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India News (इंडिया न्यूज़), Rana Yashwant, Chandrayaan 3: शाम 6 बजकर 4 मिनट का समय हिंदुस्तान के इतिहास में हमेशा के लिए सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया, भारत का चांद पर भेजा गया मिशन चंद्रयान-3 सफलतापूर्व चांद की सतह पर उतर गया, लैंडर विक्रम ने जैसे ही चांद पर कदम रखा सारे भारतवासियों में गर्व से भर गया, यह वह गौरव है जो दुनिया में अबतक तीन देशों को ही हासिल था, अमेरिका, रुस और चीन मगर हिंदुस्तान इस मिशन के जरिए इन तीनों देशों को पीछे छोड़ गया, अभी तक चांद पर जितने भी मिशन कामयाब रहे हैं, वे चांद की विषुवत रेखा के आसपास ही उतरे हैं, यह पहली बार है जब किसी देश ने चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास अपना चंद्रयान उतारा है, इस लिहाज से भारत दुनिया का इकलौता देश बनने का गौरव हासिल कर चुका है।
यह ऐसा पल था जब 140 करोड़ का हिंदुस्तान एक लय, एक सूत्र बंधा दिख रहा था, गांव-कस्बों से लेकर शहरों-महानगरों तक हर आदमी आखिरी बीस मिनट के लिए अपना सारा काम धाम छोड़कर चंद्रयान-3 की लैंडिग की लाइव स्ट्रीमिंग से जुड़ा हुआ था, क्या बच्चे, क्या महिलाएं, क्या नौजवान औऱ क्या बुजुर्ग- ऐसा लग रहा था देश किसी महाउत्सव की बेला की बाट जोह रहा है, जैसे की सॉफ्ट लैंडिंग की घोषणा इसरो ने की, वैज्ञानिक खुशी से झूमे और समूचे देश में लोग एक दूसरे को गले लगाते, तालियां पीटते, खुशी से निहाल दिखे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने गए हैं औऱ वहां से वे लैंडिंग के समय वर्चुअली जुड़ गए, चंद्रयान की कामयाबी पर तिरंगा लहराते और तालियां बजाते दिखे. प्रधानमंत्री ने जो कहा वह स्पेस साइंस में भारत की अतुलनीय उपलब्धि और असीम सामर्थ्य की भूमिका थी, उन्होंने कहा ” यह क्षण भारत के सामर्थ्य का है, यह क्षण भारत में नई ऊर्जा, नए विश्वास, नई चेतना का है।
अमृतकाल में अमृतवर्षा हुई है, हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार किया,” इसरो के निदेशक एस सोमनाथ ने अंतरिक्ष में भारत की अगली परियोजनाओं का जिक्र कर स्पेस साइंस में चुनिंदा देशों से भारत के आगे निकलने के संकल्प की ओर इशारा कर दिया, उन्होंने कहा -” हमारे कई मिशन कतार में हैं, जल्दी सूर्य पर आदित्य एल1 भेजा जाएगा, गगनयान पर भी काम जारी है,” ऐसी सफलताएं एक सामर्थ्यवान देश की दुनिया में मुनादी करती हैं, भारत की कामयाबी पर नासा, यूरोपीय स्पेस एजेंसी समेत दुनिया के कई स्पेस साइंस संस्थानों की नजर थी, औऱ आज सभी भारत की मुक्तकंठ प्रशंसा कर रहे।
एक वो दौर था जब हमारे वैज्ञानिकों ने साइकिल और बैलगाड़ी पर रॉकेट ढोए थे, पहले रॉकेट के लिए नारियल के पेड़ों को लांचिंग पैड बनाया था, वैज्ञानिकों के पास अपना दफ्तर नहीं था। आज देखिए पूरे भारत में इसरो के 13 सेंटर हैं, चांद पर तीसरा मिशन कामयाब रहा, औऱ मंगल पर पहले ही प्रयास में सफलता मिली. सच यह भी है कि मंगल पर पहुंचने के लिए अमेरिका, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसी को कोशिशों करनी पड़ी थीं, 2017 में इसरो ने एक साथ ही 104 सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजा था, उनमें से 101 अमेरिका, इजरायल, हॉलैंड, और स्विट्जरलैंड जैसे देशों के थे, उस समय ऐसा करनेवाला भारत पहला देश बना था।
अब चांद पर उतरकर भारत ने कई संभावनाओं को जन्म दे दिया है, कम लागत में ऐसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को पूरा करने की भारत ने मिसाल रखी है, चांद से आगे अंतरिक्ष में जाने के लिए चांद का एक स्टेशन के तौर पर इस्तमाल किया जा सकता है। अगर चांद पर पानी मिले औऱ यह जांचने का काम चंद्रयान-3 करेगा, चांद पर खनिज हैं या नहीं और वहां रहने-बसने की कोई गुंजाइश बन सकती है ,या नहीं यह भी भारत के मिशन से पता चलने की उम्मीद है।
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