इंडिया न्यूज:
पूरे देश में पारा तेजी से चढ़ रहा है। गर्मी के सीजन में पूरे देश में आग लगने की घटनाएं काफी बढ़ जाती हैं। अभी कुछ दिनों पहले ही राजधानी दिल्ली के मुंडका में भीषण आग लगने से 27 लोगों को मौत लील गई और करीब 12 लोग घायल हुए। यूं तो आग लगने की घटनाएं किसी भी मौसम में हो सकती हैं, लेकिन गर्मियों में ये घटनाएं ज्यादा बढ़ जाती हैं। तो आइए आज काम की बात में जानेंगे गर्मियों में क्यों होती हैं ज्यादातर आग घटनाएं।
गर्मियों में आग लगने के पीछे सबसे बड़ी वजह है एसी, पंखे, कूलर और इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट्स को लगातार कई घंटों तक चलना। इससे मशीनों पर लोड बढ़ जाता है और स्पार्किंग, शॉर्ट सर्किट होने के कारण आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादातर मामलों में यही वजह सामने आती है।
घर, फैक्ट्री और ऑफिस को कैसे रखें सुरक्षित
- घरों में आग ज्यादातर दो कारणों से लगती है। एक वायरिंग यानी तारों में शॉर्ट सर्किट और दूसरा सिलेंडर लीक होने की वजह से। घरों में भी आग लगने की ज्यादातर घटनाएं या तो परिवार की लापरवाही के चलते होती हैं या फिर जानकारी की कमी के कारण। कई लोग बिना सोचे-समझे मकान के बिजली सिस्टम पर लोड बढ़ाते जाते हैं, जिसकी वजह से स्पार्क या शॉर्ट सर्किट हो जाता है। कई घरों में गैस पर खाना बनाने के बाद सिलेंडर का स्विच भी आॅफ नहीं किया जाता है।
- सार्वजनिक जगहों पर ज्यादा संख्या में लोग रहते हैं। मसलन फैक्ट्री, कंपनी, हॉस्पिटल, स्कूल, आॅफिस, ऊंची बिल्डिंग्स। अगर इन जगहों पर आग लगती है तो बड़े नुकसान की आशंका रहती है। इन जगहों पर फायर सेफ्टी के इंतजाम होने चाहिए।
आग से बचने के उपाय क्या
- अगर मकान और बिजली की फिटिंग पुरानी है तो तो पहले उसे चेक कराएं।
पुराने तारों पर एसी-कूलर, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, ओवन आदि का भार न बढ़ाएं। पुरानी वायरिंग को बदल दें। इसमें कट न हो, इसका भी ध्यान रखें।
- एसी, कूलर और पंखों की समय पर सर्विसिंग कराएं। एक साथ एसी, वॉशिंग मशीन, फ्रिज जैसे इलेक्ट्रिक उपकरणों को न चलाएं। बाहर जाते समय मकान की लाइट और पंखें बंद करना न भूलें। एसी को 24 घंटे लगातार न चलाएं, बीच-बीच में कुछ घंटों का आराम भी दें। देर तक मोबाइल और लैपटॉप को चार्जर पर लगाकर न छोड़ें।
- छप्पर पर कोई ज्वलनशील पदार्थ नहीं रखना चाहिए। बिजली के खुले तारों का इस्तेमाल न करें। एक ही समय में ढेर सारे प्लग का इस्तेमाल न करें। खाना बनाने वाली जगह के आसपास कपड़े, प्लास्टिक, घास-फूस आदि न रखें। खाना पकाते समय जलती हुई गैस हुई छोड़कर कहीं न जाएं। सिलेंडर में लोकल पाइप की जगह अच्छी क्वालिटी के पाइप ही लगाएं।
- फायर अलार्म और स्मोक डिटेक्टर अच्छी कंडीशन में होने चाहिए। फायर सेफ्टी यंत्रों में गैस है या नहीं, इसकी समय-समय पर पड़ताल होनी चाहिए। फायर एग्जिट गेट ठीक है या नहीं, समय-समय पर इसकी भी जांच करते रहें।
स्प्रिंक्लर्स ठीक से चलने चाहिए। सुरक्षा कर्मचारियों के अलावा दूसरे लोगों को भी फायर सेफ्टी के इंतजामों की पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए। इन जगहों पर वॉटर टैंक में हर समय पानी रहना चाहिए।
ग्रामीण इन बातों का रखें ध्यान
- बीड़ी, सिगरेट या हुक्के का इस्तेमाल कर अच्छे से बुझाकर ही फेंके। खेत में कटी हुई फसल का ढेर बनाएं तो उसे बिजली के तारों से दूर रखें। खरपतवार तब तक न जलाएं, जब तक आसपास सूखी फसल खड़ी हो। खलिहान और फूस के मकान रेलवे लाइन से कम से कम 100 फीट की दूरी पर हों।
- बिजली के तारों के नीचे खलिहान न लगाएं और न ही फूस के छप्पर बनाएं। पुआल और गोबर के कंडों का ढेर रहने की जगह से 100 फीट की दूरी पर लगाएं। लालटेन-ढिबरी को बुझाने के बाद ठंडा हो जाने पर ही उनमें मिट्टी का तेल डालें। चूल्हे की जलती हुई बची लकड़ी को पानी से बुझाकर अलग रखें। शादी समारोह या त्योहारों में खलिहान के आसपास आतिशबाजी न चलाएं। लैंप, लालटेन या ढिबरी को सुरक्षित स्थान पर ही टांगे और छप्पर से दूर रखें।
झुग्गियों में ऐसे करें आग से बचाव
जब भी किसी एक झुग्गी-झोपड़ी में आग लगती है तो वहां मौजूद पूरी झुग्गियां राख हो जाती हैं। इसकी वजह यह है कि झुग्गियों में लगभग सभी सामान ज्वलनशील होते हैं और एक दूसरे से जुड़े होते हैं। यहां बिजली के नंगे तार भी लटक रहे होते हैं। बेहद छोटी सी जगह पर गैस या चूल्हे पर खाना बन रहा होता है। वेंटिलेशन की व्यवस्था भी नहीं होती है। यहां रहने वाले लोग भी आग से सुरक्षा के प्रति जागरूक नहीं होते। ऐसे में अक्सर यहां आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं।
Why most of the fire incidents happen in summer know how to avoid them
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