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India News (इंडिया न्यूज़), Wagner Group, नई दिल्ली: प्राइवेट आर्मी वैगनर के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सख्ती के आगे विद्रोह की आवाज को दबा दिया है। प्रिगोझिन ने बगावत के 12 घंटे के अंदर सरकार के साथ समझौता कर लिया है। वैगनर चीफ से बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने बात की। जिसके बाद प्राइवेट आर्मी येवगेनी के तेवर ढीले पड़ गए हैं और मॉस्को पर हमला करने के फैसले से पीछे हट गया है। जिसके बाद वैगनर आर्मी अपने कैंपों की तरफ लौट रही है। इसके साथ ही टैंकों का रास्ता मोड़ लिया गया है। मॉस्को पर कब्जा के लिए ये प्राइवेट आर्मी आगे बढ़ी थी।
क्रेमलिन ने यह साफ किया है येवगेनी के खिलाफ विद्रोह के मामले में आरोप वापस लिए जाएंगे। इसके साथ ही उनके साथ शामिल होने वाले सैनिकों पर भी केस नहीं चलाया जाएगा। इसके अलावा जिन वैगनर समूह पर भी केस नहीं चलाया जाएगा। वहीं जिन वैगनर ग्रुप के लड़ाकों ने विद्रोह में भाग नहीं लिया था। उन लोगों को रक्षा मंत्रालय की ओर से नौकरी के लिए अनुबंध की पेशकश की जाएगी। राष्ट्रपति पुतिन दो दशक से ज्यादा वक्त से सत्ता में हैं। सरकार ने संकट को कम करने के लिए इस समझौते को स्वीकार कर लिया है।
रूसी सरकार और वैगनर ग्रुप के चीफ प्रिगोजिन के बीच बड़ा समझौता हुआ है। बेलारूस ने वैगनर समूह को तनाव कम करने का भी प्रस्ताव दिया था। वैगनर चीफ से बेलारूस ने बात की और जानकारी दी कि वैगनर समूह विद्रोह खत्म करने पर सहमत हो गया है। जिसके बाद वैगनर के लड़ाके मॉस्को से वापस लौट रहे हैं।
प्रिगोझन ने अपने एक बयान में बताया, “हमने खूनखराबा रोकने के लिए फैसला लिया है। वैगनर वापस फील्ड कैंप की ओर जाएंगे। वे अब मॉस्को की ओर नहीं जाएंगे। हम अपने काफिले को वापस लौटा रहे हैं। हमने मॉस्को जा रहा काफिला रोक दिया है। इससे पहले रूसी सेना ने मॉस्को जाने वाले सभी रास्ते ब्लॉक कर दिए थे। राष्ट्रपति पुतिन ने वैगनर लीडर्स को मारने का आदेश दिया था। राष्ट्र के नाम संदेश में पुतिन ने इस विद्रोह को ‘विश्वासघात’ तथा ‘देशद्रोह’ कहा था। उन्होंने विद्रोह करने वालों को खत्म करने का वादा किया था।”
जानकारी दे दें कि मॉस्को ने बख्तरबंद वाहनों और सैनिकों के साथ चौकियां बनाकर शहर के दक्षिणी किनारे पर वैगनर समूह को रोकने की तैयारी कर ली थी। इसके साथ ही रेड स्क्वायर को भी बंद कर दिया गया था। सड़कों पर वाहनों की आवाजाही को भी रोक दिया गया था। मगर सरकार से समझौते के बाद येवगेनी प्रिगोझिन ने बताया कि मास्को से उनके लड़ाके केवल 200 किलोमीटर की दूरी पर थे।
इसके साथ ही बता दें कि प्रिगोझिन ने यह जानकारी नहीं दी कि उनकी मांग पर क्रेमलिन ने प्रतिक्रिया दी है या नहीं। फिलहाल, शोइगु को हटाने के लिए अगर पुतिन सहमत हो जाते हैं तो ये राष्ट्रपति के लिए राजनीतिक तौर पर काफी नुकसान भरा फैसला हो सकता है। क्योंकि प्रिगोझिन को राष्ट्रपति पुतिन ने छुरा घोंपने वाला गद्दार करार दिया है।
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