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नसों में क्यों बनता है खून के थक्का? आ सकता है हार्ट अटैक, इन 5 लक्षणों को लोग करते है सबसे ज्यादा इग्नोर!

Prachi Jain • LAST UPDATED : October 15, 2024, 5:13 pm IST
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नसों में क्यों बनता है खून के थक्का? आ सकता है हार्ट अटैक, इन 5 लक्षणों को लोग करते है सबसे ज्यादा इग्नोर!

What Causes Blood Clots In Veins: थ्रोम्बोसिस एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। सही समय पर निदान और उपचार के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव करके इससे बचाव किया जा सकता है। अगर आपको या आपके परिवार में किसी को थ्रोम्बोसिस की समस्या है।

India News (इंडिया न्यूज़), What Causes Blood Clots In Veins: थ्रोम्बोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रक्त वाहिकाओं में खून के थक्के जमने लगते हैं। यह थक्के कभी-कभी रक्त प्रवाह को बाधित कर सकते हैं, जिससे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। डॉ. संजीव कुमार शर्मा, एमडी, डीएम (क्लिनिकल हेमेटोलॉजी), BLK-MAX Hospital के अनुसार, थ्रोम्बोसिस की स्थिति को समझना और इसके जोखिम कारकों को जानना महत्वपूर्ण है ताकि इसे रोका जा सके या प्रभावी रूप से इलाज किया जा सके।

थ्रोम्बोसिस के कारण

1. अनुवांशिक कारण (Inherited Factors): कुछ व्यक्तियों में थ्रोम्बोसिस का कारण अनुवांशिक हो सकता है। इसमें ऐसे जीन या उत्परिवर्तन शामिल होते हैं, जो खून के थक्के बनने की प्रवृत्ति को बढ़ाते हैं। उदाहरण के लिए, प्रोटीन C और प्रोटीन S की कमी, या फैक्टर V लेडेन म्यूटेशन जैसी स्थितियां। अगर आपके परिवार में किसी को रक्त के थक्के जमने की समस्या है, तो आपको अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

2. सामान्य कारण (Acquired Factors): थ्रोम्बोसिस के सामान्य कारणों में धूम्रपान, अधिक वजन, लंबे समय तक निष्क्रिय अवस्था में रहना (जैसे लंबी यात्राओं या बेड रेस्ट के दौरान), हार्मोनल उपचार, सर्जरी के बाद की स्थिति, कैंसर, और कुछ ऑटो इम्यून रोग शामिल हैं। ये सभी कारक नसों और धमनियों में खून के थक्के जमने की संभावनाओं को बढ़ाते हैं।

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डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) क्या है?

डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) एक प्रकार का रक्त थक्का होता है, जो पैरों की गहरी नसों में बनता है। अगर यह थक्का टूटकर हृदय के जरिए फेफड़ों तक पहुंच जाता है, तो यह पल्मोनरी एम्बोलिज्म का कारण बन सकता है, जो एक गंभीर और घातक स्थिति है। यह स्थिति अक्सर लंबे समय तक निष्क्रिय रहने या सर्जरी के बाद उत्पन्न होती है।

हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा

धमनियों में बनने वाले रक्त थक्कों को आमतौर पर एथेरोस्क्लेरोसिस से जोड़ा जाता है, जो धमनियों के अंदर प्लाक (चर्बी, कोलेस्ट्रॉल आदि) के जमा होने से होता है। जब इन धमनियों में खून के थक्के जमने लगते हैं, तो हार्ट अटैक या स्ट्रोक का जोखिम बहुत बढ़ जाता है।

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थ्रोम्बोसिस का निदान कैसे होता है?

डॉक्टर थ्रोम्बोसिस का निदान करने के लिए विभिन्न टेस्ट करते हैं:

  • डॉप्लर अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन का उपयोग नसों में थक्कों का पता लगाने के लिए किया जाता है।
  • धमनियों में थक्कों के निदान के लिए एंजियोग्राफी, एमआरआई, या सीटी स्कैन का उपयोग किया जाता है।

थ्रोम्बोसिस का इलाज

नसों और धमनियों में खून जमने की समस्या को दूर करने के लिए कई उपचार विकल्प उपलब्ध हैं:

1. एंटीकोएगुलंट्स (Anticoagulants):
ये दवाएं खून के थक्के बनने से रोकने में मदद करती हैं। इन्हें आमतौर पर रक्त को पतला करने वाली दवाओं के रूप में भी जाना जाता है।

2. थ्रोम्बोलाइटिक्स (Thrombolytics):
इस प्रकार की दवाएं पहले से बने हुए थक्कों को घोलने का काम करती हैं।

3. कैथेटर-निर्देशित थ्रोम्बोलिसिस:
इस प्रक्रिया में कैथेटर नामक लंबी ट्यूब को खून के थक्के तक पहुंचाकर दवाओं को वहां जमा थक्के में डाल दिया जाता है, जिससे थक्का घुलने लगता है।

4. थ्रोम्बेक्टोमी:
यह सर्जरी द्वारा थक्कों को हटाने की प्रक्रिया है, जो अधिक गंभीर मामलों में इस्तेमाल की जाती है।

5. एंटीप्लेटलेट्स (Antiplatelets):
एस्पिरिन और क्लोपिडोग्रेल जैसी दवाएं प्लेटलेट्स को एकत्र होने से रोकने में मदद करती हैं, जिससे खून का थक्का बनने की संभावना कम हो जाती है।

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थ्रोम्बोसिस से बचने के तरीके

थ्रोम्बोसिस से बचाव के लिए अपनी जीवनशैली में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए जा सकते हैं:

  • धूम्रपान छोड़ें।
  • सक्रिय रहें: लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहने से बचें। नियमित रूप से चलने-फिरने की आदत डालें।
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें।
  • स्वस्थ खान-पान: अपने आहार में ताजे फल और सब्जियां शामिल करें और संतुलित आहार का सेवन करें।
  • अगर आपको कोई बीमारी है या आप हार्मोनल ट्रीटमेंट ले रहे हैं, तो डॉक्टर से समय-समय पर जांच करवाएं।

निष्कर्ष

थ्रोम्बोसिस एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। सही समय पर निदान और उपचार के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव करके इससे बचाव किया जा सकता है। अगर आपको या आपके परिवार में किसी को थ्रोम्बोसिस की समस्या है, तो डॉक्टर से सलाह लेना और उनके निर्देशों का पालन करना आवश्यक है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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