India News (इंडिया न्यूज़), Iranian King Nadir Shah: इतिहास के पन्नों पर कुछ घटनाएं हमेशा अमिट छाप छोड़ जाती हैं, और ऐसी ही एक घटना मुगलों और ईरानी राजा नादिर शाह के बीच घटित हुई थी। यह कहानी उस समय की है जब मुगल साम्राज्य अपने सामर्थ्य और समृद्धि के शिखर पर था, और नादिर शाह जैसे शातिर और चालाक शासक ने उसे चुनौती दी।
नादिर शाह, ईरान का एक प्रसिद्ध शासक, अपनी कूटनीति और युद्ध कौशल के लिए जाना जाता था। उसने अपने सैन्य बल से कई शक्तिशाली राज्यों को पराजित किया और एक के बाद एक विजय प्राप्त की। उसकी रणनीतियों और चतुराई ने कई साम्राज्यों को हिला दिया।
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1719 में, नादिर शाह ने अपने विशाल आक्रमण के साथ भारत की ओर कदम बढ़ाया। मुगल सम्राट मोहम्मद शाह की सैन्य ताकत के बावजूद, नादिर शाह की सैनिक चालाकियों और युद्ध रणनीतियों के आगे मुगलों को हार का सामना करना पड़ा।
युद्ध के बाद, नादिर शाह ने दिल्ली पर कब्जा किया और अपनी विजय की ढेर सारी संपत्तियों के साथ लौटने लगा। लेकिन उसकी निगाहें एक विशेष वस्तु पर टिकी थीं—कोहिनूर हीरा। यह हीरा न केवल भारतीय उपमहाद्वीप का एक महत्वपूर्ण खजाना था, बल्कि इसके इतिहास और महत्व के कारण इसे नादिर शाह की आंखों का तारा भी कहा जाता था।
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नादिर शाह को पता चला कि मुगल सम्राट मोहम्मद शाह के पास एक विशेष हीरा है जिसे उसने अपनी पगड़ी में छिपा रखा था। यह सुनकर नादिर शाह ने मोहम्मद शाह से मिलने का निर्णय लिया। जब वे आमने-सामने आए, तो नादिर शाह ने एक चतुर चाल चली।
उसने मोहम्मद शाह से मित्रता का दिखावा करते हुए अपनी पगड़ी बदलने की पेशकश की। मोहम्मद शाह, जो उस समय अपनी स्थिति और हालात के अनुसार अधिक मित्रवत व्यवहार करना चाह रहा था, ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। वह समझ गया कि यह एक सहज और दोस्ताना इशारा था, और उसने अपनी पगड़ी नादिर शाह को दे दी।
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इस बदलते समय की अदला-बदली में, नादिर शाह ने चतुराई से कोहिनूर हीरा भी अपने कब्जे में ले लिया। जब मोहम्मद शाह ने अपनी पगड़ी वापस देखी, तो उसकी आंखों में एक खालीपन और विस्मय का भाव था।
नादिर शाह की चालाकी और युद्ध में उसकी सफलता ने मुगलों को केवल पराजित ही नहीं किया, बल्कि एक अनमोल खजाने को भी उसकी झोली में डाल दिया।
इस प्रकार, नादिर शाह ने अपनी बुद्धिमत्ता और रणनीति से न केवल युद्ध जीतने में सफलता प्राप्त की, बल्कि एक अत्यंत महत्वपूर्ण खजाना भी अपने कब्जे में लिया। यह घटना इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में दर्ज हुई और नादिर शाह की चतुराई की गाथा को अमर बना गई।
यह कहानी यह दर्शाती है कि एक सफल शासक केवल सैन्य बल के बल पर नहीं, बल्कि अपनी चतुराई और राजनीतिक चालाकियों के बल पर भी विजय प्राप्त कर सकता है।
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