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'किसी भी तरह की घुसपैठ बर्दाश्त नहीं…' जिसने दिया खाने को रोटी, पाकिस्तान उसी देश को दिखा रहा आंख
(दिल्ली) : पाकिस्तान में महंगाई ने लोगों को दो जून की रोटी से भी दूर कर दिया है। पेट भरने के लिए भी मामूली चीजों पर हजारों रूपये की जेब ढीली करनी पड़ रही हैं। वहां कई इलाकों में तो पैसे देकर भी गेहूं या आटा नहीं मिल पा रहा है। हालाँकि, पाकिस्तान का यह हाल हमेशा से नहीं रहा है। कभी एक वक्त ऐसा भी था जब पाकिस्तान के लोगों की प्रति व्यक्ति आय भारत से भी ज्यादा थी। वहीं, पाकिस्तान ने आतंकवाद को पालने-पोषने का ऐसा रास्ता पकड़ा जो उसने उसे कहीं का नहीं छोड़ा। गौरतलब की बात तो ये है कि आज भी जब देश संकट में है तो पाकिस्तान की सरकार मिसाइल टेस्ट करने और परमाणु बम की धमकी देने से पीछे नहीं हट रही है।
बता दें, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने की कगार पर है। वर्ल्ड बैंक ने लोन देने की प्रक्रिया टाल दी है। कई राज्यों में आटा और गेहूं लेने के लिए भगदड़ में लोगों की मौत हो जा रही हैं। कहीं-कहीं तो लोग बाइक लेकर आटे वाले ट्रक का पीछा कर रहे हैं। पाकिस्तान में रोटी को लेकर मची भगदड़ पर मानवता कि नाते तो तरस खाया जा सकता है। वहीं, कोई पड़ोसी देश उसकी मदद भी करे तो उसे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसी है। वो इसलिए क्योंकि वहां के मौजूदा हालात की जिम्मेदारी पाकिस्तान की उस नीति की है जो उसे किसी भी हाल में आतंकवाद का हाथ छोड़ने नहीं देती। मौजूदा हालात में भी पाकिस्तान आतंकवाद का बचाव करने में पीछे नहीं हटता दिख रहा।
बता दें, आज से लगभग 60 साल पहले पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी । विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 1960 में पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति आय 6,797 पाकिस्तानी रुपया थी। उस समय भारत में प्रति व्यक्ति आय 6,708 रुपये थी यानी भारत पीछे था। साल 2021 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 1,85,552 रुपये हो गई। वहीं, पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति आय 1,25,496 रुपये रह गई। यानी जो अंतर पहले 89 रुपये का था वो अब लगभग 60 हजार रुपयों का हो गया।
मालूम हो, इन 60 सालों में भारत ने शिक्षा, विज्ञान, खेल, इकोनॉमी और स्पेस सेक्टर में अभूतपूर्व विकास किया। वहीं, पाकिस्तान ने अपना सारा ध्यान आतंकवाद को पालने-पोषने और हर मौके पर कश्मीर राग अलापने में लगाया। नतीजा दुनिया के सामने है कि पाकिस्तान आज कंगाली के रास्ते पर आ गया है। वह दिन प्रति दिन कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है फिर भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा है।
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