूक्रेन युद्ध से 100 डॉलर पार जा सकते कच्चा तेल के दाम

इंडिया न्यूज, यूक्रेन : Side Effects of Russia-Ukraine War : रूस और यूक्रेन में कभी युद्ध हो सकता है। लगातार बढ़ते तनाव की वजह से दुनिया भर के क्रूड आइल मार्केट में भी उथल-पुथल मची है। रूस एक दिन में एक करोड़ बैरल तेल का उत्पादन करता है, जो वैश्विक मांग का लगभग प्रतिशत है। […]

BY: Amit Sood • UPDATED :
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इंडिया न्यूज, यूक्रेन :
Side Effects of Russia-Ukraine War : रूस और यूक्रेन में कभी युद्ध हो सकता है। लगातार बढ़ते तनाव की वजह से दुनिया भर के क्रूड आइल मार्केट में भी उथल-पुथल मची है। रूस एक दिन में एक करोड़ बैरल तेल का उत्पादन करता है, जो वैश्विक मांग का लगभग प्रतिशत है। इसके साथ ही वो यूरोप में नेचुरल गैस का सबसे बड़ा आपूर्तिदाता है। युद्ध के बाद हालात बिगड़ते है तो नेचुरल गैस के दाम आसमान छुएंगे।

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Side Effects of Russia-Ukraine War

इसका असर भारत भी पड़ेगा। आपूर्ति के मुकाबले सप्लाई नहीं होने की वजह से क्रूड आॅयल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है, जो कि साल 2014 के बाद सबसे ज्यादा है। विशेषज्ञों के अनुसार जल्द ही ये 100 डॉलर प्रति बैरल का आंकड़ा भी पार कर जाएगी। सोमवार को आॅयल मार्केट में करीब 2 फीसदी की तेजी आई। वहीं, यूरोपीय नेचुरल गैस की कीमतों में भी लगभग 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

यूरोप की 33 फीसद नेचुरल गैस रूस से होती आपूर्ति Side Effects of Russia-Ukraine War

रूस यूरोप का सबसे बड़ा नेचुरल गैस सप्लायर है। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने चेतावनी दी है कि अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो उसकी यूरोप के साथ गैस पाइप लाइन परियोजना नॉर्ड स्ट्रीम 2 को शुरू होने नहीं दिया जाएगा। युद्ध का सबसे बड़ा खतरा नेचुरल गैस की सप्लाई चेन के डैमेज को लेकर है।

रूस यूक्रेनियन पाइपलाइन के जरिए यूरोप को कुल नेचुरल गैस का लगभग 33 फीसद आपूर्ति करता है। यह आपूर्ति प्रभावित होती है तो बिजली उत्पादन में कटौती करनी पड़ सकती है। साथ ही कारखानों को भी बंद करना पड़ सकता है। इसके साथ ही दुनिया भर के शेयर बाजार में और अधिकर गिरावट आएगी।

अमेरिकी कंपनियां बढ़ा रही आयल प्रोडक्शन 

कोरोना की वजह से दुनिया भर में लोग व्यक्तिगत वाहनों का प्रयोग कर रहे है। कंसल्टिंग फर्म रिस्टैड एनर्जी के निशांत भूषण ने कहा कि, सिर्फ युद्ध का संभावित खतरा ही कीमतों में तेजी ला सकता है। बहुत से लोग कोरोना वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट छोड़कर निजी वाहनों का प्रयोग कर रहे हैं। इस वजह से मांग और ज्यादा हो गई है।

इसे देखते हुए अमेरिकी आॅयल कंपनियां धीरे-धीरे प्रोडक्शन बढ़ा रही हैं। बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ईरान के साथ न्यूक्लियर डील को फिर से ट्रैक पर लाने की कोशिश कर रहा है। इस डील के अधर में लटके होने की वजह से ईरान को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। अगर यह डील हो जाती है तो ईरान हर दिन 10 लाख बैरल तेल का उत्पादन कर सकेगा।

100 से 120 डॉलर प्रति बैरल हो सकती कीमत

रूस दुनिया की मांग का 10% तेल उत्पादन करता है। अगर रूस यूक्रेन में युद्ध शुरू होता है तो कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर से 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाएंगी। टेक्सास की आॅयल कंपनी पायनियर नेचुरल रिसोर्सेज के स्कॉट शेफील्ड ने कहा कि अगर पुतिन हमला करते हैं, तो कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर से 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं, लेकिन अगर बाइडेन ईरान पर से प्रतिबंध हटाते हैं, तो इनमें 10 डॉलर की गिरावट होगी। फिलहाल बाजार में जितनी मांग है उतनी आपूर्ति नहीं है। इस वजह से यह तो तय है कि कीमतें 100 डॉलर के पार जाएंगी।

अमेरिका में महंगाई दर रिकॉर्ड 7.5 फीसद पहुंची

अमेरिका में फिलहाल महंगाई दर रिकॉर्ड 7.5 फीसद के स्तर पर है। इससे निपटने के लिए फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें बढ़ाई हैं, इसका असर दुनिया भर के शेयर बाजार पर पड़ रहा है। सोमवार को सेंसेक्स में 1,747 और निफ्टी में 532 अंकों की गिरावट हुई। बाजार में ताजा गिरावट के तीन प्रमुख कारण महंगा क्रूड आॅयल, दरें बढ़ाने को लेकर अमेरिकी फेड रिजर्व की बैठक और रूस-यूक्रेन युद्ध की आशंका है।

युद्ध टालने की कोशिश जारी

युद्ध टालने के लिए रूस और यूक्रेन की तरफ से डिप्लोमैटिक कोशिशें भी जारी हैं। यूक्रेन ने रूस के साथ 48 घंटे के अंदर बैठक करने की इच्छा जताई है। यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने कहा कि हमने अनुरोध किया कि रूस बताए कि उसने सीमा पर सेना और युद्ध तैयारियां तेज क्यों कर दी हैं। इस अनुरोध को रूस ने अनदेखा कर दिया। उधर, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पुतिन को सुझाव दिया है कि भले ही अमेरिका ने रूस की सुरक्षा मांगों को खारिज कर दिया है, फिर भी हमें अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ बातचीत जारी रखनी चाहिए।

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