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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Mumbai Diaries 26/11 Review : 26 नवंबर 2008 को महाराष्टÑ की राजधानी मुंबई की वो आतंकी हमले की घटना को याद करके जहन कांप उठता है। इस आतंकी हमले में करीब 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी, और 300 से ज्याद लोग घायल हो गये थे। 13 साल पहले हुई इस घटना को भारत के इतिहास का सबसे भयावह आतंकी हमला कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
इस आतंकी हमले की घटना पर कई फिल्में और वेब सीरीजें बन चुकी हैं। लेकिन ‘मुंबई डायरीज 26/11’ की वेबसीरीज में वैसे तो कहानी के केंद्र में मुंबई में हुआ आतंकी हमला ही है, लेकिन इसमें ज्यादा फोकस मेडिकल स्टाफ और उनके हालात पर किया गया है। तो आइए जानते हैं ‘मुंबई डायरीज 26/11’ की वेबसीरीज के बारे में।
अमेजॉन प्राइम पर नौ सितंबर 2021 को रिलीज हुई ‘मुंबई डायरीज 26/11′ वेबसीरीज में ’26 नवंबर 2008 को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की वो आतंकी हमले’ में डर, दर्द और खौफ का वह मंजर कैसा था, इस वेबसीरीज को देखकर समझ सकते हैं। ‘मुंबई डायरीज 26/11’ वेबसीरीज के आठ एपिसोड हैं। इस सीरीज को निखिल आडवाणी ने डायरेक्ट किया है। सीरीज में कलाकार के रूप में मोहित रैना, कोंकणा सेन शर्मा, टीना देसाई, श्रेया धनवंतरी, सत्यजीत दुबे, नताशा भारद्वाज, मिशल रहेजा, मृण्मयी देशपांडे और प्रकाश बेलावाड़ी प्रमुख भूमिका में हैं।
वैसे हमारे देश में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर किस हालात में हैं, ये किसी से छुपा नहीं है। कोरोना महामारी में लोगों की जो हालत हो रही है, उसे भुलाया नहीं जा सकता है। लेकिन विषम परिस्थितियों और मेडिकल सुविधाओं के अभाव में रहते हुए भी हमारे डॉक्टर्स हिम्मत से लोगों की जान बचाने में कैसे कामयाब हो रहे हैं इसके लिए ‘मुंबई डायरीज 26/11’ वेबसीरीज जरूर देखें।
आपको बता दें कि निखिल आडवाणी और निखिल गोंसाल्विस के निर्देशन में बनी ‘मुंबई डायरीज 26/11’ वेब सीरीज की खास बात ये है कि एक आतंकी हमले के दौरान हमारे मेडिकल फर्टिनिटी से जुड़े लोग कैसे अपनी जान दांव पर लगाकर हमारी रक्षा करते हैं। कैसे असलहों की लड़ाई में लोगों की जान बचाने में मेडिकल किट हथियार बन जाती है। इसमें बखूबी दिखाया गया है।
वैसे तो वेब सीरीज ‘मुंबई डायरीज 26/11’ की कहानी के केंद्र में मुंबई में हुआ आतंकी हमला ही है, लेकिन इसमें ज्यादा फोकस मेडिकल स्टाफ और उनके हालात पर किया गया है। मुंबई स्थित बॉम्बे जनरल हॉस्पिटल के ईर्द-गिर्द ही सभी घटनाक्रम को बुना गया है। इस अस्पताल में डॉ. कौशिक ओबेराय (मोहित रैना) से ट्रेनिंग के लिए तीन जूनियर डॉक्टर (नताशा भारद्वाज, मृणमयी देशपांडे और सत्यजित दुबे) आते हैं।
उनका पहला दिन होता है। इसी बीच पता चलता है कि मुंबई में आतंकी हमला हो चुका है। अस्पताल में बड़ी संख्या में घायल आने लगते हैं। अभी तीनों जूनियर डॉक्टरों को फॉर्मेल्टी भी पूरी नहीं होती है, लेकिन उनको काम पर लगा दिया जाता है। इस बीच कहानी कई अलग-अलग दिशाओं में भी जाती है, जिसमें मीडिया के रोल को भी दिखाया जाता है।
इसी बीच बॉम्बे जनरल हॉस्पिटल में गोलियों से छलनी एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड चीफ और पकड़े गए दो आतंकियों को अस्पताल में लाया जाता है। इनमें एक आतंकी बुरी तरह घायल है। डॉक्टर के सामने मुश्किल यह कि दोनों में से पहले किसे अटेंड करे, किसे बचाए. इससे भी बड़ा सवाल कि अस्पताल में जरूरत की मेडिकल सुविधाएं न होने पर कैसे इस विषम हालात का सामना किए जाए। मुश्किल तब और बढ़ती है जब अस्पताल के अंदर की खबरें मीडिया में आती हैं।
पाकिस्तान में बैठ कर भारतीय टीवी न्यूज चैनल देख रहा हेंडलर दो आतंकियों से अस्पताल पर हमला करने को कहता है। आतंकी अंदर घुस जाते हैं और इसके बाद दिल दहला देने वाले दृश्य उभरते हैं। अस्पताल में घुसे आतंकी पुलिस से अपने साथी को छुड़ाने में कामयाब हो जाते हैं। इसी बीच एटीएस चीफ की मौत हो जाती है। उसकी पत्नी को लगता है कि इलाज के अभाव में उनकी मौत हुई है, तो वो डॉक्टर को थप्पड़ मार देती है। इतना ही नहीं आतंकी का इलाज करने पर एक इंस्पेक्टर डॉक्टर के माथे पिस्तौल तान देता है। (Mumbai Diaries 26/11 Review in Hindi)
निखिल आडवाणी और निखिल गोंजाल्विस का निर्देशन दर्शकों के अंदर भावनाओं का संचार करने में कामयाब है। यही वजह है कि सीरीज में गोलियों की मार से ज्यादा भावनात्मक दृश्य दर्शकों को आहत करते हैं। प्रिया सुहास का प्रोडक्शन डिजाइन कमाल का है, जो निर्देशक द्वय की मदद करता है. इस पर कौशल शाह का छायाकंन चार चांद लगा देता है। सीरीज के लिए संवाद लिखने वाली संयुक्ता चावला शेख ने काम बहुत ईमानदारी से किया है। एक ही सीन में आपस में बात कर रहे दो लोग अपनी-अपनी मातृभाषा में बात करते हैं, जो विविधता को दर्शता है।
जहां तक कलाकारों की परफॉर्मेंश की बात है, तो डाक्टर कौशिक ओबेरॉय के किरदार में मोहित रैना और ट्रॉमा सर्वाइवर चित्रा दास के किरदार में कोंकणा सेन शर्मा ने असरदार अभिनय किया है। श्रेया धनवंतरी जिन्हें आखिरी बार द स्कैम 1992 में देखा गया था, एक रिपोर्टर की भूमिका में जान डाल देती हैं. एक पत्रकार कैसे अपनी जान जोखिम में डालकर कठिन से कठिन हालात का सामना करते हुए अपने को अंजाम देता है, इसे श्रेया ने शिद्दत से निभाया है। मृण्मयी देशपांडे, नताशा भारद्वाज, सत्यजीत दुबे और प्रकाश बेलावाड़ी ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है।
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