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मलेरिया में किसी जादू की तरह काम करती हैं इस पेड़ की पत्तियां, इन बीमारियों में रामबाण हैं इनका कमाल!

Kalmegh Leaves: कालमेघ (Andrographis paniculata) एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसकी पत्तियों में अनेक रोगों के उपचार की शक्ति होती है।

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Kalmegh Leaves: कालमेघ (Andrographis paniculata) एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसकी पत्तियों में अनेक रोगों के उपचार की शक्ति होती है। इसे विशेष रूप से मलेरिया के इलाज में जादुई असर करने वाली जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा, कालमेघ की पत्तियों का उपयोग कई अन्य बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है। आइए जानते हैं, कैसे कालमेघ की पत्तियां मलेरिया और अन्य रोगों में रामबाण की तरह काम करती हैं।

मलेरिया में कालमेघ की भूमिका

मलेरिया एक गंभीर बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से फैलती है। कालमेघ की पत्तियां मलेरिया के इलाज में अत्यधिक प्रभावी मानी जाती हैं। इन पत्तियों में कड़वा पदार्थ होता है, जिसे “एंड्रोफोलाइड” कहा जाता है, जो मलेरिया के परजीवियों को नष्ट करने में मदद करता है। कालमेघ की पत्तियों का रस या काढ़ा पीने से मलेरिया के लक्षण, जैसे बुखार, सिरदर्द और ठंड लगना, जल्दी ठीक हो जाते हैं। यह न केवल मलेरिया के उपचार में सहायक है, बल्कि इसके उपयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है, जिससे शरीर संक्रमण से लड़ने में सक्षम हो जाता है।

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अन्य बीमारियों में कालमेघ का उपयोग

 

जिगर के रोग:

कालमेघ को जिगर के लिए भी अत्यधिक फायदेमंद माना जाता है। इसका सेवन जिगर को साफ करता है और उसे स्वस्थ रखने में मदद करता है। कालमेघ की पत्तियां जिगर की सूजन, पीलिया और हेपेटाइटिस जैसी समस्याओं में भी लाभकारी हैं।

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पाचन संबंधी समस्याएं:

कालमेघ का उपयोग पाचन तंत्र को मजबूत करने के लिए किया जाता है। यह पेट में गैस, अपच, और दस्त जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है। कालमेघ की पत्तियों का काढ़ा पेट की समस्याओं में बहुत ही प्रभावी होता है।

बुखार और सर्दी-खांसी:

कालमेघ का सेवन बुखार, सर्दी, और खांसी में भी फायदेमंद होता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण शरीर के तापमान को नियंत्रित करते हैं और संक्रमण को रोकते हैं।

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मधुमेह:

कालमेघ की पत्तियों का नियमित सेवन मधुमेह के मरीजों के लिए भी लाभकारी होता है। यह रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है और इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है।

त्वचा रोग:

कालमेघ का पेस्ट त्वचा पर लगाने से खुजली, फोड़े-फुंसी और अन्य त्वचा रोगों में राहत मिलती है। इसके एंटीसेप्टिक गुण त्वचा को स्वस्थ बनाए रखते हैं।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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