Benefits Of Peepal Tree : पीपल के पेड़ में देवताओं का वास होता है। काहा जाता है कि पीपल के पेड़ में भगवान विष्ण का वास होता है। पीपल के वृक्ष को अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है जिसके पत्ते कभी समाप्त नहीं होते। कई पुराने आयुर्वेदिक ग्रंथों में पीपल के पेड़ और इसकी पत्तियों के गुणों के बारे में बताया गया है कि पीपल के प्रयोग से रंग में निखार आता है, घाव, सूजन, दर्द से आराम मिलता है। पीपल खून को साफ करता है।
पीपल की छाल मूत्र-योनि (urinary tract) विकार में लाभदायक होती है। पीपल की छाल के उपयोग से पेट साफ होता है। यह सेक्सुअल स्टेमना(sexual stamina) को भी बढ़ाता है और गर्भधारण करने में मदद करता है। सुजाक(gonorrhea), कफ दोष(Kapha Dosha), डायबिटीज(diabetes), ल्यूकोरिया(leucorrhoea), सांसों के रोग(respiratory diseases) में भी पीपल का इस्तेमाल लाभदायक होता है। इतना ही नहीं, अन्य कई बीमारियों में भी आप पीपल का उपयोग कर सकते हैं। तो आईए जानते हैँ कि पीपल के पेड़ के क्या-क्या फायदे होते है।
यह सांस की समस्या(respiratory problems) से जुड़ी परेशानी होती है, जिसमें फेफड़ों के रास्ते में सूजन और कसाव उत्पन्न हो जाता है। इससे गले में घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और खांसी होती है। अस्थमा(asthma) की समस्या में पीपल के पत्ते के फायदे देखे जा सकते हैं।
पीपल के पत्ते के अर्क में ऐसे विशेष गुण पाए जाते हैं, जो ब्रोंकोस्पास्म(bronchospasm) पर प्रभावी असर दिखा सकता है। पीपल के पत्ते और फल में औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो अस्थमा को ठीक करने में मददगार साबित हो सकते हैं। अस्थमा के इलाज के लिए पीपल के पत्ते का जूस और इसके फल का चूर्ण लेने की सलाह दी जाती है।
आपने अपने पेट में दर्द का अनुभव कभी न कभी जरूर किया होगा, लेकिन अगर आपके आसपास पीपल का पेड़ है, तो अगली बार आप इस समस्या से नहीं जूझेंगे पीपल के पत्ते में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं, जो विभिन्न प्रकार के दर्द और सूजन की समस्या को ठीक कर सकते हैं।
आपने कभी न कभी अपने किसी करीबी या परिवार के सदस्यों में फटी हुई एड़ियों की समस्या जरूर देखी होगी। इस समस्या में पीपल का फायदा देखा जा सकता है। फटी एड़ियों के लिए आप पीपल की छाल का इस्तेमाल कर सकते हैं। पीपल की छाल में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जिस कारण इसे फूट क्रीम को तैयार करने में भी इस्तेमाल किया जाता है।
डायरिया की स्थिति में इंसान बहुत थका हुआ महसूस करने लगता है, क्योंकि डायरिया में पतले दस्त होने लगते हैं। दिनभर में तीन या अधिक बार दस्त होना डायरिया के लक्षण माने जाते हैं। इस समस्या से उबरने के लिए आप पीपल की छाल का उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि पीपल की छाल में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। अगर इसकी छाल से निकलने वाले अर्क का सेवन किया जाए, तो यह डायरिया की समस्या को प्रभावी रूप से ठीक कर सकता है।
पीपल के लाभ दांतों के लिए भी उपयोग में लाए जा सकते हैं। पीपल के पत्तों से बने हुए तेल में स्टेरॉयड, फ्लेवोनोइड्स, और एल्कलॉइड्स बायोएक्टिव यौगिक पाए जाते हैं। बायोएक्टिव यौगिक न केवल दांतों को सफेद करने का गुण रखते हैं, बल्कि यह मुंह की दुर्गंध व मसूड़ों की एलर्जी को भी सुधारने का काम कर सकते हैं।
हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए भी पीपल के लाभ प्रयोग किए जा सकते हैं। अगर पीपल का पत्ता रात भर भिगोकर रखा जाए और अगले दिन अर्क का सेवन तीन बार किया जाए, तो हृदय से जुड़ी समस्याओं को कम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त पीपल ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस(oxidative stress) और सूजन को भी कम करता है साथ ही इसमें कार्डियोप्रोटेक्टिव(cardioprotective) गुण भी पाया जाता है।
कुछ दवाओं के सेवन से कभी-कभी लीवर को हानि पहुंच सकती है। ऐसे में लीवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पीपल पर भरोसा किया जा सकता है। पीपल में हेपोप्रोटेक्टिव क्रिया पाई जाती है। अर्क का उपयोग करने से लीवर को खराब होने से बचाया जा सकता है।
रक्त शुद्धीकरण करने के लिए पीपल के लाभ आपकी मदद कर सकते हैं। आयुर्वेद में पीपल की पत्तियों को रक्त की अशुद्धता को दूर करके, त्वचा रोग को ठीक करने के लिए लिए इस्तेमाल किया जाता है। पीपल की पत्तियों में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं। पीपल की पत्तियों के अर्क को पीने से रक्त शुद्ध हो सकता है।
इनफर्टिलिटी एक ऐसी समस्या है, जब कोई महिला कई प्रयासों के बाद भी गर्भधारण नहीं कर पाती है। पीपल में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण होता है। इम्यूनोथेरिपी के जरिए प्रजनन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
पीपल से निकलने वाले लेटेक्स (वानस्पतिक दूध) में नेफ्रोपेक्टिव और उपचारात्मक गुण पाए जाते हैं, जो इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी इम्पोटेंस में पुरुष की यौन क्षमता प्रभावित होती है।
आंखों और त्वचा पर पीलेपन को पीलिया का लक्षण माना जाता है। पीपल का औषधीय गुण पीलिया जैसी बीमारी को भी खत्म कर सकता है। पीपल की पत्तियों में फ्लेवोनॉइड, स्टेरोल्स जैसे बायोएक्टिव यौगिक पाए जाते हैं। अगर पीपल की दो से तीन पत्तियों को दिन में दो बार पानी और चीनी के साथ सेवन किया जाए, तो पीलिया की समस्या में लाभ हो सकता है।
अगर आप कफ की समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो इस स्थिति से उबरने के लिए पीपल का पत्ता प्रभावी रूप से कार्य कर सकता है। दरअसल, पीपल की पत्ती में थेरेपेटिक गुण पाए जाते हैं, जिसका उपयोग करने से कफ में आराम मिल सकता है। पीपल के पत्ते को जूस के रूप में इस्तेमाल करने से कफ की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
घाव भरने के लिए भी पीपल के पत्ते के औषधीय गुण देखे जा सकते हैं। टैनिन पोस्सेस में कोलेजन की मात्रा बढ़ाने का गुण पाया जाता है, जो घाव भरने के लिए जरूरी क्रिया में से एक है। पीपल की पत्ती के रस इसमें प्रभावी असर दिखा सकते हैं।
अगर आप डायबिटीज की समस्या से परेशान हैं, तो पीपल के पत्ते का इस्तेमाल कर सकते हैं। पीपल में ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो ब्लड ग्लूकोज के स्तर को काफी हद तक कम कर सकते हैं और सीरम इंसुलिन की मात्रा भी बढ़ा सकते हैं। इस कारण से डायबिटीज के जोखिमों को कम किया जा सकता है।
पीपल के पत्ते के औषधीय गुण आपको त्वचा संबंधी कई समस्याओं से राहत पहुंचा सकते हैं। पीपल के पत्ते में ऐसे विशेष गुण होते हैं, जिसका प्रयोग करके त्वचा संबंधी कई समस्याओं से बचा सकता है। इसके अलावा पीपल के पत्ते में प्रोटीन भी पाया जाता है, जो हमारी त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है, क्योंकि प्रोटीन हमारे शरीर के द्वारा नहीं बनाया जाता है और इसकी पूर्ति हमें खाद्य पदार्थ के जरिए ही करनी पड़ती है।
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