Hindi News / International / Such A Thing Happened With A Saint In A Non Islamic Country Your Blood Will Boil After Hearing The Act Of Indias Neighbor

गैर इस्लामिक देश में संत के साथ हुआ ऐसा काम,भारत के पड़ोसी का कारनामा सुन खौल जाएगा खून

बौद्ध भिक्षु गैलागोडेट ज्ञानसारा को 2016 की एक टिप्पणी के लिए गुरुवार को सजा सुनाई गई। श्रीलंका में बौद्ध भिक्षुओं को शायद ही कभी दोषी ठहराया जाता है। यह दूसरी बार है जब किसी बौद्ध भिक्षु को जेल भेजा गया है। ज्ञानसारा पर बार-बार नफरत और मुस्लिम विरोधी हिंसा फैलाने का आरोप था।

BY: Divyanshi Singh • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज),Sri Lanka: भारत के पड़ोसी देश से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जहां इस्लाम के अपमान में एक ‘संत’ को जेल में डाल दिया गया है। मामले की खास बात ये है कि यह देश इस्लामिक नहीं है। यहां कथित तौर पर इस्लाम के अपमान में एक ‘संत’ को जेल में डाल दिया गया है।जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं। हम बात कर रहे हैं अपने पड़ोसी देश श्रीलंका की। यह एक बौद्ध राष्ट्र है, लेकिन इसकी आबादी में मुसलमानों की भी अच्छी खासी तादाद है। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के करीबी एक बौद्ध भिक्षु को इस्लाम का अपमान करने और धार्मिक नफरत भड़काने के आरोप में नौ महीने जेल की सजा सुनाई गई है।

2016 का है मामला

बौद्ध भिक्षु गैलागोडेट ज्ञानसारा को 2016 की एक टिप्पणी के लिए गुरुवार को सजा सुनाई गई। श्रीलंका में बौद्ध भिक्षुओं को शायद ही कभी दोषी ठहराया जाता है। यह दूसरी बार है जब किसी बौद्ध भिक्षु को जेल भेजा गया है। ज्ञानसारा पर बार-बार नफरत और मुस्लिम विरोधी हिंसा फैलाने का आरोप था। राजधानी कोलंबो की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने यह सजा सुनाई है। इससे पहले ज्ञानसारा को 2019 में एक मामले में राष्ट्रपति से माफी मिल चुकी है। ज्ञानसारा को दिसंबर में 2016 के एक मीडिया कॉन्फ्रेंस के दौरान की गई टिप्पणियों के लिए गिरफ्तार किया गया था, जहां उन्होंने इस्लाम के खिलाफ कई अपमानजनक टिप्पणियां की थीं।

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1,500 रुपये का जुर्माना

 कोर्ट ने कहा कि संविधान के तहत सभी नागरिक, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, आस्था की स्वतंत्रता के हकदार हैं। ज्ञानसारा पर 1,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। अदालत के फैसले में कहा गया कि जुर्माना न भरने पर एक महीने की अतिरिक्त कैद होगी। ज्ञानसारा ने सजा के खिलाफ अपील दायर की है। अदालत ने अपील पर अंतिम निर्णय आने तक उन्हें जमानत पर रिहा करने के उनके वकीलों के अनुरोध को खारिज कर दिया। ज्ञानसारा पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के भरोसेमंद सहयोगी रहे हैं। 2022 के आर्थिक संकट और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद राजपक्षे को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा।

ज्ञानसारा को राजपक्षे के राष्ट्रपति रहते हुए धार्मिक सद्भाव की रक्षा के उद्देश्य से कानूनी सुधार पर एक टास्क फोर्स का प्रमुख नियुक्त किया गया था। उन्होंने सिंहली बौद्ध राष्ट्रवादी समूह का भी नेतृत्व किया है। राजपक्षे के देश छोड़ने के बाद देश के मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ अभद्र भाषा से संबंधित इसी तरह के आरोपों में ज्ञानसारा को पिछले साल जेल में डाल दिया गया था। लेकिन सजा के खिलाफ अपील करते हुए उन्हें जमानत दे दी गई। 2018 में उन्हें अदालत की अवमानना ​​और एक राजनीतिक कार्टूनिस्ट की पत्नी को धमकाने के आरोप में छह साल जेल की सजा सुनाई गई थी।

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