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India News ( इंडिया न्यूज), Rashid Hashmi, J&K News: जम्मू-कश्मीर में कर्नल-मेजर समेत 5 शहादत हुई है। 140 करोड़ का हिंदुस्तान ग़ुस्से में है। शहीद अफसरों में सेना के एक कर्नल, एक मेजर और पुलिस के एक DSP शामिल हैं। राजौरी पुंछ इलाक़े में इस साल अब तक 27 आतंकी ढेर हो चुके हैं, ऑपरेशन ऑल आउट ने जम्मू-कश्मीर को बदल कर रख दिया है, लेकिन अनंतनाग में जो हुआ उसके बाद अब ज़रूरत आतंक पर प्रचंड प्रहार की है। कर्नल मनप्रीत सिंह, बटालियन कमांडर मेजर आशीष धोनैक और डीएसपी हुमायूं भट ने सर्वोच्च बलिदान दिया।
किसी की 2 साल की बेटी है तो किसी के पिता रिटायर्ड IG हैं। जम्मू कश्मीर के LG मनोज सिन्हा ने 24 घंटे पहले बड़ी बात कही थी। मनोज सिन्हा ने कहा कि आतंकवाद के इको सिस्टम पर प्रहार हुआ है और जम्मू कश्मीर से आतंकवाद को मिटाने के लिए 360 डिग्री पर वार किया गया है। अब आतंक पर प्रहार भर से काम नहीं चलेगा, कैंसर जड़ से ख़त्म किया जाए तभी बेहतर होता है।
5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 का ख़ात्मा हुआ। तब से लेकर आज तक के आंकड़ों पर ग़ौर कीजिए। आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि अनुच्छेद 370 ख़त्म होने के बाद अगस्त, 2019 से अगस्त, 2023 तक जम्मू-कश्मीर की स्थिति में सुधार देखा गया है। इस दौरान नागरिकों और सुरक्षा बलों के हताहत होने, ग्रेनेड हमलों, आईईडी धमाकों और पथराव की घटनाओं में कमी आई है। जम्मू कश्मीर पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि अनुच्छेद 370 ख़त्म होने के बाद कुल 2329 आतंकवादी और उनके सहयोगी गिरफ्तार किए गए जबकि 2015 से 2019 के बीच इनकी तादाद 427 थी।
आंकड़ों पर ग़ौर करें तो आतंकवाद पर शिकंजा कसा है, लेकिन ख़तरा बढ़ा है। नया ख़तरा TRF यानि ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) जैसे हाइब्रिड आतंकी संगठन हैं। अनंतनाग में कर्नल, मेजर और डीएसपी ने शहादत दी, आतंकी संगठन TRF ने इसकी जिम्मेदारी ली। 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमला हुआ और इसी तारीख़ से TRF का बीज पड़ा। हालांकि पुलवामा हमले से पहले ही ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने घाटी में अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। पाकिस्तानी आक़ाओं ने इस संगठन को खाद पानी दिया, ISI ने ट्रेनिंग दी, धीरे-धीरे ये संगठन अपनी ताकत को बढ़ाता चला गया।
5 अगस्त 2019 को जैसे ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई, TRF पूरे कश्मीर में एक्टिव हो गया। ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ की जड़ में लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन हैं। इसे हाइब्रिड इसलिए कहा जाता है क्योंकि पाकिस्तान समर्थित कई आतंकी संगठनों के समर्थन से इसे तैयार किया गया। कश्मीर में टारगेट किलिंग से लेकर सुरक्षाबलों पर हमले करना TRF का मक़सद है। टीआरएफ के हैंडलर सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव होकर घाटी में राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक गतिविधियों पर बारीक़ी से नज़र रखते हैं।
सेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने बताया है, “जम्मू-कश्मीर में विकास के काम रोकने के लिए पाकिस्तान आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की पूरी कोशिश कर रहा है।” पाकिस्तान अस्थिर है, इमरान ख़ान नियाज़ी सलाख़ों के पीछे हैं, शहबाज़ शरीफ़ की सरकार जा चुकी है, केयरटेकर वज़ीर-ए-आज़म अनवारुल हक़ से मुल्क नहीं संभल रहा। नतीजा कट्टरपंथी ताक़तों ने शिकंजा कसा है और पाकिस्तान अस्तित्व के संकट से गुज़र रहा है। फ़ौजी चीफ़ जनरल असीम मुनीर के लिए ये वक्त आतंकवाद का एक्सपोर्ट करने के लिए मुफ़ीद है।
8 महीने पहले गृह मंत्रालय ने TRF के कमांडर शेख सज्जाद गुल और लश्कर कमांडर मोहम्मद अमीन उर्फ अबु खुबैब को आतंकी घोषित किया था और लश्कर के प्रॉक्सी संगठन TRF पर बैन लगा दिया था। पिछले दिनों डोडा में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में बैठकर आतंकवाद को जिंदा करने की साजिश में शामिल दो ख़तरनाक आतंकियों को भगोड़ा घोषित किया गया है। इसके साथ ही दो दहशतगर्दों की संपत्तियां भी कुर्क की गई हैं। नतीजा ये कि घाटी में आतंकवादी भड़के पड़े हैं।
एक चीज़ ग़ौर करने वाली है। जम्मू कश्मीर में आतंकियों के निशाने पर राष्ट्रीय राइफल्स है। ये वो यूनिट है जो कश्मीर में आतंकियों को चोट पहुंचाती है।
बीते कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ‘ऑपरेशन ऑलआउट’ चल रहा है, जिसे राष्ट्रीय राइफल्स ही चला रही है। अनंतनाग में भी आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिंग कर्नल और मेजर शहीद हुए हैं। राष्ट्रीय राइफल्स भारतीय सेना की एक यूनिट है जिसका गठन 1990 के दशक में तब के सेना प्रमुख जनरल वीएन शर्मा ने किया था। राष्ट्रीय राइफल्स का मोटो ‘दृढ़ता और वीरता’ है। इसे दुनिया की सबसे बड़ी एंटी-टेररिस्ट यूनिट भी कहा जाता है। आज के समय में राष्ट्रीय राइफल्स की 65 बटालियन हैं, जो पांच कंपनियों- रोमियो फोर्स, डेल्टा फोर्स, विक्टर फोर्स, किलो फोर्स और यूनिफॉर्म फोर्स में बंटी हुईं हैं।
राष्ट्रीय राइफल्स को आतंकियों का काल कहा जाता है जिसके जवान हर पल जान की बाज़ी लगाकर देश की रक्षा करते हैं। अप्रैल 2023 को भी जम्मू के पुंछ जिले में आतंकियों ने बारिश और कम विजिबिलिटी का फायदा उठाते हुए सेना की गाड़ी पर हमला किया था। इस हमले में भी राष्ट्रीय राइफ़ल्स के ही पांच जवान शहीद हुए थे। मतलब साफ़ है कि राष्ट्रीय राइफ़ल्स इस वक्त आतंकवादियों के निशाने पर है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में ही सेना को खुली छूट दे दी थी। घाटी में आतंकवाद कम करने के लिए ऑपरेशन ऑलआउट चलाया, जिसके तहत आतंकियों के खिलाफ खुलकर एक्शन लिया गया। उरी हमले के बाद 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने PoK में घुस कर आतंकियों के ठिकानों पर हमला किया जिसमें 40 से 50 आतंकवादी मारे गए। इसके बाद फरवरी 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर फिदायीन हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने बालाकोट, चकोटी और मुजफ्फराबाद पर बम बरसाए। इस हमले में करीब 300 आतंकी मारे गए।
वक्त आ गया है पाकिस्तान को सबक़ सिखाने का, ये बताने का कि अब आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत प्रचंड प्रखर प्रबल प्रहार करेगा। वैसे भी दो दिन पहले पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह कह चुके हैं, “पीओके अपने आप ही भारत में शामिल हो जाएगा, बस इंतज़ार कीजिए”। भारत की फौज को सलाम, मेजर-कर्नल-डीएसपी का सर्वोच्च बलिदान अब बदला मांग रहा है।
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