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इंडिया न्यूज, Punjab News। Sidhu Moosewala Murder Case Update : मानसा की अनाज मंडी में गायक सिद्धू मुसेवाला के भोग व अंतिम अरदास के मौके पर विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि भेंट की। इसके अलावा उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए भारी संख्या में उनके प्रशंसक पहुंचे। पंजाब के विभिन्न जिलों सहित देश के अन्य राज्यों से भी प्रशंसक स्वर्गीय गायक को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। प्रशंसकों ने नम आंखों से के साथ उन्हें श्रद्धांजलि भेंट की।
इस मौके पर शुभदीप सिंह सिद्धू मूसेवाला (Shubhdeep Singh Sidhu Moosewala) के पिता बलकौर सिंह (Balkaur Singh) ने अपने दिल की बात रखते हुए कहा कि 29 मई को मेरे लिए एक मनहूस दिन था जब ऐसी घटना घटी। उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह दुख बहुत बड़ा है, पर प्रशंसकों द्वारा दिए गए प्यार, सहयोग और प्रशंसकों द्वारा बहाए गए आंसुओं ने मेरा दुख काफी हद तक कम किया है।
उन्होंने कहा कि यह घटना हम आसानी से सहन नहीं कर सकते। आज हम कहां से कहां पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि गुरु साहिब की सेध मुताबिक जिंदगी को आगे चलाने की कोशिश करूंगा।
जिंदगी को हर हालात में चलती रखूंगा। उन्होंने कहा कि मेरे पंजाब को इस आग से निकाल लो। आज मेरा घर उजड़ा है, कल किसी ओर का ना उजड़े।
उन्होंने कहा कि मेरे बच्चे का कसूर क्या था? सिद्धू मुसेवाला की कभी किसी के साथ कोई दुश्मनी नहीं थी। उन्होंने कहा कि मैं अपने बेटे के इंसाफ संबंधी आखरी सांस तक लडूंगा और इंसाफ मिलने तक टिककर नहीं बैठूंगा।
मगर अभी सरकार ने हमसे कुछ समय मांगा है और हम समय देंगे। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर गलत खबरें देखकर मन दुखता है और मैं सब से अपील करता हूं कि सोशल मीडिया पर कोई गलत खबरें ना डाले।
उन्होंने कहा कि बेटे के इंसाफ संबंधी मैं खुद लाइव होकर घोषणा करूंगा। प्रशंसक किसी अफवाह पर विश्वास न करें। उन्होंने कहा कि शुभदीप सिंह सिद्धू मुसेवाला को चुनाव में कोई लेकर नहीं गया था, मगर यह शुभदीप का अपना मन था और चुनाव लड़ना उनका अपना फैसला था।
शुभदीप सिंह सिद्धू मुसेवाला की मां चरण कौर ने कहा कि 29 मई को मेरे लिए काला दिन था। प्रशंसकों के उत्साह और सहयोग को देखकर मुझे लगा कि मेरा शुभ कहीं गया नहीं, बल्कि आसपास है।
उन्होंने कहा कि शुभदीप सिंह सिद्धू मुसेवाला के बोलों की तरह सभी अपने माता-पिता का उसी तरह सत्कार करें और उसके बोल कायम रखें। उन्होंने कहा कि आज प्रदूषण बहुत बढ़ गया है और हर कोई उसके नाम का एक एक पौधा लगाकर उस पौधे को पाले और बड़ा करें, ताकि मुझे कुछ शांति मिल सके।
शुभदीप सिंह सिद्धू मुसेवाला की अंतिम अरदास के मौके पर भावुक हुए पिता बलकौर सिंह ने कहा कि शुभदीप एक सीधा साधा नौजवान था। उन्होंने कहा कि जब वह नर्सरी में पढ़ता था तब गांव से कोई बस नहीं चलती थी और न ही कोई खास साधन थे। उस समय मैं उसे स्कूटर पर या किसी तरह स्कूल छोड़ने जाता था।
उन्होंने कहा कि मैं फायर ब्रिगेड में था और एक दिन शुभदीप को ट्यूशन छोड़ने के कारण मैं ड्यूटी से 20 मिनट लेट हो गया। तब मैंने शुभदीप से कहा कि या तो तू पड़ेगा या मैं नौकरी छोडूंगा। तब हमने शुभदीप को एक छोटा सा साइकिल ले दिया। वह दूसरी कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक साइकिल पर स्कूल और ट्यूशन जाता था।
वह 24 किलोमीटर साइकिल चलाता था। उन्होंने कहा कि उसे कभी जेब खर्च भी पूरा नहीं मिला और अपनी मेहनत से पढ़ाई की। जरूरत पड़ने पर गीत लिखकर सेल करता था। फिर विदेश चला गया।
उन्होंने बताया कि इतनी बुलंदियों पर पहुंचकर भी शुभदीप ने कभी जेब में पर्स नहीं रखा था। घर से निकलते समय हमेशा हमें आवाज देकर बुलाता था और पैरीहाथ लगाकर जाता था। कभी किसी तरह की कोई शिकायत नहीं आई।
उन्होंने कहा कि मैंने बचपन भी बुरा देखा और बुढ़ापा भी बुरा देख रहा हूं। उन्होंने कहा कि अपने बच्चे के कदमों पर चलने की कोशिश करूंगा और सिद्धू मुसेवाला को आखरी सांस तक प्रशंसकों के साथ जोड़कर रखने के प्रयास करूंगा तथा आने वाले समय में भी सिद्धू मूसेवाला के गीत गूंजते रहेंगे।
बलकौर सिंह ने कहा कि शुभदीप के कत्ल वाले दिन 29 मई को उसकी मां गांव में किसी की मौत होने के कारण वहां गई हुई थी। मैं खेतों से आया था तो मैंने शुभदीप को कहा कि मैं साथ चलता हूं मगर उसने कहा कि आपके कपड़े ठीक नहीं हैं। मैं बस 5 मिनट में जूस पीकर आता हूं। उन्होंने कहा कि सारी जिंदगी उसके साथ साए की तरह रहा, बस उस दिन पीछे रह गया, मुझे यह पछतावा हमेशा रहेगा।
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