India News (इंडिया न्यूज), Trump Tariff War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को ऑटो आयात पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की। व्हाइट हाउस ने जानकारी दी कि ट्रंप ने विदेशी निर्मित वाहनों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। वहीं ट्रंप के इस कदम से ऑटो सेक्टर में खलबली मच सकती है क्योंकि ट्रंप के इस कदम से व्यापारिक साझेदारों के साथ तनाव बढ़ने वाला है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, यह टैरिफ 2 अप्रैल से प्रभावी होगा। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कहा कि हम जो करने जा रहे हैं वह यह है कि उन सभी कारों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा जो अमेरिका में नहीं बनी हैं। अगर वे अमेरिका में बनी हैं तो उन पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा।
यह कदम 2 अप्रैल से प्रभावी होगा और मौजूदा टैरिफ के अलावा विदेशी निर्मित कारों और हल्के ट्रकों को भी प्रभावित करेगा। यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सभी ऑटो आयात पर 25 फीसदी नए टैरिफ की घोषणा की निंदा की है। इससे पहले कनाडा और चीन से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ लगाया गया था। जनवरी में राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने प्रमुख अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों कनाडा, मैक्सिको और चीन से आयात पर टैरिफ लगाया है। इसके अलावा, ट्रंप ने स्टील और एल्युमीनियम के आयात पर भी 25 प्रतिशत शुल्क लगाया है।
Trump Tariff War (विदेशों में निर्मित कारों पर ट्रंप ने लगाया 25 फीसदी टैरिफ)
टैरिफ से जूझ रहे व्यवसायों को एक और झटका है। अतिरिक्त टैरिफ उन व्यवसायों के लिए एक और झटका होगा जो पहले से ही नीति अनिश्चितता और टैरिफ की पिछली लहरों से जूझ रहे हैं, जिसके बारे में अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी थी कि इससे उत्पादकों की लागत बढ़ सकती है। यदि कंपनियां उन्हें वहन करने में असमर्थ हैं, तो ये लागत अंततः उपभोक्ताओं पर डाली जा सकती है। प्रमुख ऑटोमेकर फोर्ड के शेयरों में 1.8 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि जनरल मोटर्स के शेयरों में 1.9 प्रतिशत की गिरावट आई।
ऑटोमोबाइल उद्योग के अलावा, ट्रम्प फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर जैसे उद्योगों पर व्यापक क्षेत्र-विशिष्ट टैरिफ लगाने पर भी विचार कर रहे हैं। मंदी की आशंका बुधवार की ऑटो घोषणा 2 अप्रैल से पहले हुई है, जिसे ट्रम्प ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए “मुक्ति दिवस” करार दिया है। ट्रम्प की व्यापार योजनाओं पर अनिश्चितता और मंदी की संभावना ने वित्तीय बाजारों को हिलाकर रख दिया है, तथा टैरिफ के प्रभाव की आशंकाओं के कारण हाल के महीनों में उपभोक्ता विश्वास में भी गिरावट आई है।