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अकबर को खुश करने के लिए लाई जाती थी ऐसी महिलाएं, आज भी होती है मर्दों की पहली पसंद, क्या थी खासियत?

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : December 2, 2024, 5:00 pm IST
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अकबर को खुश करने के लिए लाई जाती थी ऐसी महिलाएं, आज भी होती है मर्दों की पहली पसंद, क्या थी खासियत?

Mughal Emperor, Akbar: अकबरनामा के अनुसार, अकबर के हरम में 5,000 से अधिक महिलाएं थीं।

India News (इंडिया न्यूज), Mughal Emperor, Akbar: मुगल साम्राज्य का हरम एक ऐसा विषय रहा है, जिसने हमेशा से ही लोगों के मन में जिज्ञासा जगाई है। हरम के अंदर की दुनिया को समझने के लिए न केवल इतिहासकारों ने दिलचस्पी ली, बल्कि विदेशी यात्री भी इसे जानने की चाहत में भारत आए। मुगल हरम में क्या होता था, इसकी झलक हमें विभिन्न संस्मरणों और ऐतिहासिक दस्तावेजों में मिलती है।

हरम की स्थापना और विस्तार

हरम की अवधारणा की शुरुआत बाबर के समय में ही हो गई थी, लेकिन इसे व्यवस्थित और विस्तृत रूप अकबर के शासनकाल में मिला। अबुल फजल के “अकबरनामा” के अनुसार, अकबर के हरम में 5,000 से अधिक महिलाएं थीं। इनमें से कई महिलाएं दासियां थीं, जिन्हें विभिन्न देशों से लाया गया था। हरम में बादशाह की पत्नियां, रखैलें, दासियां, संगीतकार और सेविकाएं शामिल होती थीं।

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हरम की सुरक्षा: महिलाओं का प्रभुत्व

हरम की सुरक्षा व्यवस्था में एक विशेष बात यह थी कि इसे पूरी तरह से महिलाओं द्वारा नियंत्रित किया जाता था। सुरक्षा की पहली पंक्ति में भारी-भरकम और मजबूत शरीर वाली महिलाओं को रखा जाता था। इन महिलाओं को विशेष युद्ध प्रशिक्षण दिया जाता था। उज्बेकिस्तान और अन्य मध्य एशियाई देशों से लाई गई इन योद्धा महिलाओं को धनुष, भाले और तलवार चलाने में महारत हासिल थी। उनकी ताकत और कुशलता के कारण कोई भी बाहरी व्यक्ति हरम में प्रवेश करने की हिम्मत नहीं करता था।

किन्नरों की भूमिका

हरम की सुरक्षा और प्रशासन की दूसरी महत्वपूर्ण कड़ी हिजड़े (किन्नर) थे। ये हिजड़े हरम की अंदरूनी व्यवस्थाओं को संभालते थे और षड्यंत्रों पर नजर रखते थे। अफ्रीकी और एशियाई मूल के इन हिजड़ों को अक्सर बचपन में ही उनके परिवारों से अलग कर दिया जाता था या फिर उन्हें तोहफे के रूप में मुगल दरबार में भेजा जाता था। हरम की महिलाओं और बादशाह के बीच संपर्क का माध्यम भी कई बार यही हिजड़े होते थे। उनकी निष्ठा और गोपनीयता के कारण हरम के अंदरूनी मामलों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी।

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विदेशी यात्रियों की झलक

मुगल हरम की झलक पाने वाले कुछ गिने-चुने लोग ही थे। इतालवी यात्री निकोलो मनूची और फ्रांसीसी चिकित्सक फ्रांस्वा बर्नियर को हरम के अंदर जाने का अवसर मिला। इन विदेशी यात्रियों ने अपने संस्मरणों में हरम की रहस्यमय और भव्य दुनिया का वर्णन किया है। उन्होंने बताया कि हरम न केवल ऐश्वर्य और विलासिता का केंद्र था, बल्कि राजनीतिक साजिशों और आंतरिक कलहों का भी गढ़ था।

हरम की संस्कृति और प्रभाव

हरम से निकलने वाली खबरें और वस्तुएं अक्सर पूरे साम्राज्य में चर्चा का विषय बन जाती थीं। हरम में कला, संगीत और साहित्य का भी विकास होता था। यहां की महिलाएं कई बार राजनीतिक निर्णयों में अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालती थीं।

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मुगल हरम न केवल भोग-विलास का केंद्र था, बल्कि यह एक संगठित और संरक्षित संस्थान भी था। यहां की सुरक्षा व्यवस्था से लेकर प्रशासनिक कार्यों तक, हर पहलू में एक जटिल संरचना थी। विदेशी यात्रियों के संस्मरण और ऐतिहासिक दस्तावेज हमें इस गुप्त दुनिया की केवल एक झलक दिखा पाते हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि मुगल हरम एक रहस्यमय और महत्वपूर्ण संस्था थी, जिसने मुगल साम्राज्य के राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन को गहराई से प्रभावित किया।

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