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इंडिया न्यूज, वाशिंगटन:
जब से अफगानिस्तान पर ताबिलानों ने अपनी ताकत के बल पर जबरदस्त नरसंहार करते हुए वहां की सत्ता पर जब से कब्जा जमाया है। तबसे लगातार अफगानिस्तान के हालात दिन पे दिन खराब होते जा रहे हैं। अगर ताज हालात पर बाते करें तो अफगानिस्तान को लेकर विश्व के सामने एक और चौंकाने वाली खबर सामने आई है। खबर यह है कि तालिबान के कब्जे के बाद अगर देश में मानवीय, आर्थिक व राजनीतिक पहलुओं पर जल्द ही कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया तो देश के हालात और भी खराब हो जाएंगे।
यूनाइटेड नेशन माइग्रेशन एजेंसी ने अफगानिस्तान पर मानवीय स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर देश में इन तीनों मुद्दों पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया तो वर्ष 2022 तक देश में लोगों को भीषण गरीबी से दो चार होना पड़ सकता है। यह दावा बुधवार को इंटरनेशनल आगेर्नाइजेशन फार माइग्रेशन (आइओएम) ने अपनी रिपोर्ट को पेश करते हुए किया। रिपोर्ट में साफ लिखा है कि 40 मिलियन आबादी वाले इस देश में तालिबानियों की वजह से उत्पन्न हुए हालात से अगर जल्द नहीं निपटा गया तो लगभग देश के सभी नागारिक 2022 तक अत्यधिक गरीबी का सामना कर सकते हैं।
आइओएम की रिपोर्ट में यह इस बात का भी दावा किया गया है कि जब अफगानिस्तान पर बंदुक की बल पर तालिबानी आतंकवादियों ने देश में कब्जा किया है। तब से देश में रोजगार के अवसर खत्म हो रहे हैं। कोई भी व्यक्ति यहां पर रोजगार करने के बार में नहीं सोच रहा है। इसके साथ ही देश में आवश्यक सेवाएं भी धराशाही हो रही है। दैनिक वस्तुओं की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। ऊपर से देश में कोरोना महामारी का प्रकोप भी जारी है। बैंकिग सेवा बाधित होने के चलते देश में नकदी का प्रवाह ठीक से नहीं हो पा रहा है और देश में भारी रूप से नकदी की कमी होने लगी है।
वहीं, रिपोर्ट के जारी होने के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बुधवार को अफगानिस्तान के हालात पर एक बैठक बुलाई। इस बैठक में कई देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया व देश में अधिक समावेशी सरकार बनाने का आह्वान किया है। बैठक में अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन के महासचिव डेबोरा लियोन ने संयुक्त परिषद को जानकारी दी कि जब से तालिबान के हावाले चला गया है।
तब वहां अफगान महिलाओं और लड़कियों के मौलिक अधिकारों के साथ स्वतंत्रता में भी कटौती हुई है। रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि मौजूदा समय देश में इस समय बड़े पैमाने पर विस्थापन का सामना कर रहा है। देश में 55 लाख आंतरिक रूप से विस्थापित लोग हैं। इस विस्थापित लोगों में से 6.80 लाख लोग तालिबान के कब्जे के बाद से विस्थापित हुए हैं।
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