India News (इंडिया न्यूज), PM Modi on Chhaava: इस समय पूरे देश में फिल्म छावा छाई हुई है। छावा फिल्म ने छत्रपति संभाजी महाराज के इतिहास को लाखों लोगों तक पहुंचाया है। इस फिल्म ने अब तक कई रिकॉर्ड बना लिए हैं। फिल्म छावा को देखने वाला हर व्यक्ति खासा उत्साहित नजर आ रहाहै। अब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी फिल्म ‘छावा’ के मुरीद हो गए हैं। उन्होंने नई दिल्ली में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में बोलते हुए इसका जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि अतीत में महाराष्ट्र के लोगों ने आयुर्वेद, विज्ञान और तार्किकता के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया है। महाराष्ट्र और मुंबई ने हिंदी फिल्मों के साथ-साथ मराठी फिल्मों का दर्जा बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। नई फिल्म छावा इस समय हर जगह सुर्खियां बटोर रही है।
आपको बता दें कि मुंबई ने मराठी के साथ-साथ हिंदी सिनेमा को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है। साहित्य समाज का दर्पण होता है। साहित्य समाज का मार्गदर्शक होता है। इसलिए देश में साहित्य उत्सव जैसे आयोजन अहम भूमिका निभाते हैं। गोविंद रानाडे, हरि नारायण आप्टे, आचार्य अत्रे और सावरकर ने आदर्श स्थापित किए हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि साहित्य महामंडल इस परंपरा को आगे बढ़ाएगा।
PM Modi on Chhaava
दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मराठी में बोलना शुरू किया। उन्होंने कहा, “मैं आप सबकी तरह मराठी में बात नहीं कर सकता, लेकिन मैंने नए मराठी शब्द सीखने और बोलने की कोशिश जरूर की है। आज अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जा रहा है, इसलिए आप सबने मराठी साहित्य सम्मेलन के लिए बहुत अच्छा दिन चुना है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मुझ जैसे लाखों लोगों को देश के लिए जीने की प्रेरणा दी। संघ की वजह से ही मैं मराठी भाषा से जुड़ा।”
उन्होंने कहा कि भाषाएं समाज में जन्म लेती हैं, लेकिन समाज के निर्माण में उनकी अहम भूमिका होती है। जब मैं मराठी के बारे में सोचता हूं तो मुझे संत ज्ञानेश्वर महाराज का अभंग याद आता है। मैं अपनी मराठी की तारीफ करूंगा, लेकिन अमृता भी शर्त जीत जाएगी। मराठी भाषा अमृत से भी मीठी है। इसलिए मुझे मराठी पसंद है। आप जानते हैं कि जब भारत को आध्यात्मिक ऊर्जा की आवश्यकता थी, तो महाराष्ट्र के संतों ने उसे उपलब्ध कराया। मराठी के कई संतों ने भक्ति आंदोलन के माध्यम से समाज को एक नई दिशा दी। मराठी भाषा ने देश को समृद्ध दलित साहित्य दिया। विज्ञान साहित्य उपलब्ध कराया। महाराष्ट्र ने नए विचार और नई प्रतिभाएँ दीं।
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