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India News (इंडिया न्यूज़), Dharmbir Sinha: आयुष्मान योजना के साथ झारखंड का कृतिमान जुड़ा था। 23 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड की राजधानी रांची से ही देश भर में आयुष्मान योजना लॉन्च की थी। मगर अब इसी योजना में हो रहे भ्रष्टाचार से झारखंड की किरकिरी हो रही है। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का बेहतर तरीके से इलाज हो सके, इसके लिए केंद्र सरकार की ये महत्वकांक्षी योजना है।
पर यह योजना झारखंड में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। कई बीमारी में ऐसे मरीजों को लाभ दिया गया है। जिन्हें पहले तो मृत दिखाया गया था। झारखंड के कई अस्पतालों ने तो ढाई सौ से अधिक मुर्दों का भी इलाज किया। डिइंपेनल के बावजूद आयुष्मान योजना में इलाज करने वाले दर्जन भर अस्पताल भी झारखंड में ही है। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक बोकारो के सात अस्पतालों की जांच में फर्जी आंकड़े ये थे कि, कुछ अस्पतालों में एक दिन में कुल बेड से अधिक मरीज का इलाज तो एक अस्पताल में क्षमता से दुगुना मरीजों का इलाज किया गया।
आयुष्मान भारत योजना के तहत सबसे फर्जीवाड़े की आशंका आंखों के ऑपरेशन का है। आंखो के ऑपरेशन में झारखंड पूरे देश में दूसरे नंबर पर है । 23 सितंबर 2018 से अब तक 100 डॉक्टर और 110 अस्पतालों के सहारे झारखंड जो ऑपरेशन हुए वे अपने से ज्यादा आबादी वाले राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। ऑपरेशन का यह खेल पश्चिम बंगाल के एक नेत्र सर्जन के नाम पर भी की गई। फर्जी पैथोलॉजी रिपोर्ट भी उनके नाम पर बना।
बताया जाता है कि 2020 में योजना की तहत सूचीबद्ध कुछ अस्पतालों द्वारा पश्चिम बंगाल के नेत्र सर्जन डॉ एस माल के नाम पर एक दिन मे सिंहभूम से संथाल परगना तक के अस्पतालों में सैकड़ो ऑपरेशन हुए। बताया यह भी जाता है कि इस मामले में नाम आने के कुछ दिनों बाद डॉक्टर माल की संदेहास्पद मौत हो गई जिसे बाद में आत्महत्या बताया गया। झारखंड में आयुष्मान योजना के तहत होने वाले इलाज का 40% हिस्सा सिर्फ आंखों के ऑपरेशन का है।
आंकड़ों के अनुसार 447 निजी अस्पताल सूचीबद्ध है ,इनमें 110 अस्पताल आंखों की इलाज के लिए है । आंध्र प्रदेश में बीते 5 साल में 4.68 लाख लोगों के आंखों के ऑपरेशन हुए जो सबसे अधिक है।दूसरे नंबर पर झारखंड है ,जहां 3.87 लाख के दावे हैं। जबकि उत्तर प्रदेश में 3.47 छत्तीसगढ़ में 2.06 और बिहार में 1.62 लाख के ऑपरेशन के आंकड़े हैं। खासतौर पर आंखों की सर्जरी के मामले में फर्जीपना का तो रिकॉर्ड झारखंड में ही बना है।
राज्य में कई अस्पतालों में डॉक्टर की ड्यूटी नहीं फिर भी आयुष्मान के तहत इलाज और ऑपरेशन हुए। फर्जी पैथोलॉजी रिपोर्ट और डॉक्टर के नाम का गलत इस्तेमाल भी खुलकर हुए। ऐसा ही हुआ हाल ही में हजारीबाग के शेख बिहारी मेडिकल कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डाक्टर अंजना के साथ हुआ था ।
उस वक्त उसने आयुष्मान भारत योजना के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर को पत्र लिखकर जानकारी दी थी कि उनके नाम का इस्तेमाल कर मां भद्रकाली डायग्नोस्टिक सेंटर द्वारा फर्जी पैथोलॉजी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। झारखंड में 58 फीसदी गरीबों को आयुष्मान योजना का लाभ नहीं मिलता है। लेकिन जिन्हें मिल रहा है उनके नाम पर फर्जीवाडे भी खूब हो रहे है।
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