India News (इंडिया न्यूज), Top Gold Reserves Country: दुनिया भर में सोने को हमेशा से ही एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, क्योंकि सोना आर्थिक संकट के समय में आर्थिक सहायता प्रदान करता है। हर देश अपने पास सोने का भंडार रखता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, अमेरिका इस सूची में सबसे ऊपर रहता है, उसके पास सबसे ज्यादा सोना है। अमेरिका के पास करोड़ों रुपए का सोना है, जिसका इस्तेमाल वह आर्थिक संकट के समय कर सकता है। बता दें कि, सोना एक ऐसी धातु है जिसे हर कोई खरीदना पसंद करता है। लोग अक्सर सोने के आभूषण उपहार में देना पसंद करते हैं। वहीं, शादियों और त्योहारों के दौरान इसकी मांग बहुत बढ़ जाती है, क्योंकि लोग इसे पहनते हैं।
अमेरिका के पास दुनिया का सबसे बड़ा सोने का भंडार है, जिसके पास 8,133 टन सोना है, जिसकी कीमत 543,499.37 मिलियन डॉलर (45 लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा) है। यह विशाल भंडार अमेरिकी डॉलर की मज़बूती को बढ़ाता है। इसमें से ज़्यादातर सोना फ़ोर्ट नॉक्स, वेस्ट पॉइंट और डेनवर मिंट स्टोर में रखा हुआ है। अमेरिका के बाद जर्मनी का स्थान है जिसके पास 3,351.53 टन सोना है। ये भंडार आर्थिक स्थिरता और वित्तीय संकटों के दौरान राष्ट्रीय मुद्राओं में विश्वास बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी हैं।
Top Gold Reserves Country (सोने के भंडार के मामले में दुनिया में आठवें स्थान पर है भारत)
सोने के भंडार के मामले में अगर हम भारत की बात करें तो यह दुनिया में 8वें नंबर पर है। आपको बता दें कि, यहां सोना न केवल वित्तीय संपत्ति है, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी इसका बहुत महत्व है। भारतीय महिलाओं के पास भी सोने का सबसे बड़ा भंडार है। यह भंडार देश की आर्थिक सुरक्षा का बहुत अहम हिस्सा है। भारत भी डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए तेजी से सोना खरीद रहा है। सोने का भंडार 840.76 टन है, जिसकी कुल कीमत 630 मिलियन डॉलर है और यह सोना भारतीय रिजर्व बैंक के पास सुरक्षित रखा गया है। वहीं अगर हम भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान की बात करें तो ये टॉप 10 से कोसों दूर है। आपको बता दें कि पाकिस्तान के पास 64 टन सोना होने का दावा है।
कई देशों ने अपने सोने के भंडार में वृद्धि की है जबकि कुछ ने इसे कम करने का विकल्प चुना है। सिंगापुर के मौद्रिक प्राधिकरण ने नवंबर में 5 टन सोना बेचा, जिससे उसका भंडार 223 टन रह गया। सिंगापुर ने पूरे साल में कुल 7 टन सोना बेचा। फिनलैंड ने भी दिसंबर में अपने भंडार का 10% बेचकर अपनी होल्डिंग्स में उल्लेखनीय कमी की। इस बिक्री के कारण फिनलैंड का कुल भंडार घटकर सिर्फ 44 टन रह गया, जो 1984 के बाद सबसे निचला स्तर है।