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India News(इंडिया न्यूज), International Nurses Day: रोगियों की सेवा में अपनी समर्पणशीलता के साथ नजर आने वाली नर्सों को ‘सिस्टर’ कहा जाता है। उनकी इतनी आत्मीयता से देखभाल करने से ही मरीज उन्हें सम्मानित महसूस करते हैं। हर अस्पताल में उन्हें सम्मान के साथ देखा जाता है, और इस सम्मान को व्यक्त करने के लिए हर साल 12 मई को विश्व नर्स दिवस मनाया जाता है। इस दिन को विश्व नर्स दिवस के रूप में मनाने का उद्देश्य उन्हें सम्मानित करना है, जो अपने सेवा और समर्पण के माध्यम से अपने योगदान को देते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस का आरम्भ वर्ष 1974 में हुआ था, जो आधुनिक नर्सिंग की अग्रदूत फ्लोरेंस नाइटिंगेल को समर्पित है। 12 मई को नर्स दिवस का आयोजन किया जाता है, जो उनकी स्मृति में होता है। लेकिन शुरुआत में जनवरी में नर्स दिवस का आयोजन करने के पीछे की कहानी और फ्लोरेंस नाइटिंगेल के इस दिन से संबंध के बारे में विशेष जानकारी को अधिक जानें।
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नर्सों को सम्मानित करने के लिए हर साल 12 मई को विश्व भर में नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन मॉर्डल नर्सिंग की मात्री फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्म के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्हें लोग “लेडी विद दे लैंप” के नाम से भी जानते हैं।
12 मई 1820 को ही फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में बीमारियों और रोगियों की सेवा की। फ्लोरेंस के बचपन में बीमारी और शारीरिक कमजोरी के अनुभव रहे। उन दिनों में स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं की कमी थी। बिजली के उपकरण नहीं थे, और हाथों में लालटेन लेकर अस्पताल में स्वास्थ्य गतिविधियां की जाती थीं। फ्लोरेंस के लिए उनके मरीजों की हमेशा फिक्र रहती थी। उनकी देखभाल के लिए फ्लोरेंस रात में भी अस्पताल में घूम कर चेक करती थीं कि किसी रोगी को कोई जरूरत तो नहीं है। गरीब, बीमार और दुखियों के लिए वह काम करती थीं। उनकी नर्सिंग सेवा ने समाज में नर्सों को सम्मानजनक स्थान दिलाया। फ्लोरेंस के प्रयासों से 1960 में आर्मी मेडिकल स्कूल की स्थापना हुई।
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