संबंधित खबरें
महायुति में सब ठीक नहीं! BJP ने अजित पवार के साथ मिलकर चली ऐसी चाल, फिर CM बनने का सपना देख रहे एकनाथ शिंदे हुए चारों खाने चित
बढ़ते प्रदूषण की वजह से Delhi NCR के स्कूल चलेंगे हाइब्रिड मोड पर, SC ने नियमों में ढील देने से कर दिया इनकार
केंद्रीय मंत्रिमंडल के इन फैसलों से आपके जीवन में आने वाला है ये बड़ा बदलाव, जान लीजिए वरना कहीं पछताना न पड़ जाए
BJP से आए इस नेता ने महाराष्ट्र में कांग्रेस का किया ‘बेड़ा गर्क’, इनकी वजह से पार्टी छोड़ गए कई दिग्गज नेता, आखिर कैसे बन गए राहुल के खास?
दिसंबर में इतने दिन बंद रहेंगे बैंक, जाने से पहले एक बार चेक कर लीजिए, वरना…
'नेताओं के जाल में…', संभल में सीने पर पत्थर खाकर SP मुसलमानों से करते रहे अपील, Video देखकर सैल्यूट करने को खुद उठ जाएगा हाथ
India News(इंडिया न्यूज), Kerala News: केरल हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक कैदी को पेरोल दे दी है। दोषी की पत्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला सुनाया, जिसमें महिला ने संतान सुख के लिए अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने युवक को बच्चे को जन्म देने के लिए इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ उपचार कराने के लिए 15 दिन की पेरोल दी है।
न्यायमूर्ति पीवी कुन्हिकृष्णन ने दंपति की सहायता करने पर कहा कि जब एक स्त्री इस तरह के अनुरोध के साथ अदालत में आती है, तो वह तकनीकी पहलुओं पर भी इसे नजरअंदाज नहीं कर सकती।
महिला ने अपनी याचिका में यह भी कहा था कि दंपति का मुवत्तुपुझा के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है और डॉक्टर ने उसे आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरने का सुझाव दिया है। उसने अदालत को बताया था कि इलाज के लिए यह जरूरी है कि उसका पति तीन महीने तक उसके साथ मौजूद रहे लेकिन अदालत ने 15 दिन की पेरोल को ही मंज़ूरी दी है।
अदालत ने कहा कि आपराधिक मामलों में दोषसिद्धि और सजा मुख्य रूप से अपराधियों के सुधार और पुनर्वास के लिए होती है। आपराधिक मामले में सजा काट चुके व्यक्ति को बाहर आने पर अलग व्यक्ति की तरह देखने की जरूरत नहीं है। उसे किसी भी अन्य सभी नागरिकों के समान एक सभ्य जीवन जीने का पूरा अधिकार है। न्यायाधीश द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया कि इसलिए, मेरी राय है कि अधिकारियों को याचिकाकर्ता के पति को आईवीएफ उपचार जारी रखने के लिए कम से कम 15 दिन की पेरोल तो देनी चाहिए।
अदालत ने जेल और सुधार सेवाओं के महानिदेशक को आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख से दो सप्ताह के भीतर, यथासंभव, जल्दी और किसी भी कीमत पर, कानून के अनुसार, आईवीएफ उपचार से गुजरने के लिए दोषी को पेरोल देने का निर्देश दिया। इसमें यह भी कहा गया है कि प्रत्येक मामले पर उसकी योग्यता के आधार पर ही विचार किया जाना चाहिए। दावे की वास्तविकता सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। दोषी जेल से बाहर निकलने के लिए इसका उपयोग नहीं कर सकते। प्रत्येक मामले पर दावे की वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए ही फैसला लेना चाहिए।
गणित में स्नातकोत्तर और शिक्षक के रूप में कार्यरत 31 वर्षीय महिला का पति वर्तमान में विय्यूर में केंद्रीय कारागार में सज़ा काट रहा है। अदालत के समक्ष अपनी याचिका में महिला ने कहा था कि 2012 में उसकी शादी हुई थी शादी के बाद से ही उनकी कोई संतान नहीं है और संतान का सुख उसका सपना है। जिसके बाद उसने अदालत को यह भी बताया था कि वह और उसका पति चिकित्सा की विभिन्न शाखाओं के तहत इलाज करा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई फायदा नहीं हुआ।
ये भी पढ़े
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.