इंडिया न्यूज़, Life in Indian Prison : आपको शायद जेल के अंदर की जिंदगी का नहीं पता होगा की अंदर की जिंदगी कैसी होती है, और जेल के अंदर सभी कैदीयो के साथ कैसा बरताव किया जाता है। जेल के अंदर किस-किस तरह की सुविधाएं एक कैदी को दी जाती है। जेल शब्द सुनने में जितना ज़्यादा छोटा है असल में जेल अंदर से उतना ही ज़्यादा बड़ा होता है। और उसके अंदर कई सारी सुविधाएं होती हैं, और जो भी जेल में जाता है उन सभी लोगों से काम करवाया जाता है। जिसके बदले उसे खाना-पीना मिलता है। जेल राज्य सरकार के अधीन काम करता है। जेल के अंदर की जो पुलिस होती है वो बाकी समान्य पुलिस से काफी अलग होती है। आज हम आपको जेल की जिंदगी के बारे में बताएंगे।
आपको ये भी पता नहीं होगा की कैदी को उसका नंबर कब दिया जाता है। शुरुआत में जब एक नया कैदी आता है उस वक्त उसे नंबर नहीं देते अगर उसकी सजा लम्बे दिन की होती है तो ही उन्हें एक नंबर दिया जाता है जिसके बाद उस नंबर से ही उस कैदी की पहचान होती है
Prisoner’s Lifestyle
अगर कोई कैदी बहुत बड़ा क्राइम करके आता है या फिर उसे काफी ज्यादा दिनों तक की सजा होती है। तभी उसे उसका नंबर दिया जाता है जानकारी के लिए पता होना चाहिए की 10 से 15 दिन या फिर कुछ दिन की सजा में आने वाले कैदियों को कोई भी नंबर नहीं मिलता है।
जेल में भी कैदी को रखने की कई अलग-अलग जगह होती है। जहां पर अलग-अलग कैदियों को रखा जाता है, जैसे कि अगर कोई ज़्यादा खतरनाक कैदी होता है, तो उसे सबसे अलग रखा जाता है, और छोटी सजा वाले कैदी को अलग जगह रखा जाता है। सभी को अपनी एक जगह मिली होती है जहाँ वो रहते हैं।
जेल में एक कैदी के खाने के ऊपर कितने पैसे खर्च हो जाते हैं। इनमे सभी अलग जगह के अलग-अलग नियम होते हैं। और अगर हम अपने भारत देश की बात करें, तो यहां एक कैदी के ऊपर 1 दिन में लगभग 52- 70 रू का खर्च आता है। यह सब उस जेल के मेनू के हिसाब से तय किया जाता है।
जानकारी के लिए पता होना चाहिए, कि जेल में कैदी को सुबह 7 बजे नाश्ता दिया जाता है और टाइम सेट होता है।
कैदियों का अस्पताल काफी साधारण होता है और उसमे सिर्फ छोटी-मोटी बीमारी का ही इलाज किया जाता है। बड़ी बीमारी के लिए कैदियों को पुलिस की निगरानी में जिला चिकित्सालय ले जाया जाता है। कई लोगों को जेल में बना खाना काफी ज़्यादा पसंद आता है इसलिए जब वो आते हैं तो काफी दुबले-पतले आते हैं लेकिन यहाँ से वापस जाते समय बहुत ही मोटे हो जाते हैं।
किसी भी कैदी से मिलने के लिए सभी जेल में एक समय दिया गया है अगर किसी भी इंसान को उस कैदी से अगर मिलना है तो उसे उस दिए गए समय में ही मिलना पड़ेगा नहीं तो वो नहीं मिल सकते। किसी भी कैदी से मिलने का समय होता है सुबह 10 बजे से 3 बजे तक का होता है। उससे पहले या बाद में नहीं मिलने दिया जाता है।
अगर किसी कैदी को कोई भी खाने की चीज़ या उसके ज़रूरत की वस्तु चाहिए होती है तो जेल में एक कैंटीन भी होता जहाँ से सभी कैदी पैसे दे कर अपने ज़रूरत की चीज़ो को खरीद सकते हैं।
कैदी के घर वाले अगर चाहे तो जेल में उसे खाने की चीज़े या पैसे जिससे वो अंदर कुछ खरीद सके ले जा के दे सकते हैं। कई कैदियों के घर वाले उनके लिए खाना भेजते है लेकिन रोजाना आप ऐसा नहीं कर सकते है ये जेल के नियम के खिलाफ होगा हफ्ते में 2 या 3 बार कैदी को खाना पहुचा सकते हैं।
फांसी सुबह में देने की कई सारी वजह है सुबह में फ़ासी देने का समय इसलिए दिया गया है क्योकि शुरुरात से ये समय सभी जेल को समान्य रूप से बता दिया गया है की फ़ासी का समय सिर्फ सुबह ही होता है। समय से कैदी के घर वालों को कैदी की डेड बॉडी दे दी जाए ताकि अंतिम संस्कार समय से हो सके।
फांसी देने के समय वहाँ के जिलाअधिकारी मौजूद रहते हैं साथ में जेलर गार्ड रहता है और उन सभी के साथ एक डॉक्टर और फांसी देने वाला हत्यारा वहाँ मौजूद रहता है।
फ़ासी के समय उस कैदी के चेहरे पे एक काला कपड़ा पहना दिया जाता है जिससे की फ़ासी देने वाला उस कैदी का चेहरा नहीं देख पाता और फांसी देने के समय कैदी के कानो में जल्लाद बोलता है की मुझे माफ़ करना अपने काम के आगे मजबूर हूँ हिन्दू को राम राम मुस्लिम को सलाम जिसके बाद उसे फांसी दे दी जाती है।