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India News (इंडिया न्यूज़), Jodha & Akbar: भारतीय इतिहास के पन्नों में अकबर महान का नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। अकबर के बारे में कई कहानियाँ और किवदंतियाँ प्रचलित हैं, जिनमें से एक है उनकी कथित पत्नी जोधाबाई की कहानी। परंतु, जब हम ऐतिहासिक तथ्यों की गहराई में जाते हैं, तो कई इतिहासकारों का यह मानना है कि जोधाबाई नाम की कोई पत्नी अकबर की नहीं थी। इस नाम का अधिकांश उल्लेख बाद के साहित्य और विशेष रूप से बॉलीवुड की फिल्मों में हुआ है, जो इसे एक रोमांटिक पहलू देते हैं। लेकिन असल में, जोधाबाई का ऐतिहासिक प्रमाण स्पष्ट नहीं है।
ऐतिहासिक रूप से, अकबर ने 20 साल की उम्र में आमेर (वर्तमान जयपुर) के राजा भारमल की बेटी हरखा बाई से विवाह किया था। यह विवाह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम था, लेकिन इसके साथ कई दिलचस्प बातें जुड़ी हैं। हरखा बाई, जिन्हें कुछ साहित्य में जोधाबाई भी कहा गया, ने इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं किया था। वह अपनी हिंदू पहचान के साथ ही मुगल दरबार में रही, जो अकबर की धार्मिक सहिष्णुता और उनके “सुलेह-ए-कुल” नीति को दर्शाता है।
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अकबर और हरखा बाई के विवाह को किसी प्रेम कहानी की तरह नहीं देखा जा सकता, जैसा कि आधुनिक फिल्मों में दर्शाया गया है। यह विवाह दरअसल राजनीतिक लाभ के लिए था, जिसमें आमेर के राजा भारमल को अकबर की सहायता प्राप्त हुई। इस गठबंधन ने मुगल साम्राज्य को मजबूत किया और राजपूतों के साथ अकबर के संबंधों को भी सुदृढ़ बनाया। इस विवाह के बाद आमेर और मुगलों के बीच संबंध इतने घनिष्ठ हो गए कि राजा भारमल के परिवार के कई सदस्य मुगल सेना और प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त हुए।
अकबर की पहली पत्नी हरखा बाई नहीं थीं। उनकी पहली और सबसे करीबी पत्नी रुक़ैया सुल्तान बेगम थीं, जो अकबर की चचेरी बहन भी थीं। अकबर के जीवन में रुक़ैया का विशेष स्थान था, और वे अकबर की प्रमुख बेगम के रूप में प्रसिद्ध थीं। रुक़ैया और अकबर के संबंध घनिष्ठ और विश्वासपूर्ण थे, जो यह स्पष्ट करता है कि अकबर के जीवन में प्रेम के स्तर पर हरखा बाई का वह स्थान नहीं था, जो फिल्मों और साहित्य में दिखाया जाता है।
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बॉलीवुड ने अकबर और जोधाबाई की कहानी को एक प्रेम कहानी की तरह प्रस्तुत किया, जिसमें दोनों के बीच गहरा प्रेम और आदर दिखाया गया है। फ़िल्म “जोधा अकबर” इसका प्रमुख उदाहरण है, जहाँ जोधाबाई के रूप में हरखा बाई का चित्रण एक अत्यधिक रोमांटिक तरीके से किया गया है। लेकिन इतिहासकारों का मानना है कि यह चित्रण काफी हद तक काल्पनिक है और वास्तविक ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है। फ़िल्मों में दर्शाया गया जोधाबाई का किरदार ज्यादा साहित्यिक और नाटकीय है, जो वास्तविकता से परे है।
जब हम अकबर और जोधाबाई के संबंधों को देखते हैं, तो यह स्पष्ट होता है कि जोधाबाई का नाम और उसकी कहानी, ऐतिहासिक दृष्टिकोण से उतना प्रामाणिक नहीं है, जितना कि हमें फिल्मों और कहानियों में दिखाया गया है। असल में, अकबर और हरखा बाई का विवाह एक राजनीतिक गठबंधन था, जो प्रेम से अधिक सत्ता और कूटनीति पर आधारित था। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि इतिहास को केवल रोमांस या मनोरंजन के नजरिए से नहीं, बल्कि तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर समझना चाहिए।
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