India News (इंडिया न्यूज), Israel Lebanon Ceasefire : मीडिल ईस्ट में पिछले 13 महीने से इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच जारी संघर्ष को खत्म करते हुए युद्धविराम का ऐलान कर दिया है। अमेरिका की तरफ से रखे गए युद्धविराम के प्रस्ताव को दोनों पक्षों ने स्वीकार कर लिया है। दोनों पक्षों के बीच इस साल सितंबर में युद्ध शुरू हुआ था। तब इजराइली सेना लेबनान में दाखिल हो गई थी, जिसमें हजारों लोगों को अपने घरों से भागना पड़ा था और लेबनान में भारी तबाही मची थी। इस युद्धविराम को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की भी प्रतिक्रिया सामने आई है, बाइडेन ने कहा है कि बुधवार सुबह 4 बजे स्थानीय समय (मंगलवार को 9 बजे ईटी) पर लागू होने वाला यह समझौता शत्रुता की स्थायी समाप्ति के लिए बनाया गया है। अमेरिका और फ्रांस, दोनों पक्षों के साथ मिलकर काम करेंगे ताकि “यह सुनिश्चित किया जा सके, कि यह व्यवस्था पूरी तरह से लागू हो।
Israel Lebanon Ceasefire
युद्धविराम को लेकर मंगलवार को इजराइल की सुरक्षा कैबिनेट ने अमेरिका के इस युद्धविराम प्रस्ताव को मंजूरी दी थी और इजराइल के राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग ने कहा था, कि लेबनान युद्धविराम को उत्तरी इजराइल में निवासियों की सुरक्षा की गारंटी देने की जरूरत है। उन्होंने एक्स पर कहा, “उभरती व्यवस्था को केवल एक परीक्षण पूरा करना होगा, उत्तर के सभी निवासियों के लिए पूर्ण सुरक्षा की गारंटी देना। हर्ज़ोग ने आगे कहा था, कि इजराइल अपने नागरिकों की किसी भी तरह से रक्षा करेगा।
वहीं दूसरी तरफ इस युद्धविराम प्रस्ताव को लेकर लेबनान की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। लेबनान के प्रधान मंत्री नजीब मिकाती ने युद्धविराम समझौते का स्वागत किया और मंगलवार को बाइडेन के साथ एक टेलीफोन कॉल के दौरान उनके प्रयासों के लिए अमेरिका और फ्रांस दोनों को धन्यवाद दिया। कई लेबनानी स्रोतों के मुताबिक, हिज्बुल्लाह ने भी समझौते की शर्तों पर सहमति जताई है।
इस युद्धविराम समझौते के तहत दोनों देशों को 60 दिों में शत्रुता को खत्म करना होगा और वार्ताकारों ने इसे स्थायी युद्धविराम की नींव बताया है। इसके अलावा 60 दिनों के अंदर हिज्बुल्लाह के लड़ाकों को इजरायल-लेबनान सीमा से लगभग 40 किलोमीटर पीछे हटना होगा, जबकि इजराइली सेना भी लेबनान से बाहर निकल जाएगी। वहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 1701, जिसने 2006 में दोनों देशों के बीच आखिरी पूर्ण युद्ध को समाप्त किया था, इस समझौते का आधार रहा है और वार्ता मुख्य रूप से संधि के को लागू करने के इर्द-गिर्द घूमती रही है।
इस समझौते के तहत, लेबनान की सरकार को, लिटानी नदी के दक्षिण में हिज्बुल्लाह की गतिविधियों पर कठोर नजर रखनी होगी, ताकि आतंकवादियों को वहां फिर से जमा होने से रोका जा सके। संयुक्त राष्ट्र शांति सेना, लेबनानी सेना और एक बहुराष्ट्रीय समिति को ईरान समर्थित समूह की गतिविधियों की निगरानी का काम सौंपा जाएगा।