Hindi News / Lifestyle Fashion / Darashikoh Prince With Whom The Entire Family Of Ghosts Lived The Vampires Themselves Used To Serve Them Like Servants

वो मुगल शहजादा जिसके साथ रहता था भूतों का पूरा परिवार, खुद पिशाच करते थे नौकरों की तरह सेवा!

Shahzada Darashikoh: दारा शिकोह ने लाहौर में अपनी यात्रा के दौरान तांत्रिकों और जादूगरों की सेना में भर्ती की। इनमें से एक प्रमुख तांत्रिक इंद्रगिरि था।

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Shahzada Darashikoh: कंधार किले को हासिल करने के लिए मुगलों के बीच एक दिलचस्प और संघर्षपूर्ण कहानी चल रही थी। दारा शिकोह, जो सम्राट शाहजहां का बड़ा बेटा था, को इस महत्वपूर्ण अभियान के लिए पहले चुना गया था। लेकिन शाहजहां की चिंता थी कि दारा लड़ाई में उतना कुशल नहीं है। इसलिए, बिना जंग लड़े ही उसे वापस बुला लिया गया और कंधार भेजने के लिए औरंगजेब को चुना गया। हालांकि, 1652 में औरंगजेब की हार के बाद दारा ने फिर से कंधार जाने का फैसला किया।

दारा का काला जादू में विश्वास

दारा शिकोह ने लाहौर में अपनी यात्रा के दौरान तांत्रिकों और जादूगरों की सेना में भर्ती की। इनमें से एक प्रमुख तांत्रिक इंद्रगिरि था, जिसने दावा किया कि उसके पास 40 भूतों का नियंत्रण है और वह अपने जादू से कंधार किले को जीत दिला सकता है। इंद्रगिरि ने आश्वासन दिया कि वह अपने चमत्कारों से युद्ध में दारा की मदद करेगा।

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Shahzada Darashikoh: दारा शिकोह ने लाहौर में अपनी यात्रा के दौरान तांत्रिकों और जादूगरों की सेना में भर्ती की। इनमें से एक प्रमुख तांत्रिक इंद्रगिरि था।

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इंद्रगिरि की चालाकी

इंद्रगिरि ने कंधार किले में प्रवेश के लिए ईरानी सेनापति को बताया कि वह ईरानी राजकुमार का खास दोस्त है। इस पर उसे किले के भीतर ले जाया गया। लेकिन जब सेनापति को इंद्रगिरि पर शक हुआ, तो उसे सच्चाई उगलवाने के लिए प्रताड़ित किया गया। इंद्रगिरि ने बताया कि वह किसी भी प्रकार का जादू करने में असफल है, जिसके बाद उसे जगरूद शाही पहाड़ी से फेंक दिया गया।

नए जादूगरों की भर्ती

इंद्रगिरि की असफलता के बाद, दारा के पास एक और जादूगर आया जिसने वादा किया कि वह कंधार किले की तोपों को रोक देगा। दारा ने उसे विभिन्न उपहार दिए, लेकिन जादूगर भी अपने वादे में सफल नहीं हुआ। इसके बाद एक योगी ने 40 चेलों के साथ आकर दारा को आश्वासन दिया कि वह विशेष पूजा से दुश्मन को आत्मसमर्पण करवा देगा।

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दारा की रणनीति

दारा की सेना में 70,000 लोग थे, लेकिन उसने अपने सिपहसालारों से सलाह लेने के बजाय तांत्रिकों पर निर्भर रहकर हमले की योजना बनाई। समय बीतने के साथ, जादूगरों के बहाने और अनिश्चितताओं के कारण दारा को कोई सफलता नहीं मिली। कई दिनों तक घेराबंदी करने के बाद, दारा को बिना किसी विजय के दिल्ली लौटना पड़ा।

निष्कर्ष

दारा शिकोह का कंधार किले पर अभियान हमें यह सिखाता है कि युद्ध में केवल शारीरिक बल और संख्या का होना ही पर्याप्त नहीं है; सही रणनीति, नेतृत्व और वास्तविक ज्ञान भी आवश्यक हैं। तांत्रिकों और जादूगरों पर निर्भर रहकर दारा ने न केवल अपनी सेना को असफलता के कगार पर लाकर खड़ा किया, बल्कि कंधार के महत्वपूर्ण किले को भी खो दिया। यह कहानी एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना के साथ-साथ युद्ध की रणनीतियों और निर्णय लेने की प्रक्रिया के बारे में भी विचार करने का एक अवसर प्रदान करती है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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