India News (इंडिया न्यूज), US France Tensions: डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में वापस आने और टैरिफ में बढ़ोतरी के बाद से अमेरिका और यूरोप के बीच रिश्ते लगातार तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब एक-दूसरे को दिए गए तोहफे भी वापस लेने की मांग की जा रही है। जानकारी के मुताबिक, फ्रांस के एक नेता ने अमेरिका से मशहूर स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को वापस करने की मांग की है। हालांकि अमेरिका ने इस मांग पर तीखा जवाब दिया है।
अमेरिका से स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को वापस करने की फ्रांसीसी राजनेता की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने कहा- “बिल्कुल नहीं। उस फ्रांसीसी राजनेता को मेरी सलाह यही होगी कि उसे याद दिलाएं कि अमेरिका की वजह से ही फ्रांस के लोग अभी जर्मन नहीं बोल रहे हैं। उसे हमारे महान देश का आभारी होना चाहिए।”
US France Tensions (फ्रांस के एक नेता ने अमेरिका से वापस मांगे स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी)
VIDEO | Responding to a French politician’s demand for the US to return the Statue of Liberty, White House Press Secretary Karoline Leavitt said, “Absolutely not. My advice to that unnamed French politician would be to remind them that it is only because of the United States of… pic.twitter.com/yAoMOCYk3i
— Press Trust of India (@PTI_News) March 17, 2025
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी की नाजी सेना ने बहुत कम समय में फ्रांस पर कब्जा कर लिया था। ऐसा माना जाता है कि फ्रांसीसी सेना ने हिटलर की सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। जर्मनी ने पेरिस समेत फ्रांस के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था और वहां अपनी पसंद की सरकार भी स्थापित कर ली थी। वर्ष 1944 में मित्र राष्ट्रों के आक्रमण के बाद फ्रांस को स्वतंत्रता मिली। इसमें अमेरिकी सेना का अहम योगदान था।
दरअसल, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी न्यूयॉर्क के बंदरगाह में स्थित एक प्रसिद्ध विशालकाय मूर्ति है। अगर हम इसकी लंबाई की बात करें तो यह 151 फीट है। हालांकि, अगर चौकी और आधारशिला को शामिल कर लिया जाए तो यह मूर्ति 305 फीट ऊंची है। बताते चलें कि, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का अनावरण 28 अक्टूबर 1886 को किया गया था। यह मूर्ति अमेरिकी क्रांति के दौरान फ्रांस और अमेरिका के बीच दोस्ती का प्रतीक है। फ्रांस ने यह मूर्ति वर्ष 1886 में अमेरिका को उपहार में दी थी।