कैसे कम हो रही महाराष्ट्रीय थाली की शान, सेहत और गुणों से भरपूर Pomfret Fish पर गहराया संकट ?

Pomfret Fish: पोमफ्रेट मछली को अंग्रेजी में पैपलेट मछली भी कहते हैं. समुद्री पोमफ्रेट मछलियों की तकरीबन 35 प्रजातियां हैं. ये बड़ी मछलियां अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागरों में व्यापक रूप से पाई जाती हैं. ज्यादातर पोमफ्रेट मछलियां अपेक्षाकृत दुर्लभ हैं. ब्रैमिडे कुल के कुछ सदस्यों में शरीर की लंबाई तक फैली एक ही पृष्ठीय पंख जैसी विशेषताएँ होती हैं. कुछ प्रजातियों का शरीर गहरा और पूंछ गहरी दो भागों में बंटी होती है. यह काफी गुणों से भरपूर होती है, जिसके चलते इसे खाने में लजीज व्यंजन के तौर पर भी यूज किया जाता है. बता दें कि इस मछली पर अब काफी संकट गहराया हुआ है.  

सेहत के लिए फायदेमंद है पोमफ्रेट

इस मछली पर संकट गहराने का एक कारण इसकी कई क्षेत्रों में उपयोगिता भी है. पोमफ्रेट मछली पोषक तत्वों से भरपूर होती है और मानव विकास के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व प्रदान करती है. इनमें विटामिन बी, कैल्शियम, अमीनो एसिड, जिंक, थैलियम, आयरन, फास्फोरस और अन्य आवश्यक प्रोटीन भी पाए जाते हैं. पोमफ्रेट मछली का मांस हल्का और स्वाद में मीठा होता है. इसमें अच्छे वसा की मात्रा अधिक होती है, इसलिए इसे बटरफिश भी कहा जाता है. पोमफ्रेट मछली कैल्शियम, विटामिन ए, विटामिन डी और विटामिन बी का अच्छा स्रोत है. इनमें मौजूद विटामिन बी12 तंत्रिका तंत्र के विकास में अहम रोल निभाता है. ये शरीर को उच्च मात्रा में आयोडीन भी प्रदान करती है, जो थायरॉइड ग्रंथि के लिए जरूरी है. यह मस्तिष्क के लिए फायदेमंद हैं और आंखों की रोशनी बढ़ाने के साथ-साथ बालों और त्वचा को स्वस्थ रखने में भी सहायक है.

यह मछली प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है और इसमें लगभग 15% ओमेगा 3 फैटी एसिड मौजूद होते हैं. ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त उत्पादों का सेवन हृदय गति परिवर्तनशीलता को बढ़ाकर हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मददगार होता है. गर्भावस्था की योजना बना रही महिलाएं, गर्भवती महिलाएं और छह साल तक के बच्चे भी सीमित मात्रा में मछली का सेवन कर सकते हैं. पाचन क्रिया को बेहतर बनाने के लिए मछली के साथ दूध का सेवन करने से बचना चाहिए. चूंकि पोमफ्रेट मछली में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा होती है, इसलिए इसे कम तेल में तलकर या भाप में पकाकर खाना बेहतर रहता है. मछली में अन्य पशु उत्पादों की तुलना में वसा की मात्रा कम होती है. मछली मानव शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा प्रदान कर सकती है.

महाराष्ट्र में मिला राज्य का दर्जा

महाराष्ट्र की अधिकांश तटीय आबादी के पसंदीदा समुद्री खाने सिल्वर पॉम्फ्रेट को ‘राज्य मछली’ घोषित किया गया है. यह घोषणा मत्स्य पालन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने की. दुर्लभ होती जा रही सिल्वर पॉम्फ्रेट को इस फैसले से महाराष्ट्र में संरक्षण और उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिलेगी. महाराष्ट्रियन थाली की शान सिल्वर पॉम्फ्रेट को राज्य मछली का दर्जा मिल गया. पिछले कई सालों से पॉम्फ्रेट मछली को राज्य मछली का दर्जा देने की मांग की जा रही थी. पॉम्फ्रेट महाराष्ट्र राज्य से सबसे ज़्यादा निर्यात की जाने वाली मछली है. हालांकि, सन 1980 के बाद से इसके उत्पादन में 50 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई है, इसलिए यह मछली दुर्लभ होती जा रही है. काफी डिमांड के चलते अब इस मछली की काफी कमी देखने को मिल रही है. 

प्रदूषण के चलते हुआ नुकसान

मछुआरों के अनुसार, समुद्र में मछलियां काफी कम हो गईं हैं. गहरे पानी में डुबकी लगाने के बाद भी कुछ खास हाथ नहीं आता है. जहां, पहले 4-5 किलो मछली एक बार में पकड़ लेते थे वहीं, अब इसकी मात्रा घटकर एक किलो तक ही सीमित हो गई है. सिल्वर पॉम्फ़्रेट के उत्पादन में गिरावट की खास वजह बढ़ता प्रदूषण, पूर्ण परिपक्वता और प्रजनन आयु तक पहुंचने से पहले ही मछली पकड़ लेना बताया जा रही है. नए फैसले से अब इस मछली के सफल प्रजनन को सुनिश्चित करने, संरक्षण और सतर्क निगरानी जैसे फैसलों को अहमियत मिलेगी.

सबसे लोकप्रिय व्यंजन

यह मछली प्रशांत और अटलांटिक में भी पाई जाती है. पोमफ्रेट मछलियां भारतीयों के खाने में सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में से एक हैं। भारतीय पोमफ्रेट हिंद-प्रशांत क्षेत्र के उष्णकटिबंधीय समुद्र में बड़े पैमाने पर पाई जाती हैं। इसके अलावा, भारतीय पोमफ्रेट मछली भारतीय उपमहाद्वीप के सभी तटों पर देखी जा सकती है। ये मुख्य रूप से गुजरात, मुंबई और ओडिशा के तटों और पश्चिम बंगाल के पूर्वी तट पर पाई जाती हैं। पोमफ्रेट मछली की तीन प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें काली पोमफ्रेट, ग्रे पोमफ्रेट और सिल्वर पोमफ्रेट मुख्य हैं. तीनों प्रजातियों में से सिल्वर कलर की पोमफ्रेट सबसे आम है. इसके बाद काली पोमफ्रेट और ग्रे पोमफ्रेट आती है। पैम्पस अर्जेंटियस मछली भारत के पश्चिमी और पूर्वी तटों पर व्यापक रूप से पाई जाती है।

Pushpendra Trivedi

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Pushpendra Trivedi

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