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मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के मुताबिक, डेमोक्रेट समर्थित अटॉर्नी जनरल क्रिस मेयस ने उस फैसले को लागू नहीं करने की कसम खाई है। उन्होंने कोर्ट के इस फैसले को अविवेकपूर्ण और स्वतंत्रता का अपमान बताया है। जिसमे उन्होंने कहा कि, यह कानून 160 साल पहले तैयार किया गया था। तब एरिज़ोना एक अलग राज्य नहीं था। गृहयुद्ध चल रहा था। उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका में महिलाओं को वोट देने का भी अधिकार नहीं था। वह समय अमेरिकी इतिहास में एक काले कानून के रूप में दर्ज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक मैं इस राज्य का अटॉर्नी जनरल हूं, राज्य की किसी भी महिला और किसी भी डॉक्टर पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।
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इसको लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन ने कहा कि, रिपब्लिकन महिलाओं के अधिकार छीन रहे हैं। बाइडेन के द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि, लाखों एरिजोनावासी गर्भपात प्रतिबंधों के तहत रहेंगे। बाइडेन ने आगे कहा कि अगर वह एक बार फिर राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाते हैं और डेमोक्रेट नेताओं को कांग्रेस में बहुमत मिलता है, तो वह संघीय गर्भपात अधिकारों को फिर से कानून बनाने पर जोर देंगे।
जानकारी के लिए बता दें कि, अमेरिका में गर्भपात के मामले बढ़े हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, लंबे समय तक गर्भपात के मामले कम रहने के बाद साल 2017 की तुलना में साल 2020 में देश में गर्भपात की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। जारी रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में हर पांच गर्भवती महिलाओं में से एक का गर्भपात हुआ। गर्भपात अधिकारों का समर्थन करने वाले एक शोध समूह ‘गुटमाकर इंस्टीट्यूट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में अमेरिका में 9,30,000 से ज्यादा गर्भपात के मामले सामने आए हैं वहीं 2017 में यह आंकड़ा लगभग 8,62,000 था।
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