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Symptoms Of Alzheimer's बुढ़ापे में आम बात नहीं है अल्जाइमर

Mukta • LAST UPDATED : October 26, 2021, 7:17 am IST

Symptoms Of Alzheimer’s  कुछ वायरल संक्रमण भी होते हैं इसके पीछे कारण

अल्जाइमर दुनिया के लिए गंभीर समस्या बनती जा रही है। पश्चिमी देशों में 50 साल से ज्यादा के अधिकांश लोग इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं। इसमें याददाश्त कमजोर होने लगती है और अक्सर लोग भूलने लगते हैं।

अब इसे लेकर एक जानकारी सामने आई है। एक ताजा रिसर्च से पता चला है कि कुछ वायरल संक्रमण भी होते हैं जो अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसे न्यूरोडिजेनेरेटिव रोगों को बढ़ाते हैं। इस रिसर्च में कहा गया है कि उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त कमजोर होने आम बात है। लेकिन उसके पहले भी ऐसे बहुत से कारक होते हैं, जिससे उसके लक्षण दिखने लगते हैं। ये रिसर्च नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित की गई है।

(Symptoms Of Alzheimer’s)

इसमें बताया गया है कि कुछ स्पेसिफिक वायरल मॉलीक्यूल्स इस तरह की दिमागी बीमारियों के लिए हॉलमार्क माने जाने वाले प्रोटीन को फैलने में मदद करते हैं।

जर्मनी में यूनिवर्सिटी ऑफ बॉन के रिसर्चर्स की अगुवाई वाली एक टीम ने पाया कि ब्रेन से जुड़ी इन बीमारियों के लिए जिम्मेदार प्रोटीन एक कोशिका से दूसरे में असामान्य आकार में ट्रांसफर हो जाते हैं। इससे बीमारी पूरे ब्रेन में जल्दी से फैल जाती है।

(Symptoms Of Alzheimer’s)

यही बात अल्जाइमर और पार्किंसंस में भी होती है। रिसर्चर्स के मुताबिक, कोशिका से कोशिका (सेल्स टू सेल्स) के बीच सीधे संपर्क के जरिए इनका संचरण होता है, जो कोशिका के बाहर एकत्रित हो जाता है या वेसिकल (पुटिका) में पैकज्ड हो जाता है और यह लिपिड के छोट-छोटे बुलबुले से ढका होता है, जो कोशिकाओं के बीच संवाद के लिए स्त्रावित होता है।

क्या कहते हैं जानकार (Symptoms Of Alzheimer’s)

यूनिवर्सिटी ऑफ बॉन की प्रोफेसर इना वोरबर्ग ने बताया कि इस ट्रांसमिशन का सटीक मैकेनिज्म अभी अज्ञात है। लेकिन इतना अंदाज लगाना तो स्वाभाविक है कि उन मॉलीक्यूल का आदान-प्रदान कोशिकाओं के सीधे संपर्क और वेसिकल के जरिए होता होगा, जो लिगैंड रिसेप्टर के इंट्रेक्शन पर निर्भर होगा।

इन दोनों ही दशाओं में कोशिका झिल्लियों का संपर्क और उनके मिल जाने की जरूरत होती है। ऐसा तब होता है, जब कोशिकाओं की सतह पर रिसेप्टर को बांधने के लिए लिंगैड्स मौजूद हों, जिससे बाद में झिल्लियां आपस में मिल जाएं।

शोधकर्ताओं ने इस प्रक्रिया को परखने के लिए विभिन्न सेल कल्चर में श्रृंखलाबद्ध अध्ययन यानी सीरीज स्टडी की। उन्होंने प्रिओन या टाउ प्रोटीन के एक कोशिका से दूसरे में ट्रांसफर की प्रक्रिया की भी पड़ताल की है। जिसमें पाया कि यह उस प्रकार था, जैसा कि अल्जाइमर की बीमारी में होता है।

दोनों में क्या है फर्क (Symptoms Of Alzheimer’s)

बता दें कि प्रिऑन-असामान्य रोगजनक एजेंट होते हैं, जो ट्रांसमिटेड होते हैं और स्पेसिफिक कॉमन सेलुलर प्रोटीन को एब्नॉर्मल फॉर्म से प्रेरित करने में सक्षम होते हैं। यह ब्रेन में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है।

(Symptoms Of Alzheimer’s)

इसका काम अभी तक पूरी तरह समझा नहीं जा सका है। जबकि टाउ प्रोटीन का नेगिटिव रेगुलेटर होता है। रिसर्चर्स ने यह देखने के लिए कि वायरल संक्रमण में क्या होता है। सेल्स का वायरल प्रोटीन प्रोड्यूस करने के लिए उद्दीपित किया, जो टारगेट सेल और सेल मेंबरान (झिल्ली) के मिल जाने का रास्ता दिखाता है।

प्रयोग के लिए दो प्रोटीन को चुना गया। इनमें से एक कोरोना संक्रमण के प्रसार के लिए जिम्मेदार सार्स-कोव-2 का स्पाइक प्रोटीन एस था और दूसरा वेसिकुलर स्टोमैटिटिस वायरस का ग्लायकोप्रोटीन वीएसवी-जी था, जो मवेशियों और अन्य पशुओं को संक्रमित करने वाले रोगाणुओं में पाया जाता है। कोशिकाओं में इन वायरल प्रोटीन के रिसेप्टर वीएसवी-जी और इंसानी एसीई-2 स्पाइक प्रोटीन के लिए संग्राहक पोर्ट की तरह काम करते हैं।

(Symptoms Of Alzheimer’s)

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